राहु आठवें घर में
आठवें घर का राहु व्यक्ति को चिकित्सा के क्षेत्र में जबरदस्त सफलता दिला सकता है । वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में आठवें घर से मृत्यु , कष्ट ,एकांत जगह , दुर्घटना आदि को देखा जाता है। इसलिए यंहा बैठा राहु अनेक दुर्घटनाओं और जीवन में संघर्षों का कारण बन सकता है । अगर कुंडली में अच्छे ग्रहों का साथ नहीं मिल रहा हो तो व्यक्ति को जेल भी जाना पड़ सकता है , लेकिन डॉक्टर या सर्जन के लिए अच्छी स्थिति है । कई बार देखने में आया है कि ऐसा व्यक्ति परेशान और व्याकुल रहने वाला और समाज के विरुद्ध काम करने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति की आयु भी कम होती है। लेकिन अगर कुंडली में सूर्य और चन्द्रमा की स्थिति अच्छी हो तो दीर्घायु होता है।
कुंडली में आठवां घर दूसरे घर से सप्तम में पड़ता है। वैदिक ज्योतिष में दूसरे और सातवें घर को मारक स्थान माना गया है
इसलिए दूसरे घर को मारकेश भी कहा जाता है। अक्सर देखा गया है कि कुंडली में आठवें घर का राहु प्राकृतिक मृत्यु देता है और जीवन का सुखद अंत होता हैं। कुंडली में दूसरे ग्रहों का साथ हो तो परिणाम बदल जाते हैं । सबसे ख़ास बात यहाँ बैठा राहु पैतृक संपत्ति, विरासत से धन या लाटरी आदि से अचानक धन भी दिलवा देता है । यंहा बैठा राहु व्यक्ति को कठोर हृदय और वाणी वाला , कामुक , दूसरों की मदद न लेने वाला और परेशान रहने वाला बना सकता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में आठवें घर में बैठे राहु का आपके लिए साफ़ सन्देश है कि आपको विनम्रता सीखनी होगी। कामुकता को उसके सुन्दर उद्देश्यों और प्रेम कि गहराइयों को समझना होगा। उसे अपने करीबियों से बहुत कुछ सीखना होगा।अपने मन में पल रहे वर्ग भेद (छोटा बड़ा, ऊंच-नीच ,अमीर-गरीब) को भी समझना होगा। इसके अलावा आपको दूसरे लोगों की बात सुनने की कला भी सीखनी होगी । सभी काम आप अकेले नहीं कर सकते दूसरे लोगों की मदद के बिना बड़े काम नहीं होतेहैं।कुंडली में आठवें घर से मृत्यु , कष्ट ,एकांत जगह , दुर्घटना आदि को देखा जाता है| यंहा बैठा राहु व्यक्ति को अनेक संघर्षों में डाल सकता है|लेकिन जब व्यक्ति अपने आप को तैयार कर लेता है तो निश्चित ही व्यवसाय की दुनिया में एक अलग नाम कमा लेता है |
कुंडली में आठवें घर में बैठे राहु वाले लोगों की सबसे बड़ी कमजोरी है उनकी अपनी ऊर्जा का गलत उपयोग । दूसरे लोगों के जीवन मूल्यों की अवहेलना या निरादर आपकी प्रतिष्ठा को भी ढेस पहुंचाता है ,इसलिए आपको सेल्फ कण्ट्रोल और सेल्फ डिसिप्लिन की सबसे ज्यादा जरुरत है।इसके लिए सबसे अच्छा उपाय है दूसरे लोगों के अच्छे काम की तारीफ़ करना और रिश्तों की क़द्र करना। आप कई मामलों में व्यवहारिक होने की बजाय भावनात्मक रूप से फैसले लेते हैं।जिस पर आपको बाद में पछताना पड़ता है या उसका खामियाजा आपके परिवार को उठाना पड़ता है।क्योंकि जंहा प्रतिष्ठा की बात आती है वंहा आपको हर चीज बड़ी और भव्य चाहिए।कुछ लोग आपकी झूठी प्रशंसा करके भी आपसे व्यर्थ के खर्च करवा देते हैं m
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में आठवें घर में बैठे राहु के कारण आप जुआ , सट्टा आदि के शौक़ीन हो सकते हैं।जिसमे कई बार धन गँवा भी सकते हैं
आप अपने आस पास की चीजों को या व्यक्तियों को बदलने का प्रयास करते हैं।जबकि राहु का आपके लिए साफ़ सन्देश है कि आप सबसे पहले अपने अंतस को अपने अंदर के विचारों को बदलिए।आप अक्सर अपने अतीत और पुरानी आदतों में उलझे रह सकते हैं। प्रेम प्रसंगों में आपको अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए।आवेग से बचना चाहिए। आप कुछ ऐसा कर गुजरते हैं जो सामाजिक नियमों के खिलाफ जाता है और फिर उसकी गुप्तता रखने में ही ऊर्जा नष्ट हो जाती है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में आठवें घर से मृत्यु , गुप्तता , गुप्त सम्बन्ध ,कष्ट ,एकांत जगह , दुर्घटना आदि को देखा जाता है।दरअसल कुंडली में आठवां घर और उसमे बैठा राहु एक विचित्र व्यक्तित्व का निर्माण करता है जो किसी की समझ नहीं आता।क्योंकि ये स्थिति समाज और व्यक्ति के विकास के बीच एक संतुलन बनाने की चुनौती पैदा करती है। भीतरी और बाहरी दुनिया के बीच के टकराव की स्थिति है ,इसलिए ऐसी स्थिति वाले व्यक्ति को सबसे ज्यादा खुद पर ही काम करना चाहिए। उसे समाज के ,रिश्तों के , प्रेम के और आचरण के अपने दृष्टिकोण में बड़े बदलाव करने की जरुरत है, ताकि वो दूसरों के भावनात्मक और व्यावहारिक पक्ष को समझ सके। अगर व्यक्ति इन सब बातों पर गौर करके काम करता है तो यंहा बैठा राहु व्यक्ति को बहुत बड़ी कामयाबी दे सकता है।