💐💐सिंहासन राजयोग :💐💐

💐जातक की कुंडली मे यदि लग्न से चौथे भाव का स्वामी ग्रह दसवें भाव में तथा दसवें भाव का स्वामी ग्रह चौथे भाव में बैठा हो तो यह **सिंहासन योग कहलाता है। यह एक अति दुर्लभ और अत्यंत प्रभावशाली योग है जो वास्तव में राजगद्दी दिलाने में समर्थ होता है।

💐💐यदि चौथे भाव का स्वामी ग्यारहवें भाव में और ग्यारहवें भाव का स्वामी चौथे भाव में बैठा हो तो व्यक्ति कला शिरोमणि बन जाता है।

👍सिंहासन राजयोग का फल :-यदि किसी जातक की जन्मपत्री में है राजयोग विद्वान हो तो आजा तक निर्धन कुल में भी जन्म लेकर बड़े सम्राट के रूप में प्रसिद्ध हो जाता है। जैसे नेपोलियन बोनापार्ट के कुंडली में है योग था।

👍यदि जातक /जातिका की कुंडली मे सभी सातों ग्रहों के **वृश्चिक, वृष, कन्या और मीन का राशिगत होने से या **मिथुन, धनु और कुंभ राशिगत होने से इस योग की रचना होती है.

💐यदि कुण्डली में वृश्चिक, वृष, मीन और कन्या इन राशियों में समस्त ग्रह हों अथवा मिथुन, सिंह, कुंभ और धनु राशियों में सभी ग्रह हों तो इस **सिंहासन योग का निर्माण देखा जाता है.

💐 सिंहासन योग एक अच्छा योग मान जाता है जो कुण्डली को बल प्रदान करने वाला होता है.

💐 इस योग में उत्पन्न जातक राजा के समान सम्मान और पद पाने वाला होता है 

👍उसे वाहनों का सुख प्राप्त होता है, इस प्रकार सिंहासन योग का स्वरुप अनेक प्रकार से देखा जा सकता है

👍कुंडली में सिंहासन योग का निर्माण होने पर इस योग से संबंधित शुभ फलों में ग्रहों के **अस्त हो जाने के कारण कमी आ सकती है जिससे इस योग की फल प्रदान करने की क्षमता प्रभावित होती है.

👍 कुंडली के किसी बलहीन घर में बनने वाला योग भी अपेक्षाकृत कम शुभ फल प्रदान करेगा तथा किसी कुंडली में अशुभ ग्रह का प्रभाव होने के कारण भी इस योग का शुभ फल कम हो जाता है

👍. योग के किसी कुंडली में बनने तथा इसके शुभ फलों से संबंधित विषयों पर विचार करने से पूर्व इस योग के निर्माण तथा फलादेश से संबंधित सभी महत्वपूर्ण तथ्यों पर भली भांति विचार कर लेना आवश्यक होता है.

💐फतेह चन्द शर्मा