यदि कुंडली के किसी भी भाव में मंगल का राहु अथवा केतु से स्थान अथवा दृष्टि से संबंध बन जाए तो ऐसी कुंडली में अंगारक योग का निर्माण हो जाता है, जिसके प्रभाव से जातक आक्रामक, हिंसक तथा नकारात्मक छवि का हो जाता है.
इस योग वाले जातकों के अपने भाईयों, मित्रों तथा अन्य रिश्तेदारों के साथ संबंध भी खराब हो जाते हैं. कुछ ज्योतिषी यह मानते हैं कि किसी कुंडली में अंगारक योग बन जाने पर जातक अपराधी बन जाता है तथा उसे अपने गैर-कानूनी कार्यों के चलते लंबे समय तक कारावास में भी रहना पड़ सकता है.
किसी जातक को अंगारक योग के अशुभ फल तभी प्राप्त होते हैं जब कुंडली में अंगारक योग बनाने वाले मंगल, तथा राहु अथवा केतु दोनों ही अशुभ भाव 6,8, 12 में हों. यदि किसी कुंडली के तीसरे भाव में अशुभ मंगल का अशुभ राहु अथवा अशुभ केतु के साथ युति व दृष्टि सम्बन्ध हो जाए तो ऐसी कुंडली में निश्चय ही अशुभ फल प्रदान करने वाले अंगारक योग का निर्माण हो जाता है जिसके चलते इस योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक आक्रामक तथा क्रोधी स्वभाव के होते हैं. तथा कुंडली में कुछ अन्य पाप ग्रहों के अशुभ प्रभाव होने पर ऐसे जातक भयंकर अपराधी, पेशेवर हत्यारे तथा आतंकवादी आदि भी बन सकते हैं.
इसके अतिरिक्त यदि कुंडली में मंगल तथा राहु - केतु में से किसी के केंद्र व त्रिकोण में होने की स्थिति में जातक को अधिक अशुभ फल प्राप्त नहीं होते और अंगारक योग के उपाय करने से संकट दूर हो जाता है.
किसी कुंडली के तीसरे भाव के साथ विशेष रूप से केंद्र व त्रिकोण में शुभ मंगल का शुभ राहु अथवा शुभ केतु के साथ संबंध हो जाने से कुंडली में बनने वाला अंगारक योग शुभ फलदायी होगा जिसके प्रभाव में आने वाले जातक उच्च पुलिस अधिकारी, सेना अधिकारी, कुशल योद्धा आदि बन सकते हैं, जो सम्मानजनक तरीके से अपनी सेवाकाल पूरा करते हैं.
बहुत सी कुंडलियों के अध्ययन में पाया गया है कि अंगारक योग के प्रभाव में आने वाले विभिन्न जातकों को इस योग के शुभ अशुभ भिन्न भिन्न प्रकार के फल मिलते हैं जो मुख्य रूप से इन जातकों की कुंडलियों में अंगारक योग बनाने वाले मंगल तथा राहु अथवा केतु के स्वभाव, बल तथा स्थिति आदि पर निर्भर करते हैं.
कुंडली में अशुभ मंगल तथा अशुभ राहु अथवा केतु के संयोग से बनने वाला अंगारक योग सबसे अधिक अशुभ फलदायी होता है जबकि इन दोनों ग्रहों में से किसी एक के शुभ हो जाने की स्थिति में यह योग उतना अधिक अशुभ फलदायी नहीं रह जाता. उदाहरण के लिए किसी कुंडली के छठे घर में अशुभ मंगल तथा शुभ राहु के स्थित हो जाने से बनने वाला अंगारक योग जातक को क्रोधी नहीं बनाता तथा न ही किसी प्रकार के रोग से पीड़ित रहता है.
इसी प्रकार कुछ नेताओं की कुंडली में शुभ मंगल तथा शुभ राहु अथवा केतु के संबंध से बनने वाला अंगारक योग उन्हें भ्रष्ट नेता न बनाकर शुभ फलदायी होता है, जिसके शुभ प्रभाव से जातक अपनी सेवा, निष्ठा व भागदौड़ से क्षेत्र व समाज में, सरकार में उचित स्थान प्राप्त करते हैं.
