#स्त्री_जातक =
स्त्री जातक के वैवाहिक सुख पर आज बात करते है
👉 सूर्य = जिस स्त्री के सप्तम भाव मे सूर्य मेष या सिंह राशि का हो तो उस स्त्री को पति की चिंता रहती है अन्य किसी भी राशि मे सूर्य हो तो पति से धीरे धीरे अलगाव शुरू हो जाता है और वैवाहिक जीवन नीरस और टूट भी सकता है
👉 चन्द्रमा= जिस स्त्री के सप्तम भाव मे चन्द्रमा हो किसी भी राशि मे हो उस स्त्री को पति के व्यवहार से दुख मिलता है क्योंकि उस स्त्री का पति उस स्त्री में कम रुचि और दूसरी स्त्रियों में ज्यादा रुचि लेता है चन्द्रमा नीच का हो तो सम्बन्द टूट भी जाता है
👉मंगल = जिस स्त्री के सप्तम भाव में मंगल हो उस स्त्री को चोट लगने के चान्स अधिक होते है दाम्पत्य जीवन मे व्यवधान रहते है निरन्तर कलह होती रहती है
👉 बुध = जिस स्त्री के सप्तम भाव में बुध मिथुन या कन्या राशि का हो उसका पति उसकी अपेक्षा करने वाला होता है और राशि का बुध हो ऐसी स्त्री को यौन सुख की कमी बनी रहती है दाम्पत्य जीवन असंतोष जनक होता है
👉गुरु = जिस स्त्री के गुरु सप्तम भाव मे हो उसके भौतिक और यौन सुखों का आभाव रहता है कारण यह है की उस स्त्री का पति वैराग्य धार्मिक और संत प्रवृति का होता है और सुख अच्छा मिलता है उस स्त्री को सिवाय भौतिक सुखों के
👉शुक्र 👉 जिस स्त्री के सप्तम भाव मेशुक्र हो उस स्त्री का पति कामुक वश अन्य स्त्रियों से सम्बन्द बनाता है जिससे उसके वैवाहिक जीवन मे कलह होती है शुक्र उच्च का या स्व राशि वृष या तुला का हो तो वैवाहिक जीवन अच्छा रहता है पर पति ज्यादा कामुक होता है
👉शनि = जिस स्त्री के सप्तम भाव मे शनि हो , मेष , तुला , कुंभ का हो तो पहले तो विवाह ही नही होता है और हो जाये तो जल्दी ही खंडित हो जाता है इस कारण उससे अन्य तरीकों से योन सुख प्राप्त करने पड़ते है इन 3 राशियों को छोड़ अन्य राशि मे शनि हो तो विवाह में देरी और वैवाहिक जीवन नरक तुल्य होता है
👉राहु = जिस स्त्री के सप्तम भाव मे राहु हो उस स्त्री का विवाह अचानक होता है और उसके विवाह में कोई असुभ घटना घटती होती है वैवाहिक जीवन स्त्री खुद परेशानी उतपन करती है
👉 जितने ग्रहों का सप्तम भाव पर प्रभाव हो सप्तमेश जितने ग्रहों के साथ हो स्त्री उतने ही पुरुषों से सम्बन्द बनाती है यह सम्बन्द शुभ ग्रहों से हो तो सम्बन्द पवित्र होते है असुभ ग्रहों से हो सम्बन्द अनैतिक होते है
👉 विशेष ध्यान दे = अच्छे वैवाहिक सुख के लिए स्त्री का सप्तम भाव खाली होना चाहिए या सिर्फ गुरु या शुक्र की दृष्टि हो ।