💐कुंडली का अष्टम भाव💐
👍जन्म कुंडली के 👍भाव👌 फलादेश के क्रम में आज चर्चा करते है कुंडली के 👍अष्टम 👌 भाव के विषय पर !
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💐 ज्योतिष में किसी भी जन्म पत्रिका नमे अष्टम भाव का महत्व किसी भी प्रकार से कम नही है अष्टम भाव त्रिक(6, 8, 12) भावों में सर्वाधिक अशुभ स्थान माना गया है|
💐अष्टम भाव की अशुभता जातक की क्षीण आयु/ स्वास्थ्य, #वैवाहिक सुख की कमी तथा अन्य कठिनाइयों के कारण सुखों में कमी करती है। #द्वादश भाव की अशुभता सभी प्रकार के सुख, वैभव, धन तथा# शैय्या #सुख का नाश करती है। षष्ठम्, #अष्टम् व द्वादश भावों को 'त्रिक' भाव की संज्ञा दी गई है। ... इस स्थिति को #'विपरीत राजयोग'# की संज्ञा दी गई है।
💐 जन्म पत्रिका का अष्टम भाव तो अशुभ है ही, कोई भी ग्रह इसका स्वामी होने पर अशुभ भावेश हो जाता है| नवम भाव(भाग्य, धर्म व यश) से द्वादश(हानि) होने के कारण अष्टम भाव मृत्यु या निधन भाव माना गया है| क्योंकि भाग्य, धर्म व प्रतिष्ठा का पतन हो जाने से मनुष्य का नाश हो जाता है|
💐जन्म पत्रिका के अष्टम भाव से आयु की #अंतिम सीमा, #मृत्यु का स्वरूप, #मृत्युतुल्य कष्ट, आदि का विचार किया जाता है| इसके अतिरिक्त यह भाव# वसीयत# से लाभ, पुरातत्व, अपयश, गंभीर व दीर्घकालीन रोग, चिंता, संकट, दुर्गति, अविष्कार,# स्त्री का #मांगल्य(सौभाग्य),# स्त्री का धन व दहेज़,आदि का विचार भी अष्टम भाव से ही किया जाता है
💐मनुष्य को जीवन में पीड़ित करने वाले स्थाई प्रकृति के #घातक रोग भी अष्टम भाव से देखे जाते हैं| #आकस्मिक घटने वाली गंभीर दुर्घटनाओं का विचार भी अष्टम भाव से किया जाता है|
💐#भावत भावम #सिद्धांत के अनुसार किसी भी भाव का स्वामी यदि अपने भाव से #अष्टम स्थान में हो या किसी भाव में उस भाव से #अष्टम स्थान का स्वामी आकर बैठ जाए अथवा कोई भी भावेश अष्टम स्थान में स्थित हो तो उस भाव के फल का नाश हो जाता है|
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👍अष्टम भाव तथा अष्टमेश की कल्पना ही मनुष्य के मन में अशुभता का भाव उत्पन्न कर देती है| परंतु ऐसी बात नहीं है अष्टम भाव के कुछ विशिष्ट लाभ भी हैं|
👍👍👍किसी भी स्त्री की कुंडली में अष्टम भाव का सर्वाधिक महत्व होता है| क्योंकि यह भाव उस नारी को #विवाहोपरांत प्राप्त होने वाले सुखों का सूचक है| इस भाव से एक विवाहित स्त्री के #मांगल्य(सौभाग्य) अर्थात उसके पति की आयु कितनी होगी तथा# वैवाहिक# जीवन की अवधि कितनी लंबी होगी, इसका विचार किया जाता है| यही कारण है कि इस भाव को #मांगल्य स्थान भी कहा जाता है|
👍👍👍 अष्टम भाव एक सर्वाधिक अशुभ भाव है| इसके साथ साथ छठा, बारहवां भाव भी अशुभ माने गए हैं| यदि अष्टम भाव का स्वामी छठे अथवा बाहरवें भाव में बैठा हो और केवल पाप ग्रहों से प्रभावित हो तो #विपरीत राजयोग का निर्माण करता है| जिसके फलस्वरूप मनुष्य को #अत्यंत धन-संपति की प्राप्ति होती है
👌👌👌अष्टम भाव एक# नाश# स्थान है इसलिए इसे #निधन भाव भी कहते हैं| जिस भाव का स्वामी इस भाव में आ जाता है, उस भाव संबंधित विषयों को हानि पहुँचती है
👌👌 यदि अष्टम भाव तथा अष्टमेश पर शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो स्त्री का पति #दीर्घायु होता है तथा ससुराल पक्ष से भी उस स्त्री को पूर्ण सुख मिलता है|
👍👍उत्तराधिकार व# अनार्जित# धन- #वसीयत या# पैत्रिक #संपति का विचार भी अष्टम भाव से किया जाता है
👌👌अगर जातक की कुंडली में #ेएकादशेश, द्वितीयेश तथा# चतुर्थेश का संबंध अष्टम भाव व अष्टमेश से बनता है तब मनुष्य को अपने पूर्वजों की# विरासत, #पैत्रिक धन संपति व जायदाद प्राप्त होती है
💐💐फ़तेह चंद शर्मा 💐💐