☝ रामायण के पात्र ☝

रामायण हिन्दुओं का पूज्य ग्रन्थ है।रामायण के प्रमुख पात्रों के बारे में पूछा जाये तो हर इंसान यही कहेगा कि "हाँ जानता हूँ"

पर सच में हम में से कई लोग ,कई पत्रों के विषय में पूरा परिचय जानते ही नहीं।

इसलिए आज मैं इस संकलन के द्वारा आपको उनसे परिचित करवाने का प्रयास करता हूँ।

 

दशरथ – राम के पिता थे। वे इक्ष्वाकु वंश, जो कालान्तर में रघुवंश के नाम से प्रसिद्ध हुआ, प्रतापी राजा थे। उनकी राजधानी अयोध्या थी।

कौसल्या – राजा दशरथ की बङी रानी तथा राम की माता थीं। वे कोसल देश की राजकुमारी थीं।

सुमित्रा – दशरथ की मझली रानी तथा लक्ष्मण और शत्रुघ्न की माता थी्।

कैकयी – दशरथ की छोटी रानी तथा भरत की माता थीं।

सीता – मिथिला के राजा जनक की पुत्री एवं राम की पत्नी थीं।

उर्मिला – मिथिला के राजा जनक की पुत्री एवं लक्ष्मण की पत्नी थीं।

माण्डवी – राजा जनक के भाई कुशध्वज की पुत्री तथा भरत की पत्नी थीं।

श्रुतकीर्ति – राजा जनक के भाई कुशध्वज की पुत्री तथा शत्रुध्न की पत्नी थीं।

राम – राजा दशरथ एवं कौसल्या के पुत्र तथा सीता के पति थे।

लक्ष्मण – दशरथ एवं सुमित्रा के पुत्र तथा उर्मिला के पति थे।

भरत – दशरथ एवं कैकयी के पुत्र तथा मांडवी के पति थे।

शत्रुध्न – दशरथ एवं सुमित्रा के पुत्र तथा श्रुतकीर्ति के पति थे।

बालि – किष्किन्धा के राजा थे। वे रावण के मित्र तथा साढ़ू भी थे। उनमें साठ हजार हाथीयो का बल था।

सुग्रीव – बालि के छोटे भाई तथा राम के मित्र थे।

तारा – बाली की पत्नी तथा अंगद की माता थीं।

रुमा – सुग्रीव की पत्नी थीं। वे सुषेण वैद्य की पुत्री थीं।

अंगद – बाली एवं तारा के पुत्र थे।

विश्रवा – ऋषि पुलस्त्य के पुत्र तथा रावण के पिता थे।

रावण – ऋषि पुलस्त्य का पौत्र तथा विश्रवा एवं कैकसी का पुत्र था।

कुम्भकर्ण – रावण का भाई तथा विश्रवा तथा कैकसी का पुत्र था।

विभीषण – रावण का भाई तथा विश्रवा तथा राका का पुत्र था।

कैकसी – विश्रवा की पत्नी तथा रावण तथा कुंभकर्ण की माता थी।

राका – विश्रवा की पत्नी तथा विभीषण की माता थी।

मालिनी – विश्रवा की पत्नी और खर-दूषण त्रिसरा तथा शूर्पणखा की माता थी।

त्रिसरा – विश्रवा तथा मालिनी का पुत्र, खर-दूषण का भाई एवं सेनापति

शूर्पणखा – विश्रवा तथा मालिनी की पुत्री थी।

मंदोदरी – रावण की पत्नी तथा तारा की बहन थी।

मेघनाद – रावण का पुत्र था। इन्द्र को जीतने के कारण मेघनाद इन्द्रजित के नाम से भी जाना जाता है।

दधिमुख – सुग्रीव का मामा था।

ताङका – एक क्रूर राक्षसी थी जिसका राम ने वध किया था।

मारीच – ताङका का पुत्र था जिसने सीता-हरण में रावण की सहायता करने के लिए स्वर्ण-मृग का रूप धारण किया था।

सुबाहु – मारीच का साथी राक्षस था जिसका राम ने वध किया था।

सुरसा – सर्पो की माता थीं।

त्रिजटा – अशोक वाटिका की रक्षा करने वाली राक्षसियों की प्रमुख थी।

प्रहस्त – रावण का सेनापति था।

विराध – दंडक वन मे निवास करने वाला राक्षस था जिसका राम और लक्ष्मण ने वध किया था।

सिंहिका – लंका के निकट रहने वाली राक्षसी थी।

कबन्ध – दण्डक वन का एक दैत्य था जिसका राम ने वध किया था।

जाम्बवन्त – रीछों के राजा तथा वानर सेना के प्रमुख सेनापति थे।

जटायु – परम शक्तिशाली गिद्ध तथा राजा दशरथ का मित्र था जिसका वध रावण ने किया था।

संपाती – जटायु का बङा भाई था।

गुह – श्रंगवेरपुर के निषादों का राजा था जिसने राम को गंगा पार करवाया था।

हनुमान – केसरी के पुत्र, राम भक्त तथा सुग्रीव के मित्र थे।

सुषेण वैध – सुग्रीव के श्वसुर थे जिन्होंने लक्ष्मण की चिकित्सा की थी।

अहल्या – गौतम ऋषि की पत्नी थी जो शापवश शिला बन गई थीं तथा जिनका उद्धार राम ने किया था।

ऋष्यश्रृंग – ऋषि थे जिन्होने दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराया था।

वसिष्ठ – अयोध्या के सूर्यवंशी राजाओ के गुरु थे।

विश्वामित्र – राजा गाधि के पुत्र थे जिन्होंने घोर तपस्या करके ब्राह्मणत्व प्राप्त किया था। उन्होंने राम-लक्ष्मण को शस्त्रविद्या सिखायी थी।

सतानन्द – राजा जनक के राजपुरोहित थे।

युधाजित – भरत के मामा थे।

सुमन्त्र – दशरथ के प्रधानमन्त्री थे।

मंथरा – कैकयी की मुंहलगी कुबड़ी दासी थी।