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*#🕺स्वंय का घर (मकान)🏠
आज की वर्तमान परिस्थिति में स्वयं का घर होना बहुत ही कठिन होता जा रहा है । भूमि, घर, वाहन के मूल्यों में वृद्धि होने के कारण व्यक्ति स्वंय मकान मालिक नही हो पाता है एवम किराएदार बने रहता है । कुंडली में ग्रहों की कुछ परिस्थितियों से स्वयं के मकान का योग जाना जा सकता है ।
👉#कुंडली का चतुर्थ भाव भूमि, भवन, संपत्ति का होता है । यह जितना बली होगा, उतने मकान बनने के योग प्रबल होंगे । चतुर्थेश के साथ इस भाव में बैठा ग्रह । इस भाव का स्वामी मंगल है, भूमि और भवन का कारक मंगल ही होता है । यदि मंगल अकेला इस भाव में हो तो भी अच्छे परिणाम नहीं देता । मकान हो भी जाए तो जातक परेशान रहता है । मंगल शुभ और बली हो साथ ही निर्माण के कारक ग्रह शनि से संबंध भी शुभ हो । तब जातक को मकान बनाने और उसमे रहने से लाभ होगा ।
👉इसके साथ ही लग्न जो जातक के विवेकता को दर्शाता है , द्वितीय भाव यानी धन भाव, तृतीय पराक्रम का भाव, नवम भाग्य भाव एवं एकादश आय का भाव भी शुभ एवं बली होना अति आवश्यक है ।
👉चतुर्थ स्थान में शुभ ग्रह हों तो घर का सुख उत्तम रहता है।
👉 चंद्रमा से चतुर्थ में शुभ ग्रह होने पर घर संबंधी शुभ फल मिलते हैं।
👉 चतुर्थ स्थान पर गुरु-शुक्र की दृष्टि उच्च कोटि का गृह सुख देती है।
👉 चतुर्थ स्थान का स्वामी 6, 8, 12 स्थान में हो तो गृह निर्माण में बाधाएँ आती हैं। उसी तरह 6, 8, 12 भावों में स्वामी चतुर्थ स्थान में हो तो गृह सुख बाधित हो जाता है।
👉चतुर्थ स्थान का मंगल घर में आग से दुर्घटना का संकेत देता है। अशांति रहती है।
👉चतुर्थ में शनि हो, शनि की राशि हो या दृष्टि हो तो घर में सीलन, बीमारी व अशांति रहती है।
👉 चतुर्थ स्थान का केतु घर में उदासीनता देता है।
👉चतुर्थ स्थान का राहु मानसिक अशांति, पीड़ा, चोरी आदि का डर देता है।
👉# कुंडली में ग्रहो की परिस्थिति पर निर्भर करता है कि मकान सुख कैसा रहेगा सम्पूर्ण कुण्डली के सभी वर्गों का अध्ययन आवश्यक है ।
👉किराएदार बने रहने के रूप में चतुर्थ भाव का स्वामी का 6 वे, 8 वे में जाने से एवम चतुर्थ, चतुर्थेश का बलहीन, कमजोर या राहु केतु के पाप प्रभाव में होने से व्यक्ति का स्वंय का मकान में अवरोध हो जाता है एवम किराएदार बने रहता है ।
👉अच्छी ग्रह स्थिति होने और लग्नेश चतुर्थ स्थान मेंं हो चतुर्थेश लग्न मेंं हो तो यह योग बनता है।
👉चतुर्थेश किसी शुभ ग्रह के साथ युति करे, केंद्र-त्रिकोण 1, 4, 7, 9, 10 मेंं हो तो यह योग बनता है।
👉चतुर्थेश और लग्नेश दोनों चतुर्थ भाव मेंं हो तो यह योग बनता है।
👉नवमेंश, दूसरे भाव मेंं और द्वितीयेश नवम भाव मेंं परस्पर स्थान परिवर्तन करें तो यह योग बनता है।
👉 शुभ ग्रह की दशा या मंगल- शनि की दशा, अंतर में मकान निर्माण के योग प्रबल हो जाते है ।
👉शुभ स्थिति में होना आवश्यक है एवम वर्गीय कुण्डली का अध्ययन भी आवश्यक होता है जिससे कि मकान के प्रबल योग स्प्ष्ट हो सके । उपरोक्त सभी स्थिति निर्मित होकर भी समस्या बनी रहे तो कुशल ज्योतिषी से मार्गदर्शन ले ।
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गोविंदराम कुमार
ज्योतिष सलाहकार