जन्म कुंडली और एकादश भाव
( संपूर्ण शोध पर आधारित, पोस्ट पुरा पढ़ें और लाभ प्राप्त करें )
एकादश भाव आय का है, लाभ का है, आपके द्वारा अर्जित की गई संपत्ति का है, आप जो कमा रहे हैं दैनिक यह एकादश भाव है ...
और इसको हम चल संपत्ति भी कहते हैं, एक जातक महीने में कितना कमा लेता है यह एकादश भाव है... जिसको current Assets भी कहते हैं
वही अचल संपत्ति यानी Fixed Asset जो है वह कुंडली का द्वितीय भाव है यानी आपके पास कितना अचल संपत्ति है जमीन, मकान, फिक्स डिपाजिट, यह सब कुंडली का द्वितीय भाव है जबकि करंट ऐसेट आपका प्रतिदिन का आय इससे कुंडली का एकादश भाव से देखा जाता है
जन्म कुंडली में जब भी हम धन योग की बात करते हैं तो एकादश भाव की चर्चा जरूर होती है अगर कुंडली में आपका कहीं पर भी धनेश और लाभेश एक दूसरे को देख रहा हो या फिर इस दोनों की युति हो तो जातक धनवान होगा ।।
अगर यह परिस्थिति लग्न कुंडली और चंद्र कुंडली दोनों में होगी यानी लग्न कुंडली और चंद्र कुंडली दोनों से धनेश लाभेश एक दूसरे को देखे या धनेश लाभेश की युति हो तो जातक महा धनी होगा
अब इस परिस्थिति में थोड़ा और गहराई से जाते हैं अगर धनेश लाभ भाव में हो या लाभेश धन भाव में हो यह परिवर्तन भी जातक को महा धनी बनाता है
एकादश भाव आय का है तो एकादश भाव से एकादश होकर नवम भाव भी आय का ही समझें, जब एकादश भाव का स्वामी नवम भाव में बैठ जाए या नवम भाव का स्वामी एकादश भाव में बैठ जाए तो इससे भी धन की प्रचूर परिस्थिति को माना जाता है
सबसे अच्छी स्थिति धन भाव का स्वामी का भाग्य भाव में बैठना या भाग्य भाव का स्वामी का धन भाव में बैठना है...
यानी धनेश अगर भाग्य भाव में बैठा हो या भाग्येश धन भाव में बैठा हो...
ऐसी परिस्थिति में पैतृक संपत्ति प्रचुर प्राप्त होती है क्योंकि कुंडली का नवम भाव पिता का भी होता है इसलिए अगर भाग्य भाव का स्वामी यानी भाग्येश धन भाव में बैठे तो ऐसी स्थिति में जातक को पैतृक संपदा अवश्य प्राप्त होती है
चर्चा हो रही है कुंडली के एकादश भाव पर एकादश भाव का स्वामी यानी लाभेश अगर लाभ भाव को देखें या लाभ भाव में कोई ग्रह स्वराशि का बैठे तो यह भी धन के लिए बहुत अच्छी स्थिति मानी जाती है
जैसा कि पिछली पोस्ट में बताया गया है कि कोई भी ग्रह सिर्फ अपनी महादशा में फल देती है अतः उपरोक्त व्यवस्था बनी हुई हो और धनेश या लाभेश की महादशा चले तो जातक लक्ष्मी के समान जीवन जीता है
चुकी एकादश भाव छठा भाव से छठा होता है और एकादश भाव से रोग की स्थिति भी देखी जाती है इसीलिए यह सामान्य तौर पर देखा जाता है कि लाभेश की महादशा चल रही हो तो धन संपदा तो प्रचुर रहती है पर कहीं न कहीं से जातक को रोगी भी बनाता है
एकादश भाव में अगर राहु बैठा हो तो यह जीवन में एक बार प्रचुर धन अवश्य देता है अकास्मिक रूप से इतना धन देता है कि जातक की कल्पना से यह उस परे होता है
एकादश भाव में पाप ग्रह बली हो जाता है यानी एकादश भाव में राहु शनि मंगल का बैठना बहुत अच्छा माना जाता है
अष्टमेश अगर एकादश भाव में बैठ जाए तो ऐसा जातक भले ही सामान्य परिवार में क्यों न जन्म लिया हो वह अपने पराक्रम से पद प्रतिष्ठा और अपने कुल खानदान का नाम सुशोभित करता है
यानी ऐसा जातक झोपड़ी में भी क्यों न पैदा हो वह 1 दिन महलों पर राज अवश्य करता है
कोई भी कुंडली हो अगर एकादश भाव का स्वामी एकादश में बैठा हो , लाभेश लाभ भाव में ही स्वराशि का बैठा हो तो वह जातक धनवान आजीवन रहता है
उपरोक्त व्यवस्था बन रही हो और धनेश लाभेश की महादशा चल रही हो तो ऐसा जातक प्रचुर धन संपदा का स्वामी होता है या तो सरकारी नौकरी में उच्च पद पर होता है या बहुत बड़ा व्यापारी होता है
यह शोध है कि जितने भी लोग जो बहुत बड़े व्यापारी हैं, या फिर उच्च पद पर सरकारी नौकरी कर रहे हैं, या फिर कोई बहुत बड़े सेलिब्रिटी हैं सब की कुंडली में कहीं न कहीं से धनेश लाभेश की युति बनी हुई है और महादशा धनेश लाभेश की ही चल रही है...
