राजयोग का मतलब होता है 
1- ऐसे व्यक्ति भाग्यशाली हो ।  नवम भाव की स्थिति अच्छी हो क्योंकि जिसका भाग्य प्रबल रहता है उसको कम परिश्रम में सफलता प्राप्त होती है ।
2 -  ऐसे व्यक्ति की कुंडली में रोजगार का योग अच्छा होना चाहिए ताकि कोई  रोजगार करें तो उसमें पूर्ण सफलता मिले । इसके लिए दशम भाव एवं सप्तम भाव की स्थिति अच्छी होनी चाहिए ।
3 - आमदनी का योग अच्छा होना चाहिए चाहे किसी भी प्रकार से किसी भी ग्रह से योग बने परंतु आमदनी का योग अच्छा होना चाहिए ताकि बिना रुके हुए धन आता रहे ।
4 -  यदि यह सब योग हैं एवं द्वितीय भाव यानी धनेश पीड़ित है या धन भाव पीड़ित है चाहे ऐसे व्यक्ति कितने भी धन क्यों न कमाले  उनके पास धन का संग्रह  नहीं हो पाता  है । इसलिए धन भाव की स्थिति अच्छी होनी चाहिए  ।
5- कुंडली में चाहे कितने भी अच्छे योग हैं यदि लग्नेश कमजोर या पीड़ित है या लग्न पीड़ित है तो उसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है अतः लग्न एवं लग्नेश की स्थिति अच्छी होनी चाहिए ।
6 - सूर्य और चंद्रमा का बहुत ज्यादा महत्व होता है ।  सूर्य आत्मा के कारक है चंद्रमा मन के कारण ।  चंद्रमा से ही चंद्र कुंडली बनती है सूर्य से सूर्य कुंडली बनती है । इससे  समझ सकते हैं कि इसका कितना महत्व है अतः सूर्य एवं चंद्रमा  की स्थिति अच्छी होनी चाहिए ।
👉 यह सिर्फ धन से संबंधित योग है बाकी जीवन में बहुत से सुख होते हैं उनके लिए अलग-अलग योग  होते हैं ।
👉 कोई जरूरी नहीं है कि कुंडली में सिर्फ उच्च राशि में ग्रह विराजमान हो तभी यह योग बनेगा ।  बिना उच्च राशि में विराजमान होते हुए भी यह योग बन सकता हैं ।
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