#अनध्याय???
----------------
वेदको मुख्य रूपसे किन- किन दिनोंमें नहीं पढ़ाना चाहिए ।
आइए शास्त्रोंके अनुसार विचार करें।------
*अष्टमी हन्त्युपाध्यायं*
*शिष्यं हन्ति चतुर्दशी।*
*अमावस्योभयं हन्ति*
*प्रतिपत्पाठनाशिनी*।।
(#ज्योतिः_सारसागरे)
*अयने विषुवे चैव*
*शयने बोधने हरेः।*
*अनध्यायं प्रकुर्वीत*
*युगादिषु मन्वादिषु च।।*
(#औशनसस्मृतौ)
हमारे यहां कुल 38 नित्य अनध्याय हैं। इनके अलावा कुछ नैमित्तिक अनध्याय भी हैं। तथा याज्ञवल्क्य जी के द्वारा कथित तात्कालिक अनध्याय और हैं।
सोपपदा तिथियां मुख्य रूप से वेदारंभ करने में निषिद्ध हैं।
वैसे नित्य अध्ययन में निषेध नहीं मानी गई हैं।
गुरुजी भी हम सबको सोपपदा आदि तिथियोंमें अध्यापन कराते ही हैं ।
और जिन बालकों का वेदारंभ संस्कार हो चुका है तो उनके लिए सोपपदा की निषेध की ऐसी बात नहीं है ।
#सोपपदा_तिथियां---
1.जेष्ठ शुक्ल द्वितीया
2.अश्विन शुक्ल दशमी
3.माघ शुक्ल चतुर्थी
4.माघ कृष्ण द्वादशी
#विशेष--
*द्विविधाअनध्यायाः- नित्या नैमित्तिकाश्च । नित्या अष्टम्यादयो नैमित्तिका मन्वाद्याः। तत्र मन्वादिः सोपपदा अपि स्वाध्याया एव संक्रांतिः कदाचित्स्वाध्यायेष्वपि स्यादित्येतासु तिथिषु व्रतबंधो मा भूदिति आसामनध्यायत्वोक्तिः। इति।।*
(#पीयूषधारा_टीका)
#सारांश--
वेद आदि शास्त्रों को दोनों पक्षों की -- प्रतिपदा, अष्टमी एवं चतुर्दशी को तथा अमावस्या को वेदों का अध्यापन नहीं कराना चाहिए।
हमारे वैदिक सनातन हिंदू धर्म में जितने भी त्यौहार, पर्व, उत्सव,एवं व्रतादि हैं वे सभी प्रायः तिथि मूलक ही हैं। रविवार के अवकाश संबंध में शास्त्रों में कुछ लेना देना नहीं है ।
हर हर महादेव