बात लाभेश की हो और चर्चा राहु की ना हो या तो हो ही नहीं सकता, अगर राहु की महादशा चल रही हो और राहु लाभेश के नक्षत्र में बैठा हो और फिर तो या अपनी महादशा में इतना धन देता है कि जातक उसके बारे में सोच भी नहीं सकता
इसका मिसाल आप इस तरीका से समझें
आप दिल्ली में रहते हो और आपको मद्रास जाना हो, दिल्ली से मद्रास की दूरी 2200 किलोमीटर है
अब आपके पास विभिन्न यातायात का साधन है
अगर आप दिल्ली से साइकिल से चलकर मद्रास की दूरी तय करते हैं तो यहां पर रिस्क सबसे कम होगा क्योंकि अगर साइकिल से गिर भी गए तो मामूली चोट लगेगा पर मद्रास पहुंचने में शायद आपको 1 सप्ताह का समय लगे
अगर आप कार से मद्रास जाते हैं तो शायद आप 2 दिन में पहुंच जाएं पर फिर भी रिस्क थोड़ा होगा
पर अगर आप रेल से मद्रास जाएं तो शायद आप 24 घंटे में पहुंच जाए पर यहां पर रिस्क और भी ज्यादा होगा शायद दुर्घटना होने पर जान बच भी जाए या न भी बचें
पर अगर आप हवाई जहाज से यात्रा करते हैं और मद्रास जाते हैं तो यह तय है कि आप मद्रास 2 घंटे में पहुंच जाएंगे पर रिस्क भी इतना ज्यादा है कि उतनी ऊंचाई से गिरने के बाद शायद बचना भी मुश्किल ना हो
कहने का तात्पर्य है कि जितने बड़े यातायात के साधन का आप इस्तेमाल कर रहे हैं रिस्क तो उतना बड़ा होगा ही पर डेस्टिनेशन भी बहुत जल्दी आप हासिल कर लेते हैं
साइकिल से यात्रा करने पर रिस्क सबसे कम है पर वह डेस्टिनेशन में पहुंचने में 1 सप्ताह का समय लग रहा है, वहीं अगर आप वायुयान से यात्रा कर रहे हैं तो रिस्क सबसे हाई है पर मंज़िल आप 2 घंटे में हासिल कर ले रहे हैं
राहु का यही कार्य होता है,
Chemistry subject में एक टॉपिक होता है catalyst...
अपने पढ़ा भी होगा
Catalyst का कार्य होता है, Reaction Rate को बढ़ाना
यानी जो कार्य समान गति से हो रही है उसको दुगने शक्ति के साथ बढ़ाना
राहु भी Catalyst का ही कार्य करता है
मतलब लाभेश अगर लाभ भाव में बैठा हो तो वह लाभेश अपनी महादशा में रेल या कार से यात्रा करके आपको लाभ पहुंचाएगा
और शायद लाभ पहुंचाने में विलंब भी करें
पर राहु अगर लाभेश के नक्षत्र में बैठा हो तो वह कैटालिस्ट का कार्य करके 2 गुना या 100 गुना लाभ आपको दे देगा वह भी वायुयान की यात्रा की तरह घंटों में ....
पर राहु की लड़ाई चुकी आर या पार की होती है इसलिए राहु अगर लाभेश के नक्षत्र में बैठा हो तो रिस्क भी प्रचुर होगा पर संभवत आप जो बाकी लोग 24 घंटे या 48 घंटे में उस डेस्टिनेशन को प्राप्त कर रहे हैं आप वह डेस्टिनेशन को महज 1 घंटे में प्राप्त कर लेंगे
जितना लो डेस्क उतनी देरी से कामयाबी और जितना हाई रिस्क उतनी जल्दी कामयाबी.....
Er. Bibhash Mishra
Research Scholar
Consultant