आज का मेरा विचार

आज का मेरा विषय है "वेलेंटाइन डे"
चेतावनी- अगर इस समूह में मेरी कोई बहने या माताये हो और कोई वरिष्ट व्यक्ति हो और जो कोई धार्मिक व्यक्ति हो तो कृपया आप इसे ना पड़े क्योंकि इसमे कुछ बाते ऐसी लिखनी पड़ सकती है जिनसे आप लोगो को असुविधा हो। लेकिन ये विषय आज के नौजवानो का है तो उसी की भाषा का प्रयोग करूँगा।

?श्रीमन् महादेवाय नमः?

नमस्कार मित्रो विषय गंभीर भी है और हास्यप्रद भी क्योंकि भारत जैसे देश में ऐसे बेहूदा विदेशी त्यौहार को मनाने की जो ललक यहाँ के नौजवानो में दिखती है वो काफी हद तक मूर्खतापूर्ण है क्योंकि पहली बात तो ये की वेलेंटाइन डे को जो लोग प्यार का इजहार करने का दिन मानते है उन लोगो को शायद ये ध्यान नही है की भारत में तो प्यार कण कण में बसता है रग रग में प्यार है हर हिंदुस्तानी के और उस प्यार को अगर आप सिर्फ एक दिन की सीमा में बांधकर मना रहे हो तो बड़ा अजीब लगता है। अब आते है प्यार की बात पर मेरे हिसाब से प्यार तीन तरह का होता है पहला प्यार वो है जिसमे प्यार स्नेह और दुलार की अधिकता होती है और स्वार्थ की भावना नही होती और जो हमारे दिल में स्वजनों के लिए स्वतः उतपन्न होता है और मित्रो या पत्नी और महिला मित्र के लिए किसी के लिए भी हो सकता है ऐसे प्रेम के इजहार का कोई भी वयक्ति इन्तेजार नही कर सकता किसी भी वेलेंटाइन डे तक का क्योंकि जिस माँ बाप को अपने बेटे से प्यार है वो कभी भी जाहिर करेंगे बिना सोचे वीचारे उसी तरह दोस्त और पत्नी या प्रेमिका भी कभी भी इजहार कर सकते है। इस लिए इस प्रेम को एक निश्चित दिन में बधना सवर्था असंभव है ।
अब बात करते है दूसरी तरह के प्यार की ये प्यार वो है जो ईश्वर से होता है इसमे लेना देना कुछ नही देखा जाता और इसका भी इजहार कभी भी अपने इष्ट स करा जाता है लेकिन उसके लिए भी हम किसी निर्धारित पर्व या त्यौहार का इन्तेजार नही करते है जब मन होता है अपने इष्ट का ध्यान लगा कर उससे प्रेम जाहिर कर सकते है।
अब बात आती है तीसरे तरह के प्यार की जिसमे प्यार कम और स्वार्थ ज्यादा होता है और वासना होती है ऐसे प्रेम को जाहिर करने के लिए मोका देखा जाता है और जगह देखि जाती है क्योंकि इस प्यार के इजहार के बाद सिर्फ एक खाली कमरा या कोई सुनसान जगह चाहिए होती है जहा इस तरह का वासनापूर्ण प्यार और उसका इजहार करा जा सके ऐसे दिखावटी प्यार को जाहिर करने के लिए सब कुछ प्लान करना पड़ता है और खास तौर से दिन भी। जैसे किसी दोस्त का फ्लैट खाली मिले या घर में कोई ना हो या किसी होटल में तब जाकर वहा प्रेम का वासना युक्त इजहार होता है और मेरे ख्याल से लगभग लगभग वेलेंटाइन डे भी ऐसा ही कुछ है क्योंकि अगर कोई सच्चा प्यार किसी से करता होगा तो वो 14 फ़रवरी तक का इन्तेजार नही करेगा। ये ढकोसले सिर्फ और सर्फ उन लोगो के लियर होते है जिन्हें या तो प्यार का मतलब पता नही है या प्यार करना नही जानते है।
वैसे एक और बात एक भाई की मुझे पसंद आई के वेलेंटाइन डे पर जाने वालो को अपनी बहनो को भी साथ लेके जाना चाहिए क्योंकि जिस तरह वो दुसरो की बहिन को साइड में या एकांत में ले जाके प्यार का इजहार करना चाहते है वैसे ही कई लड़के उनकी बहनो से मिलने का भी बहाना ढूंढते होंगे आखिर उन बेचारो के बारे में भी तो सोचो। भारत देश में राधा और कृष्णा के प्यार की मिसाल दी जाती है शिव और पार्वती का प्रेम तो में वर्णन ही नही कर सकता हर जनम में एक ही पति के लिए भवानी ने जो तप करा वो तो अकल्पनीय है खुद के आधे शरीर रूपी शिव से मिलने के लिए भवानी ने इतना त्याग करा भला ऐसा प्रेम कहा मिलगा। और ऐसे देवो को पूजने वाले भी जब ऐसी छिछोरी हरकते करते है तो लगता है के पक्का ये ईसा मसीह की भेड़े है जो ईसाइयो के बताये अनुसार चलते है।
प्यार करो इजहार करो बार बार करो सौ सौ बार करो लेकिन वेलेंटाइन जैसे विदेशी त्यौहार का इंतजार न करो बल्कि उसका भारत में बहिस्कार करो। हर दिन प्रेम दिवस मनाओ हर दिन माता पिता दोस्तों भगवान बीवी गर्लफ्रेंड के साथ इजहार करो दिक्कत कहा है।बस इतनी अरज है के ईसाइयो के बनाये हुवे त्यौहार का बहिस्कार करो। अगर नही कर सकते बहिस्कार तो कान खोल कर सुनो हिन्दुओ तुम्हारा एक भी त्यौहार इंटरनॅशनल नही है दीवाली होली राखी जन्माष्टमी शिवरात्रि ये सब सिर्फ हिन्दू ही मानंते है कोई ईसाई देश नही है जहा हिन्दुओ के अलावा को मनाये लेकिन तुम पागल कभी रोज डे कभी father डे कभी क्या डे कभी क्या डे मनाते हो। जबकि प्यार के लिए कोई एक दिन नही होता है प्यार हर दिन हर पर करो सबसे करो जीव जन्तुओ माँ बाप बहिन भाई सगे संबंधियो मित्रो पति पत्नी सबसे करो अंत में भी यही कहूँगा के हिन्दू बनो जिनकी रग रग में हर पल में प्यार लुटाने की आदत हो विदेशी मत बनो जिनके पास प्यार के इजहार के लिए भी पुरे साल में सिर्फ एक ही दिन है।

वन्दे मातरम्।