एक अन्य उदाहरण, यदि किसी की कुंडली में शुभ मंगल तथा अशुभ राहु के वृश्चिक राशि में स्थित होने से अंगारक योग का अशुभ प्रभाव अपेक्षाकृत कम रहेगा क्योंकि वृश्चिक राशि में मंगल देव बलवान हो जाते हैं जबकि इस राशि में स्थित होने पर राहु का बल बहुत कम हो जाता है जिसके कारण ऐसा बलहीन राहु बलवान मंगल पर बहुत अधिक अशुभ प्रभाव नहीं डाल पाता.
कुंडली में अंगारक योग के अशुभ फल तभी प्राप्त होते हैं जब इस योग का निर्माण करने वाले मंगल, राहु या केतु दोनों ही अशुभ स्थान में हों. इसके अलावा यदि कुंडली में मंगल तथा राहु-केतु में से कोई भी शुभ स्थान में है तो जातक के जीवन पर अधिक नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता.
अशुभ अंगारक योग के लक्षण
अंगारक योग की पहचान जातक के आचरण से ही की जा सकती है. इसकी बातचीत के तरीके से, रहन-सहन से इस योग के प्रभाव को परखा जाता है.
⦁ जातक अत्यधिक क्रोध करने लगता है.
⦁ वह अपना कोई भी निर्णय नहीं ले पाता हैं लेकिन जातक दुसरे पर हमेशा सन्देह करता है.
⦁ स्वभाव से यह जातक अन्य को सहयोग देने में भ्रमित रहते हैं.
⦁ इस योग के प्रभाव में जातक सरकारी संसाधनों का दुरपयोग करने से पीछे नहीं हटता है .
⦁ अंगारक योग के कारण जातक का स्वभाव नकारात्मक हो जाता है.
⦁ इस योग के प्रभाव में जातक के अपने भाईयों, मित्रों तथा अन्य संबंधियों से व्यवहार बिगाड़ लेता है.
⦁ अंगारक योग होने से धन की कमी रहती है.
⦁ इसके प्रभाव में जातक की छोटी-मोटी दुर्घटना में चोट लगती रहती है.
⦁ वह विशेष रूप से पेट रोगों से ग्रस्त रहता है.
⦁ उसे लगता है कि उसके शत्रु उस पर तंत्र-मन्त्र या काले जादू का प्रयोग करते हैं.
⦁ व्यापार और वैवाहिक जीवन पर भी अंगारक योग का बुरा प्रभाव पड़ता है.
⦁ अंगारक योग, में मुख्य रूप से सम्मिलित मंगल ग्रह अग्नि का, ऊर्जा का, कठोर अनुशासन का कारक है. कुंडली में इस योग के बनने पर जातक क्रोध से उत्पन्न विवाद में और कई महत्वपूर्ण कार्यों में समय पर निर्णय न कर पाने के असमंजस में फंसा रहता है.
⦁ अशुभ अंगारक योग के कारण क्रोध, अग्निभय, दुर्घटना, रक्त से संबंधित रोग और स्किन की समस्याएं मुख्य रूप से होती हैं
अंगारक योग शुभ और अशुभ दोनों तरह का फल देने वाला होता है. कुंडली में इस योग के बनने पर जातक अपने परिश्रम से नाम और पैसा जरूर कमाता है, परन्तु इस योग के प्रभाव में मंगल, राहू, केतु की दशा व अंतर में व्यक्ति के जीवन में कई बड़े उतार-चढ़ाव में बहुत कुछ खोता भी है.
क्या करें अगर कुंडली में राहु-मंगल हों साथ-साथ ?
अंगारक योग के बुरे प्रभाव से बचने के सरल उपाय
⦁ इस योग के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए मंगलवार के दिन व्रत रखने से लाभ होगा.
⦁ इसके अलावा भगवान शिव के पुत्र कुमार कार्तिकेय की आराधना करें.
⦁ हनुमान जी की आराधना करने से ये दोनों ग्रह पीड़ामुक्त होते हैं, यह एक उत्तम उपाय है.
