♦️जन्मकुंडली में शनि मंगल सम्बन्ध

==================================

शनि और मंगल इन दोनों का आपसी संबंधी अच्छा नही होता।शनि एक पाप ग्रह है तो मंगल क्रूर ग्रह है जब यह दोनों आपस में युति दृष्टि आदि तरह से सम्बन्ध बनाते है तो इनकी क्रूरता और इनसे सम्बंधित क्रूर फलो में वृद्धि हो जाती है।

🔸शनि मंगल के बीच तीन तरह से सम्बन्ध बनता है जब यह ग्रह किसी एक राशि/ भाव में साथ हो तो युति संबंध, 

🔸जब आपस में एक दूसरे को अपनी पूर्ण दृष्टि से देख रहे हो तो दृष्टि सम्बन्ध 

🔸जब यह दोनी एक दूसरे की राशि में बैठे हो यह राशि परिवर्तन सम्बन्ध कहलाता है।

🔹इन तीनो में युति और दृष्टि सम्बन्ध सबसे ज्यादा क्रूर और अशुभ होता है क्योंकि युति होने से इन दोनों प्रभाव एक साथ दो भावो पर पडता है एक जिस भाव में बैठे होते है वहाँ दूसरा अपने से सातवें भाव पर एक साथ दृष्टि डाल रहे होते है वहाँ, इसी तरह से दृष्टि सम्बन्ध होने पर भी बिलकुल यही प्रभाव होता है।

🔸जब यह दोनों राशि परिवर्तन संबंध बनाते है तब इस स्थिति से बनने वाला सम्बन्ध ज्यादा अशुभ नही होता।यदि शनि मंगल 3, 6, 11, भाव में बैठकर राशि परिवर्तन करे तो कुछ अच्छा फल भी कर देते है।

🔸अन्य तरह से इनका सम्बन्ध ठीक नही होता।जिस भी भाव पर सम्बन्ध बनाकर यह दोनों एक साथ प्रभाव डालेंगे उस भाव के फल को नष्ट कर देते है।

🔸यदि भावेश बली हो या भाव शुभ ग्रहो से या अपने भावेश से दृष्ट या युक्त हो तब उस भाव संबंधी फल में दिक्कत करते है।यह निश्चित होता है कि यदि शनि मंगल का युतिदृष्टि सम्बन्ध होता है तो जीवन में यह संघर्ष जरूर कराते है।

🔸यदि केंद्र त्रिकोण के स्वामी होकर यह सम्बन्ध बनाए तो अपनी अशुभता में कमी कर देते है।एक शुभ दूसरा अशुभ भाव का स्वामी होकर सम्बन्ध बनाए तब इनकी क्रूरता और अशुभ फल में ज्यादा वृद्धि हो जाती है।

🔸शनि मंगल जिन भावो के स्वामी होते है उन भावो से सम्बंधित संघर्ष कराते है।

🔸शनि मंगल का सम्बन्ध दूसरे भाव, केंद्र या त्रिकोण भाव में किसी तरह से भी ठीक नही होता जबकि 3, 6, भाव में सामान्य रहता है।

🔸मंगल आग है और शनि हवा है।जब जलती आग पर हवा का प्रभाव डाला जाता है तो आग भड़क जाती है और नुकसान भी कर सकती है इसी तरह जब मंगल रूपी आग पर हवा रूपी शनि से सम्बन्ध बनता है तो मंगल की क्रूरता में शनि वृद्धि करता है लेकिन जैसे जलती आग पर पानी डालने से पानी आग को शांत करके नष्ट कर देती है और हानि या नुकसान का खतरा नही होता उसी तरह शनि(हवा)मंगल(आग) पर पानी की तरह शुभ बली बृहस्पति की दृष्टि शनि मंगल के अनिष्ट प्रभाव को शांत कर देती है।

🔸बृहस्पति की दृष्टि के कारण शनि मंगल की अशुभता में कमी हो जाती है या अशुभता नष्ट हो जाती है।जिस कारण से यह अशुभ फल नही देते।

🔸यदि नवमांश कुंडली में भी शनि और मंगल शुभ ग्रहों शुक्र बुध गुरु से एक साथ युक्त या द्रष्ट हो तब भी इनका सम्बन्ध लग्न कुंडली में होने पर अशुभ प्रभाव नही दिखाता।

🔸शुभ ग्रहो की राशि में केंद्र त्रिकोण के स्वामी होकर 3, 6, 11 भाव में ये सम्बन्ध बनाते है तब इनका अशुभ फल या प्रभाव ज्यादा नही होता।यदि शुभ प्रभाव शनि मंगल पर नही है तो निश्चित ही जीवन में संघर्ष कराते है यह संघर्ष शनि मंगल की महादशा अन्तर्दशा में करना होता है।

🔹शनि मंगल सम्बन्ध जिन जातक/जातिकाओ की कुंडली में बनता है उन्हें बिजली, गैस,आग से विशेष सावधानी रखनी चाहिए।

🔹जिन व्यक्तियो की कुंडली में शनि मंगल सम्बन्ध से अशुभ फल मिल रहे हो या मिलते हो उन जातको को शनिवार के दिन पीपल की पूजा करनी चाहिए, मंगलवार के दिन हनुमान मन्दिर में सुन्दरकाण्ड का पाठ करना चाहिए।शनि और मंगल की चीजो का दान करना चाहिए साथ ही इनदोनो का मन्त्र जप करने से शनि मंगल सम्बन्ध की क्रूरता और अशुभता में कमी आती है।

🔹शनि मंगल सम्बन्ध होने पर इन दोनों की चीजो दान और जप करना सबसे शुभ और प्रभावशाली उपाय है।