💐💐"## तलाक 💐💐## योग पर !
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💐 विवाह बंधन समाज के सभी मंगलीक कार्यो में विशेष# महत्व रखता है पति #- पत्नी का सहचर्य - सुखद #दाम्पत्य की अभिलाषा - #सात फेरों में लिए गए वचन - सुख - दुख में साथ निभाने की कसमें लिये दम्पति नव जीवन की शुरुवात करता है ! आखिर क्या कारण है कि इसके बावजूद भी पति - पत्नी उस मोड़ पर खड़े हो जाते है जिसे #तलाक की संभावना बनजाती है या अलगाव (तलाक ) हो जाता है !
💐 इसके मुख्य ज्योतिष्य कारण !!
👍(1) यदि किसी जातक / जातिका कुंडली के सातवें भाव का स्वामी और# बाहरवें भाव का स्वामी एक साथ दसवें भाव में हो तो तलाक हो ने के प्रबल योग बनते है!
(2) यदि जातक / जातिका कीकुंडली के सातवें भाव में अशुभ ग्रह हो और #चंद्रमा के साथ शुक्र भी पीड़ित हो तो तलाक के योग बनते हैं।!
(3) यदि किसी जातक / जातिका ककुंडलीीसातवें भाव में स्थित सूर्य पर शनि के साथ #शत्रु ग्रह की दृष्टि होने से तलाक के योग बनते हैं।
👍(4) यदि लग्न कुंडली मेकुंडली के बारहवें भाव में बैठें# सप्तम भाव के स्वामी से #राहु की युति हो तो तलाक हो ने के योग बनते है
(5) यदि किसी जातक / जातिका की कुंडली मे#बारहवें भाव के स्वामी की# चतुर्थ भाव के स्वामी से युति हो रही हो और #चतुर्थेश कुंडली के छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो तब पति-पत्नी का अलगाव हो जाता है.
( 6)यदि किसी जातक / जातिका की कुंडली #मेसप्तमेश व द्वादशेश का आपस में राशि परिवर्तन हो रहा हो और इनमें से किसी की भी राहु के साथ युक्ति हो रही हो.तो तलाक होने की संभावना से इनकार निहि किया जासकता है !
(7) यदि लग्न कुंडली मेजन्म लग्न में #मंगल या शनि की राशि हो और उसमें #शुक्र लग्न में ही स्थित हो, सातवें भाव में सूर्य, #शनि या राहु स्थित हो तब भी अलगाव के योग बनते है
(👍8) जन्म कुंडली में 6, 7, 8, 12 भाव के अशुभ माना जाता है, साथ ही #मंगल शनि राहू - केतु और सूर्य ग्रहों को भी काफी खतरनाक माना जाता है. इनकी स्थिति बिगड़ने से दांपत्य जीवन के सुख में बाधा आने लगती है जो तलाक तक पहुँच जाती है.!
(9) कुंडली मे यदिसप्तम भाव, सप्तमेश एवं# कारक ग्रहों का पापी ग्रहों से# युति या दृष्टि दाम्पत्य जीवन में कटुता करता है। सूर्य, शनि, मंगल एवं राहु (पापी ग्रह) दाम्पत्य जीवन में अलगाव लाते हैं। !
(10) कुंडली मे यदिबृहस्पति :#बृहस्पति पति सुख का कारक होकर यदि सप्तम भाव में स्थित हो, जातका के पति सुख में कमी रहेगी।
(11) यदि किसी जातक / जातिका की कुंडली# मेमंगल छठे, आठवे एवं बारहवें भाव में हो सप्तमेश द्वितीय स्थान पर हो और सप्तम स्थान पर #राहु व सूर्य की दृष्टि हो, तो तलाक के बाद दूसरा विवाह होता है!!
(12) यदि कुंडली मे#सप्तमेश केतु के साथ होने पर भी दाम्पत्य जीवन में कहीं न कहीं बाधा का कारण बनता है। सप्तमेश पाप ग्रहों के साथ दृष्टि संबंध या युति करें, तब भी सुख नहीं मिलता। #सप्तमेश मृत अवस्था में हो या **वक्री हो या ***अस्त हो तब भी दाम्पत्य जीवन में कहीं न कहीं बाधा का कारण बनता है।
(13) ज्योतिष शास्त्रों में**सप्तम भाव** जीवनसाथी का भाव माना गया है। इससे दाम्पत्य जीवन का सुख-दुख देखा जाता है। सप्तम भाव का स्वामी यदि #षष्टम, अष्टम या दशम भाव में गया हो तो दाम्पत्य जीवन बाधा का कारक बनता है।!
💐 ज्योतिष एक अनन्त विद्या है जिसका कोई अंत नहीँ है इसके अलावा भी बहुत से अन्य कारण ज्योतिष् में विवाह बाधा - तलाक के बनते है !
💐 इस सब मे जातक / जातिका के कुंडली मे खराब ग्रहो की दशा - #अंतर दशा का भी बहुत महत्व होता है ! अगर पति - पत्नी में किसी ग्रह स्थिति के कारण अलगाव कीस्थिति बनती है तो अगर कुण्डली के खराब ग्रह की दशा में पति - पत्नी संयम रखें तो इस स्थिति को टाला भी जा सकता है
👍सभी जातक /जातिका से निवेदन है कि msg in box में sirf fee paid service वाले जातक ही सम्पर्क करें व्यर्थ में time के लिये post न करे
💐 ग्रुप के सभी ज्योतश्चर्य का पूर्ण प्रयास जातक की groop की पोस्ट पर ही answer देने का रहता है !
👍👍Note ;group में अपने प्रश्न के साथ लग्न व नवमांश chart post करे जिससे जल्दी से ज्यादा से ज्यादा जातक /जातिका को answer दिया जा सके
👍👍👍1 अगर केतु हो तो ??
2इसमें बताये ?? 3 इसमें क्या लगता है
आदि --आदि ----!
ऐसे किसी भी अधूरे प्रश्न का answer देना सम्भव नही होता है
💐💐 फ़तेह चंद शर्मा 💐💐