💐💐 विशोंत्री महादशा 💐💐##
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💐महादशा के अंत में कोई न कोई उपलब्धि आपको जीवन में अवश्य होगी कोई ग्रह चाहे उच्च का हो या नीच का, मित्र राशि में हो या शत्रु राशि में अपनी राशि में हो या अस्त अशुभ हो या शुभ अपनी महादशा के समय में पूरी तरह से बुरा या अच्छा फल नहीं देता
👍.एक ही ग्रह एक ही समय में शुभ और अशुभ दोनों तरह के फल दे सकता है इसका कारण यह है कि ××महादशा में ××अन्य ग्रहों की भी दशा होती है जिसे अन्तर्दशा कहा जाता है जिस ग्रह की महादशा होती है उस ग्रह के समय में अन्य सभी ग्रहों की अन्तर्दशा चलती है। इस तरह प्रत्येक ग्रह का प्रभाव जातक पर पड़ता है।
💐 किसी भी जातक /जातिका के जन्मांग में कई तरह के योग बनते है &*
कई ग्रह *उच्च के -परमोच्च के -नीच - परमनीच - राज योग आदि श्रेष्ठता दिखेगा !
ऐसे हजारों योग कुंडली मे बनते है !&
* परन्तु उन योगो को बनाने वाले ग्रह तभी फलदाई होते है जब उन ग्रहो की अपनी दशा - अंतर दशा runing में हो !
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💐 विंशोतरी दशा का क्रम ज्योतिष अनुसार इस तरह से है
1 सूर्य -2 चन्द्र --3 मंगल -4 राहु -5 व्रहस्पति - 6 -शनि -7बुद्ध --8 --केतु -9 शुक्र !
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💐 विंशोतरी महा दशा के अंतर्गत हम इसी क्रम में प्रत्येक दशा का - अंतर दशा के फलादेश आरम्भ करने जा रहे है
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👌👌विशोंत्री महादशा फल के क्रम में आज चर्चा करते है ## शुक्र। ## महादशा फल पर !!👌👌
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💐💐 शुक्र ग्रह वृष ओर तुला राशि का स्वामी है परन्तु वृष राशि नकारात्मक व तुला राशि शुक्र की सकारात्मक राशि है महादशा के सभी फल प्रायः तुला राशि की प्रधानता पर निर्भर होते है!
💐 शुक्र ग्रह मीन राशि के 27 * अंश तक उच्च व परम् उच्च का होता है कन्या के 27 *अंश तक नीच व परम् नीच का होता है !
💐। यदि जातक की कुण्डली में शुक्र कारक होकर उच्च राशि, मूल त्रिकोण राशि, स्वराशि या मित्र राशि का होकर केन्द्र अथवा त्रिक्रोण में स्थित हो तो अपनी दशा में सदैव,कामसुख, भोग एवं ऐश्वर्य प्रदान करता है अभिनय क्षेत्र में रुचि लेकर उच्च स्थान प्राप्त करता है
आर्थिक स्थिति सुदृढ़ बनती है ।देश-विदेश में अपना व्यवसाय फैलाकर जातक अटूट लक्ष्मी का स्वामी बनता है । इस दशा में
जातक सुन्दर भवनों का निर्माण करता है
💐किसीभी जातक की कुंडली मेशुक्र-यदि शुक्र उच्च राशि, स्वरराशि, शुभ ग्रह से युक्त या दृष्ट होकर कारक हो तो अपनी दशा-अन्तर्दशा में अतीव शुभ फल प्रदान करता है | जातक सामान्य श्रम करके ही भरपूर लाभ प्राप्त कर लेता है । विद्यार्थियों को विशेषत: सहज ही उत्तम विद्या एवं सफलता प्राप्त हो जाती है । उच्च शिक्षा अथवा शोध कार्य के लिए विदेशवास करना होता है
💐 कुंडली मे अकारक शुक्र की दशा में
चिंता बढ़ाते हैं, पीड़ा पहुंचते हैं, कष्टों में वृद्धिकारक होते हैं ।
घर में कलह रहता है ।
राज्य, प्रशासन से भय बना रहता है ।
मानसिक परेशानी बढ़ती हैऋण के कारण परेशानी होती है ।
स्थान परिवर्तन होता है ।
पत्नी को कष्ट होता है ।
मान हानि होती है, प्रतिष्ठा में कमी आती है ।
विवाह में विलम्ब की स्थिति उत्पन्न हो जाती है ।
💐शुक्र और चंद्र सशक्त होकर केंद्र अथवा त्रिकोण में स्थित हों तो सम्मान या राजकीय सुख प्राप्त करते हैंशुक्र और बुध पंचम या नवम भाव में स्थित हो तो जातक को धन, सम्मान और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है
💐शुक्र की केंद्र में स्वराशि अथवाअशुभ ग्रहों के साथ या दुस्थानों (6, 8, 12) में स्थित होने पर यह ग्रह अच्छा फल नहीं देता। सूर्य, मंगल अथवा शनि के साथ शुक्र की युति होने पर जातक की प्रवृत्ति अनैतिक कार्यों की ओर होती है किंतु बृहस्पति की दृष्टि होने पर यह दोष नष्ट हो जाता है। उच्चराशि में स्थिति हो तो मालव्य योग होता है। यह योग जातक को सुंदरता, स्वास्थ्य, विद्वता, धन-दाम्पत्य सुख, सौभाग्य और सम्मानदायक है। अशुभ ग्रह के योग से यह योग भंग हो जाता है।
💐 यदि जातक की कुंडली मेअगर यह ग्रह जन्मकुंडली में निर्बल अथवा दुष्प्रभावित हो तो दाम्पत्य सुख का अभाव रहता है। सप्तम भाव में शुक्र की स्थिति विवाह के बाद भाग्योदय की सूचक है।
💐💐 फ़तेह चंद शर्मा 💐💐
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