⦁ राहु के बीज मंत्र का उच्चारण करना लाभकारी होगा.
⦁ मंगल और राहु की शांति के लिए निर्दिष्ट दान करना लाभकारी होता है.
⦁ आंवारा कुत्तों को मीठी रोटी खिलाएं.
⦁ घर पर राहु ग्रह की शांति हेतु पूजा रखें.
⦁ चंद्रमा के रोहिणी नक्षत्र में गोचर करने पर देवी लक्ष्मी की पूजा करें.
⦁ जातक को मेडिटेशन (ध्यान) से लाभ होगा.
⦁ किसी भी प्रकार के वाद-विवाद से दूर रहें.
⦁ सत्संग का आयोजन करें और अपने गुरु को घर पर बुलाएं.
⦁ किसी धार्मिक स्थल जाकर भगवान की आराधना करें.
⦁ चांदी का पेंडेंट धारण करने से लाभ होगा.
⦁ रोज़ शाम को घर में घी का दीया जलाकर शांति पाठ
👉🏻 क्या प्रभाव होता है कुंडली के बारह घरों में मंगल-राहु अंगारक योग का?
1- कुंडली के पहले घर में मंगल-राहु अंगारक योग होने से पेट के रोग और शरीर पर चोट का निशान देखने को मिलता है.
उपाय - रेवडिय़ां, बताशे पानी में बहाएं.
2- कुंडली के दूसरे भाव में अंगारक योग होने से धन संबंधित उतार चढ़ाव आते हैं. ऐसे लोग धन के मामलों में जोखिम लेने से नहीं घबराते हैं.
उपाय - चांदी की अंगूठी बाएं हाथ की छोटी अंगुली ( बुध की अंगुली ) में पहनें.
3- जिन जातक की कुंडली के तीसरे भाव में ये योग होता उनको भाइयों और मित्रों से सहयोग मिलता है और वे मेहनत से पैसा, मान सम्मान कमाते हैं, किन्तु अशुभ प्रभाव होने से विपरीत फल मिलती है. सभी से अनबन हो जाती है.
उपाय - घर में चांदी की डिब्बी में हाथी दांत रखें.
4- कुंडली के चौथे भाव में ये योग होने से माता के सुख में कमी आती है और भूमि संबंधित विवाद चलते रहते हैं.
उपाय- पञ्च धातु से बने नाग को घर दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखें और मंगलवार के दिन सोना, चांदी और तांबा तीनों को मिलाकर अंगूठी धारण करें.
5- कुंडली के पांचवें भाव में अंगारक योग जातक को जुए, सट्टे, लॉटरी और शेयर बाजार में लाभ दिलाता है. परन्तु संतान पक्ष से कष्ट रहता है.
उपाय- रात को सिरहाने मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर रखें और सुबह उठते ही पेड़-पौधों में डालें.
6- जिन जातक की कुंडली के छठे घर में मंगल-राहु एक साथ होते हैं ऐसे लोग ऋण लेकर उन्नति करते हैं. यदि चंद्रमा भी पीड़ित हो तो अच्छे वकील और चिकित्सक भी इसी योग के कारण बनते हैं. परन्तु ऋण से मुक्ति में परेशानी होती है.
उपाय- कन्याओं को दूध पिलाए और उन्हें चांदी से बने आभूषण भेंट करें या उन्हें वस्त्र का दान दें.
7- कुंडली के सातवें भाव में अंगारक योग साझेदारी के काम में फायदा दिलाता है, परन्तु वैवाहिक जीवन में मन मुटाव पैदा करता है.
उपाय - चांदी की ठोस गोली अपने पास रखें.
8- जिन जातक की कुंडली के आठवें भाव में अंगारक योग बनता है, ऐसे जातकों को कुछ कठनाईयों के बाद वसीयत में सम्पत्ति मिलती है. परन्तु ऐसे व्यक्तियों को अग्नि व शस्त्र से मृत्यु भय का खतरा होता है.
उपाय - मंगल व शनिवार को एक तरफ सिकी हुई मीठी रोटियां कुत्तों को डालें.
