हिंदू पंचांग हिंदू धर्म के लोगों द्वारा माना जाने वाला कैलेंडर है। पंचांग का अर्थ है, पांच अंग। ये पांच अंग हैं, तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण। इसकी गणना के आधार पर हिंदू पंचांग की तीन धराए हैं- पहली चंद्र आधारित, दूसरी नक्षत्र आधारित और तीसरी सूर्य आधारित कैलेंडर पद्धति। अलग-अलग रूप में यह पूरे भारत में माना जाता है। एक साल में 12 महीने होते हैं। हर महीने में 15 दिन के दो पक्ष होते हैं- शुक्ल और कृष्ण। 12 मास का एक वर्ष और 7 दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से शुरू हुआ।

महीने का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति से रखा जाता है। यह 12 राशियां बारह सौर मास हैं। जिस दिन सूर्य जिस राशि मे प्रवेश करता है उसी दिन की संक्रांति होती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र मे होता है उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है। चंद्र वर्ष, सौर वर्ष से 11 दिन 3 घड़ी 48 पल छोटा है। इसीलिए हर 3 वर्ष मे इसमें एक महीना जोड़ दिया जाता है जिसे अधिक मास कहते हैं।

 

ये हैं नक्षत्रों के आधार पर 12 महीने

 

इन बारह महीनों के नाम आकाश मण्डल के नक्षत्रों में से 12 नक्षत्रों के नामों पर रखे गए हैं। जिस महीने में जो नक्षत्र आकाश में रात की शुरुआत से लेकर अंत तक दिखाई देता है या कह सकते हैं कि जिस मास की पूर्णमासी को चन्द्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उसी के नाम पर उस मास का नाम रखा गया है।

  1. चैत्र-चित्रा, स्वाति।

  2. वैशाख- विशाखा, अनुराधा।

  3. ज्येष्ठ - ज्येष्ठा, मूल।

  4. आषाढ़- पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा।

  5. श्रावण- श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा।

  6. भाद्रपद - पूर्व-भाद्र, उत्तर-भाद्र।

  7. आश्विन- रेवती, अश्विन, भरणी।

  8. कार्तिक- कृतिका, रोहणी। 

  9. मार्गशीर्ष- मृगशिरा, आर्द्रा।

  10. पौष- पुनर्वसु, पुष्य।

  11. माघ- अश्लेषा, मघा।

  12. फाल्गुन- पूर्व फाल्गुन, उत्तर फाल्गुन, हस्त।