🚩हरतालिका तीज व्रत विशेष जानकारी😊

  

भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज व्रत  रखा जाता है। इस साल यह व्रत 21 अगस्त 2020 को पड़ रहा है। हरतालिका तीज व्रत का उत्तर भारत में विशेष महत्व है। इस व्रत में महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए माता पार्वती और भगवान शिव की अराधना करती हैं। 

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, हरतालिका तीज व्रत में मिट्टी से बनी शिव-पार्वती प्रतिमा का विधिवत पूजन किया जाता है। इसके साथ ही हरतालिका तीज व्रत कथा को सुना जाता है। मान्यता है कि कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर के लिए इस व्रत को रखती है। कहते हैं कि एक बार व्रत रखने के बाद इस व्रत को जीवनभर रखा जाता है। बीमार होने पर दूसरी महिला या पति इस व्रत को रख सकता है। 

🚩हरतालिका तीज व्रत का विशेष महत्व-

शास्त्रों के अनुसार, हरतालिका तीज व्रत में कथा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि कथा के बिना इस व्रत को अधूरा माना जाता है। इसलिए हरतालिका तीज व्रत रखने वाले को कथा जरूर सुननी या पढ़नी चाहिये।

 🚩हरतालिका तीज व्रत कथा-🙏

शास्त्रों के अनुसार, हिमवान की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए बालकाल में हिमालय पर्वत पर अन्न त्याग कर घोर तपस्या शुरू कर दी थी। इस बात पार्वती जी के माता-पिता काफी परेशान थे। तभी एक दिन नारद जी राजा हिमवान के पास पार्वती जी के लिए भगवान विष्णु की ओर से विवाह का प्रस्ताव लेकर पहुंचे। माता पार्वती ने यह शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया।

पार्वती जी ने अपनी एक सखी से कहा कि वह सिर्फ भोलेनाथ को ही पति के रूप में स्वीकार करेंगी। सखी की सलाह पर पार्वती जी ने घने वन में एक गुफा में भगवान शिव की अराधना की। भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र में पार्वती जी ने मिट्टी से शिवलिंग बनकर विधिवत पूजा की और रातभर जागरण किया। पार्वती जी के तप से खुश होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था।

हरतालिका तीज की पूजा में इन चीजों की होगी जरूरत

हरतालिका तीज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पतियों की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है। यूपी, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़  और राजस्थान में भाद्रपद महीने की तृतीया तिथि को यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला रहकर अगले दिन व्रत का पारण करती हैं। सबसे पहले इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। इस व्रत में भगवान शिव-पार्वती के विवाह की कथा सुनी जाती है।

🚩*कल हरतालिका तीज पर हस्ती नक्षत्र का संयोग🚩

👉🏻महिलाएं एवं युवतियां निराहार रहती है चार प्रहर की पूजन होगी

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महिलाएं एवं युवतियों द्वारा रखा जाने वाला हरतालिका तीज का व्रत शुक्रवार को रहेगा

इस दिन मघा नक्षत्र  भी है देवी पार्वती ने शिव के लिए यह व्रत हस्त नक्षत्र  में किया था, मान्यता है कि इस योग में की पूजा आराधना से मनोकामना पूरी होती है

ज्योतिष की दृष्टि से भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि में होता है|

*पूजन के मुहूर्त*

*सुबह 7:41से 10:53 तक*

*दोपहर, 12:29 से 2:5 तक*

*शाम,5:15 से 6:52 तक*

*रात,9:40 से 11:6 व,12:29 से 3:16 तक

 

