संपूर्ण राहु की महादशा का विवरण अनुभव और शोध पर आधारित

राहु की महादशा में राहु की अंतर्दशा - जिस तरह एक पुराने मकान को ढहा कर फिर से नए मकान स्थापित की जाती है उसी प्रकार पुरानी मंगल की महादशा का पूरा निर्माण को तोड़कर राहु अपने तरीके से पहले पुराने मकान को तोड़ेगा फिर नई पिलर स्थापित करके अपने हिसाब से घर बनाएगा यह दौर पूर्ण परिवर्तन का दौर रहता है और जीवन में बहुत कुछ नया होता है

राहु की महादशा में बृहस्पति की अंतर्दशा - चुकी राहु और बृहस्पति आपस में शत्रु हैं तो यह समय संघर्ष भरा रहता है छोटे-मोटे शारीरिक कष्ट होने की संभावना रहेगी, शिक्षा बाधित होता है, पेट संबंधित समस्या होती है, और जातक अत्यधिक परेशान रहता है

राहु की महादशा में शनि की अंतर्दशा - राहु और शनि आपस में मित्र हैं फिर भी राहु की महादशा में शनि की अंतर्दशा जबरदस्त संघर्ष देता है, इस दौरान परिवार में किसी बुजुर्ग की मृत्यु संभव होती है जातक का संबंध विच्छेद होता है, शिक्षा बाधित होती है ,नौकरी में जबरदस्त संघर्ष होता है, और जातक पैसे पैसे का मोहताज हो जाता है

राहु की महादशा में बुध की अंतर्दशा - अगर कुंडली में राहु राजयोग कारक है तो फिर राहु की महादशा में बुध की अंतर्दशा इतना जबरदस्त लाभ देती है कि जातक अचानक से अमीर बन जाता है अचानक से उसके पास वाहन, घर, मकान का सुख, मिलने लगता है जातक का विवाह भी हो जाता है संतान सुख भी प्राप्त होता है देश विदेश से उसमें उसका व्यापार भी चलने लगता है और अचानक से वह सामान्य सा दिखने वाला जातक का रहन-सहन पूरा बदल जाता है

राहु की महादशा में केतु की अंतर्दशा - यह समय मानसिक कष्ट और धन हानि का होता है और जातक परेशान रहता है

राहु की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा - जातक को धन लाभ होता है, मकान का सुख प्राप्त होता है, वाहन सुख प्राप्त होता है, पूरे राहु की महादशा में अगर देखा जाए तो सबसे अच्छी अंतर दशा बुध की और शुक्र की होती है तो यह संपूर्ण राज्ययोग का समय होता है जातक सुखी जीवन व्यतीत करता है चौतरफा आनंद प्राप्त करता है

राहु की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा - राहु सूर्य आपस में कट्टर शत्रु हैं अब यह दौर राहु के वापसी का होता है यानी अब राहु की महादशा खत्म होने पर है तो अब राहु धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है वह जो आनंद बुध की अंतर्दशा, और शुक्र की अंतर्दशा में दिया वह सभी वापस लेना शुरू सूर्य की अंतर्दशा में करने लगता है ।।  राहु की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा में जातक को राजदंड झेलना पड़ता है, व्यापार में हानि होती है और अगर राहु अच्छा हो तो परिवार में किसी का विवाह अवश्य होता है

राहु की महादशा में चंद्रमा का अंतर्दशा - क्योंकि राहु अपने महादशा के अंतिम चरण पर रहता है और यह जाने वाला होता है इसलिए इस समय राहु जातक को पूरी तरीके से तितर-बितर कर देता है, व्यापार ठप हो जाता है, घर में कलेश होता है, जातक को घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जबरदस्त मानसिक अशांति रहती है ।।  परिवार में किसी की मृत्यु हो जाती है, जीवन साथी को कष्ट होता है, पैसे को लेकर विवाद होता है, जातक का अपने रिश्तेदारों के साथ कटु संबंध हो जाता है, जातक इतना परेशान रहता है कि उसे भय लगने रहता है ।। राहु की महादशा में कमाए गए सभी धन अस्पतालों में खर्च हो जाते हैं ।।  पैसा व्यापार में डूब जाता है और  राहु की महादशा में अचानक अमीर हुआ जातक पुनः अपने वापस सामान्य स्थिति में आ जाता है ।। राहु तिल तिल कर के मारता है, चंद्रमा की अंतर्दशा में जबरदस्त मानसिक तनाव देता है

जातक मानसिक तनाव झेल कर इतना अकेला हो जाता है कि वह भयभीत होकर न उसे दिन चैन मिलता है और ना रात को नींद आती है

राहु की महादशा में मंगल का अंतर्दशा - अब राहु की महादशा खत्म होने वाली रहती है तो राहु अपनी महादशा के स्वर्णिम दौर में जो जो चीज, सुख देता है वह सारा सुख अब लेना शुरू कर देता है और जातक का सब कुछ वापस ले लेता है जो उसने अपनी महादशा में दिया क्योंकि आने वाली महादशा बृहस्पति की है अतः राहु अपना दिया व संपूर्ण साम्राज्य को वापस लेना शुरू कर देता है मानसिक तनाव शारीरिक कष्ट देता है

नोट - चुकी राहु उल्टा चलता है इसीलिए राहु की महादशा में राहु की अंतर्दशा में राहु जातक के पैर में रहता है, और पैर को चोट पहुंचाता है ।।  इसी दौरान राहु की महादशा का मध्यकाल चलता है यानी बुध की अंतर्दशा उसमें राहु पेट तक आ जाता है और पेट का विकार देता है पर जब राहु की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा चलती है उस समय राहु मस्तक पर आ जाता है, 

राहु की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा में राहु जातक के जीभ और मस्तिष्क पर अधिकार करता है 

इस दौरान जातक अनाप-शनाप बकता है, गालियां देता है, रिश्ता खराब कर लेता है, और 24 घंटा मानसिक तनाव झेलता है

जातक अनाप-शनाप बोलता है, संबंध खराब कर लेता है, उसका संपूर्ण व्यापार, नौकरी चौपट हो जाता है 

 राहु की महादशा में मंगल का अंतर्दशा में राहु मस्तिष्क से बाहर निकल जाता है 

चुंकि राहु हमेशा वक्री चलता है इसीलिए अपनी महादशा के शुरुआती दौर में यह हमेशा जातक के पैर होते हुए शरीर में प्रवेश करता है 

इसलिए राहु की महादशा का शुरुआती दौर जातक के पैर में वह तकलीफ पहुंचाता है 

फिर वह घुटना जांघ होते हुए पेट तक पहुंचता है 

और अपनी महादशा के मध्य भाग में पेट को तकलीफ देता है 

इसके बाद अंत भाग सूर्य की अंतर्दशा में वह हृदय तक पहुंचता है ह्रदय को आघात पहुंचाता है 

और चंद्रमा की अंतर्दशा में वह जीभ तक पहुंच जाता है और वाणी द्वारा कष्ट पहुंचाता है मानसिक तनाव देता है और मंगल की अंतर्दशा में मस्तिष्क से वह बाहर निकल जाता है