9- यदि कुंडली के भाग्य स्थान में ये योग बनता है तो ऐसे लोग कर्म से भाग्य उदय होता है, कभी- कभी बहुत प्रयास के बाद भी सुअवसर हाथ से निकल जाते है. ये लोग कुछ रूढ़ीवादी परम्परा व ठगी के शिकार भी हो जाते हैं.
उपाय- मंगलवार को हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं.
10- दसवें भाव में अंगारक योग जिन लोगों की कुंडली में होता है वो लोग रंक से राजा बन जाते हैं. परन्तु अपने उच्चस्थ अधिकारीयों का उचित सहयोग नही मिल पाता है.
उपाय- मूंगा रत्न धारण करें. घर पर हनुमान जी का झंडा लगाएं.
11- कुंडली के लाभ भाव यानि ग्यारहवें भाव में अंगारक योग होने से प्रॉपर्टी से लाभ मिलता है, किन्तु शत्रु निरंतर परेशान करते हैं.
उपाय - मिट्टी के बर्तन में सिन्दूर रख कर, उसे घर के दक्षिण दिशा में भूमि के नीचे दबाए या लकड़ी के बक्से में रखे.
12- बारहवें भाव में अंगारक योग होता है उन लोगों का पैसा विदेश में जमा होता है. ऐसे लोग रिश्वत के मामले में बदनाम हो जाते हैं, कभी कभी लम्बे अभियोग व जेल यात्रा की भी सम्भावना हो जाती है.
उपाय- पलंग का त्याग करें, केवल भूमि पर ही सोए और रोज सुबह उठकर खाली पेट थोड़ा शहद खाएं.
जन्म कुण्डलिनी ना और अंगारक दोष के लक्षण जीवन में घट रहे हो तो विशेष रूप से ये उपाय करें, जिनके करने से अंगारक योग के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है
1- अंगारक दोष की शांति हेतु मंगल देवता का पूजन करना चाहिये. या देवी का उपासना से भी मंगल व केतु के दोषों को दूर किया जा सकता हैं.
2- शिवलिंग को नित्य दूध से स्नान करायें.
3- मोती धारण करना लाभदायक होता हैं. मूंगा धारण न करें.
4- छोटें बच्चों को हमेशा प्रसन्न रखें. सफेद वस्तु कॉफी, किताब, चॉक्लेट, आदि बॉटे.
5- ध्यान, योग तथा मंत्र जाप का प्रयोग करें.
6- तामसिक भोजन से दूर रहें. क्रोध व विवादों के निकट न जायें. किसी भी प्रक्रिया का तुरन्त प्रत्युत्तर न दें.
7- खेल-कूद, शारिरिक परिश्रम, ताकत वाले कार्य, सेना आदि से जुडना लाभदायक होता है.
8- अंगारक दोष के प्रभाव से बचने के लिये समय समय पर रक्त दान करते रहना चाहिये.
9- गरीबों को मंगलवार के दिन अनार बॉटें.
10- कनेर के पुष्पों को देवी का स्मरण कर जल में प्रवाहित करें.
ग्रहों के मंत्र की जप संख्या, द्रव्य दान की सूची आदि सभी जानकारी एकसाथ दी जा रही है। मंत्र जप स्वयं करें या किसी कर्मनिष्ठ ब्राह्मण से कराएं। दान द्रव्य सूची में दिए पदार्थों को दान करने के अतिरिक्त उसमें लिखे रत्न-उपरत्न के अभाव में जड़ी को विधिवत् स्वयं धारण करें, शांति होगी।
मंगल के लिए : समय- सूर्योदय से 48 मिनट तक।
कार्तिकेय या शिवजी की पूजा करें। कार्तिकेय या शिवजी के स्तोत्र का पाठ करें। मंगल के मंत्र का 44,440 हजार बार जाप करें।
मंत्र : 'ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः' मंत्र का जाप करें।
दान-द्रव्य : मूंगा, सोना, तांबा, मसूर, गुड़, घी, लाल कपड़ा, लाल कनेर का फूल, केशर, कस्तूरी, लाल बैल।
मंगलवार का व्रत करना चाहिए। कार्तिकेय पूजन करना चाहिए। रुद्राभिषेक करना चाहिए | 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।