🚩पूजा साम्रगी🚩

भगवान शिव और पार्वती की मूर्ति रखने के लिए प्लेट

जिस पर पूजा की जाएगी लकड़ी का पाटा

लकड़ी के पाटे पर बिछाने के लिए लाल या पीले रंग का कपड़ा

पूजा के लिए नारियल

पानी से भरा कलश

आम के पत्ते

घी

दिया

अगरबत्ती और धूप

दीप जलाने के लिए देसी घी

आरती के लिए कपूर

पान के पत्ते

सुपारी

केले

दक्षिणा

बेलपत्र

धतूरा

शमी की पत्तियां

जनेऊ

चंदन

माता के लिए चुनरी

सुहाग का सामान

मेंहदी

काजल सिंदूर

चूड़ियां, बिंदी

गौर बनाने के लिए मिट्टी और पंचामृत

🚩हरतालिका तीज पर इस तरह करें पूजा और पढ़ें ये मंत्र🚩

हरितालिका तीज के मौके पर पूजे जाने वाले शिव-पार्वती एक ही विग्रह में होते हैं। साथ ही देवी पार्वती की गोद में भगवान गणेश भी विराजमान रहते हैं। गंगा मिट़्टी से बने शिव-पार्वती के विग्रह को प्रतिष्ठित करने के लिए केले के खंभों से मंडप बनाया जाता है। तरह-तरह के सुगंधित पुष्पों से साज-सज्जा की जाती। 

🙏विधी 🚩

प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व ही जागकर नित्यकर्मों से निवृत्त होने के बाद पूरे आस्था के साथ इस व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद पूजा की तैयारी करें और मांपार्वती का ध्यान करें। पूजन के दौरान मन्त्रों में विशेषकर- "ऊॅ पार्वत्यै शान्ति स्वरूपिण्यै शिवायै नम इस मन्त्र से गौरी का और ऊॅ महादेवाय नमः मन्त्र से भगवान शिव की स्तुति करते हुए उनकी स्थापना करें।

उसके बाद तन, मन और धन सामर्थ्य के अनुसार पूजा एवं दान करें। इससे अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पूजा में गणेश जी को लड्डू का भोग अवश्य लगाएं। हरितालिका तीज के दिन कुंवारी कन्याओं को शीघ्र विवाह एवं मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए सौन्दर्यलहरी या पार्वती मंगल स्तोत्र का पाठ करना लाभदायक माना जाता है। पार्वती मंगल स्तोत्र का पाठ करने से पहले सुहागिन महिला, कुंआरी कन्या को अभीष्ट फल की प्राप्ति के लिए अपने गोत्र और नाम का उच्चारण कर, जल से संकल्प लेकर ही पाठ करना चाहिए। इस व्रत का विधान आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति की प्राप्ति, चित्त और अन्तरात्मा की शुद्धि, संकल्प शक्ति की दृढ़ता, वातावरण की पवित्रता के लिए लाभकारी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत के द्वारा व्रती अपने भौतिक एवं पारलौकिक संसार की व्यवस्था करता है ।

🚩जानें हरतालिका तीज व्रत के ये 7 नियम🚩

इसके पूर्व या उत्तर मुख होकर हाथ में जल,चावल, सुपाड़ी पैसे और पुष्प लेकर इस मांगलिक व्रत का संकल्प लें। इस दिन यथासम्भव मौन रहने का प्रयास करें, इससे आन्तरिक शक्ति में वृद्धि होगी। व्रत करते हुए दिन में सोने  (शयन) से परहेज करें। भगवान शिव की आराधना में धूप, दीप, गन्ध, चन्दन, चावल, विल्वपत्र, पुष्प, शहद, यज्ञोपवीत,धतूरा, कमलगट्टा,आक का फल या फूल का प्रयोग करें। पूजन के दौरान अगर सुहागिन स्त्रियां श्रृंगार की वस्तुएं और पीताम्बर रंग की चुनरी चढ़ायें तो उनकी मनोकामना पूर्ण होगी।

पुराणों के अनुसार इस दिन घर या मन्दिर को मण्डपादि से सुशोभित कर पूजा सामग्री एकत्र करें ।इसके बाद कलश स्थापन कर हर- गौरी की स्थापना करके- --उॅ उमायै नमः, पार्वत्यै नमः, जगद्धात्रयै नमः, जगत्प्रतिष्ठायै नमः, शान्तिस्वरूपिण्यै नमः, शिवायै नमः और ब्रह्मरूपिण्यै नमः से भगवती उमा का और महादेव का नाम मन्त्रों से पूजन कर निम्नलिखित मन्त्र से प्रार्थना करें- 

देवि- देवि उमे गौरि त्राहि मां करूणानिधे । 

ममापराधः क्षन्तव्या भुक्ति- मुक्ति प्रदा भव ।।

दूसरे दिन पूर्वाह्न में पारणा कर व्रत सम्पन्न करें ।

🚩हर हर महादेव🙏😊