भारत की दुर्दशा.और आरक्षण का जड



खुशनुमा आर्यावर्त. ..सोने की चिडियॉ..पुरी दुनियॉ कहती और मानती थी..

         .अफगान.या हो पाकीस्तान .बंग्लादेश...

सब संयुक्त आर्यावर्त के ही भाग थे..

         हमारे भारत मे सभी समुदाय परस्पर प्रेम से जीवन जिया करते थे....

         भारत की यही सोच पुर्तगाल के वास्को डी गामा को खटक गयी ..और भारत एक व्ययसायी के रूप मे पधार कर हमारी एकता मे सेंध लगा..डाली..और लूट प्रारंभ कर दिया..फिर.पुर्तगाली.

के मुगल और अंग्रेजो ने हमेवअलगाव वाद मै ढकेल दिया...

1832मे लार्ड मैकाले ने जब आर्यावर्त की उच्च स्तरीय शिक्षा व्ययवस्था देखी..तो अंग्रेजी हुकुमत का नींद हराम हो गयी.

       षडयंत्र प्रारम्भ हो गया .भारत को टुकडो मे बॉटने की...1..दक्षिण भारत के निवासी ..को अनार्य की संज्ञा से संबोधित करना..तथा आर्य और अनार्य की काल्पनिक झुठी ईतिहास .दक्षिण प्रान्त की शिक्षा पद्धति मे समावेश करवा कर उत्तर भारतवासी का दुश्मन बना दिया....

2...मुस्लिम लिग की स्थापना करवाया गया...

3..हिन्दु बहुल को टुकडो मे बॉटने के लिए...574रियासती राजाओ मे से उत्तर भारत के 572राजाओ को अंग्रेजी हुकुमत मे एक फरमान जारी हुआ.....वो फरमान था..की नीच कर्म करनेवाले समुदायो को प्रताडित इतना किया जाय...की वे छोटे कर्म छोड..दे...उदेश्य था की नीच और उचे तबके के लोगो मे दुश्मनी फैले और हिन्दु दो टुकडे मे विभाजित हो जॉय....

राजा अंग्रेजी हुकुमत के डर से ..अपनी रियासत को बचाने के खातिर. यह फरमान अपने अधिकारीयो को लागु करवाने का आदेश जारी किया...और दलित लाचारो पर बर्बरता.का कहर टुटने लगा....

                   युगपुरूष बाबा साहब का जन्म हुआ..बाबा साहब पुर्व की घटना से अनजान थे...वर्तमान मे दलितो के साथ बर्बरता रूपी व्ययहार गले नही उतप रही थी...परन्तु एक बच्चा कर भी क्या सकता था..प्राथमिक शिक्षा के लिए..बाबा साहब के अभिभावक सभी विधालयो मे गये ..कोई ईनका नामांकन तक नही करने को तैयार था..रियासती राजा. के आदेश से सभी डरे थे....फिर भी ..महापुरूष महादेव अम्बेडकर नामक ब्राह्मण गुरू ने बाबा साहब को अपने स्कूल मे नामांकण इस शर्त पर दी...बेटा तुम दरवाजे पर बैठकर पढाई करना..जो नही समझे .हम से पुछना..10वी की पढाई के बाद मराठा सैयाजी गायकवाड ने विदेशी पढाई करवाकर..एक सम्मानित नौकरी भी प्रदान किया..

                इतने षडयंत्र के बाद भी हमारे आजादी के शूरवीरो ने आजादी ले ली..

और संविधान सभा के ड्राफ्टिंग कमिटी के चेयर मैन बाबासाहब(गुरू महादेव अम्बेडकर का उपनाम)बने..और दलित पिछडो के लिए आरक्षण की मांग समिती के सामने रखी..

              कोई वैर भाव और जातीवादी भाव से नही..सबो को एक सुत्र मे समानता देने के लिए...


पर दलित कौन..पिछडा कौन...क्योकि दलित पिछडा कोई वर्ग या जाति उस समय तक नही थी..

दलित  =वही जो औरो द्वारा प्रताडित दबाया सताया गया हो

पिछडा=जो मुख्य धारा मे समाहित होने मे पिछड गया हो..

ऐसे सभी भारत की जनता के दर्द  से बाबा साहब बेहद दुःखी थे..


इसी कारण उन्होने दलित पिछडो के लिए..आरक्षण की व्ययवस्था 10वर्षो के लिए.दिया.

..परन्तु..दलित पिछडा कौन परिभाषित नही होसका..और बाबा साहब....दुनिया से अलविदा हो गये..

दलित पिछडा के परिभाषित करने के लिए...मंडल कमीशन की मॉंग उठने ..लगी ..जिसकी आग इंदिरा सरकार को जड से हिला दिया....


और जनसंघ के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई बने..और मंडल कमीशन के सर्वे जातीवादी व्ययवस्था मे करवाने का निर्णय लिया गया....


यही भारत के लिए अभिशाप साबित हो रही है..यदी यही मंडल कमीशन का सर्वे आर्थिक आधार पर की जाती....आज भारतवासी समानता की सुगंध मे महकते हुए..विश्व गुरू बन गया होता..

              1973मे पुनः ईंदिरा की सरकार आयी..परन्तु पुरानी हार के डर से..मंडल कमीशन की जातीय सर्वे यथावत चलने दिया..1978मे मंडल कमीशन बनकर जातीय जहर के रूप मे तैयार हो गया..

परन्तु1978-1984इंदिरा एवं1984-1990राजीव गॉंधी जी ने इस मंडल कमीशन को ठण्डे वस्ते मे रखकर देश को बचाने का भरपुर प्रयत्न किया...

            1990तीसरे मोर्चे और बीजेपी के संयुक्त गंठबंधन की सरकार ने. पुरे देश मे मंडल आयोग की आग भडका दिया...बी पी सिंह ने मंडल आयोग लागु कर दी..1990मे दस वर्षो के लिए

2000मे पुनः भाजपा की अटल जी की सरकार ने पुनः रिनुअल कर दिया

2010मे कॉग्रेस की मनमोहन सरकार ने भी रिनुअल कर दिया..

अब बारी है 2020की..


हम आर्थिक आधार पर कमजोर लोगो की आरक्षण की वकालत अवश्य करते है..ताकी भारत का हरेक कमजोर पिछडा नागरिक सबल बनकर समानता को परिभाषित करे..जो हमारे संविधानवके प्रथम मौलिक अधिकार है...

बाबा साहब की भी यही सोच थी



पर जातीय आरक्षण...अमीर नकली दलितो को और भी अमीर बनाकर..जिससे गरीब दलित ग्रामीण ईलाको मे शोषित और वंचित बना रहे..

ऐसी आरक्षण व्ययवस्था कतई मंजुर नही..कतई मंजुर..नही


आर्थिक आरक्षण.ग्रामीण शोषित वर्गो को ही प्रथम लाभ दिलवाएगा..जो आर्थिक दलित की दलदल से निकलकर सबललबनकर गुसरे दलित शोषितो को आरक्षण का मार्ग प्रशस्त करेगा..

और शीघ्र ही भारत दलितशोषित मुक्त सबल भारत बन सकता है...

               जहॉ कोई भी वर्ग स्वतः ही आरक्षण मॉंगना बन्द कर देगा..और योग्यता के आधार पर भारत काहर पद पर कर्मचारी सुशोभित होकर भारत को विश्व गुरू बना सकेगा...

        !! जयहिन्द..जय जातिवाद मुक्त भारत!!