चंद्रमा का मनुष्य के जीवन पर जो प्रभाव पड़ता है वह बताती हूं आज
जातक की कुंडली में अगर चंद्रमा बलि यानी कुंडली के प्रथम, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम, दशम भाव में स्वराशि यानि अपनी कर्क राशि या अपनी उच्च राशि वृषभ राशि में विराजमान हो, तो जातक की, मानसिक अवस्था बहोत ही श्रेष्ट होती है, चाहे उसकी शारीरिक ताकत कितनी ही कमजोर क्यूँ ना हो, वो अपने मजबूत इरादों से जित हासिल कर लेता है.
बलि या स्वराशि चंद्रमा की कुंडली में मजबूत स्थिति :
किसी भी जातक को अपनी कुंडली में स्थित बली चंद्रमा सफलता की सीढ़ियों पर ले जाने के लिए हमेशा मददगार साबित होता है. चंद्रमा से पीड़ित जातक अगर चंद्रमा का मंत्र जाप तथा उनके उपाय करे तो पीड़ित जातक को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी. लेकिन पीड़ित ग्रह का प्रभाव पूर्ण रूप से कभी ख़त्म नहीं होगा.
चंद्रमा का स्थान नौ ग्रहों में सूर्य के बाद आता है, इसलिए चंद्रमा मनुष्य जीवन पर सबसे ज्यादा प्रभाव करनेवाला ग्रह माना जाता है. नौ ग्रहों की तुलना में चन्द्रमा की गति, सबसे अधिक होने के कारन चंद्रमा का प्रभाव भी मनुष्य पर सबसे तेज होता है, और उतने ही जल्दी प्रभाव से मुक्त भी हो जाता है
वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा मनुष्य का मन, मानसिक स्थिति, मनोबल, द्रव्य वस्तुओं, यात्रा, सुख-शांति, धन-संपत्ति, माता, छाती, ह्रदय आदि का कारक होता है.
चंद्रमा बारा राशियों में कर्क और नक्षत्रों में रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी होता है. इसका आकार भले ही सबसे छोटा हो, लेकिन इसकी गति सबसे तेज है. इसलिए चंद्रमा के गोचर की अवधि सबसे कम है. चन्द्रमा लगभग सव्वा दो दिनों में एक राशि से दूसरे में प्रवेश करता है
चंद्रमा का मनुष्य जीवन पर पड़नेवाला प्रभाव :
जातक की कुंडली में अगर चंद्रमा बलि यानी कुंडली के प्रथम, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम, दशम भाव में स्वराशि यानि अपनी कर्क राशि या अपनी उच्च राशि वृषभ राशि में विराजमान हो, तो जातक की, मानसिक अवस्था बहोत ही श्रेष्ट होती है, चाहे उसकी शारीरिक ताकत कितनी ही कमजोर क्यूँ ना हो, वो अपने मजबूत इरादों से जित हासिल कर लेता है.
बलि या स्वराशि चंद्रमा की कुंडली में मजबूत स्थिति :
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