*श्री कार्तवीर्यार्जुन स्त्रोत*
ॐ श्री कार्तवीर्यार्जुन स्त्रोत के पाठ करने से नष्ट हुई लक्ष्मी, दूर देश गयी हुई लक्ष्मी ,नष्ट द्रव्य, दूर गया हुआ व्यक्ति आदि शीघ्र ही अपने घर आजाता है ।किसी वास्तु के खो जाने पर इस स्त्रोत के १०८ पाठ करने मात्र से खोई हुई वस्तु मिल जाती है , इस स्त्रोत के ११०० पाठ करने से जमींन , घर , मकान , खेत , जायदाद सम्बन्धी न्यायालीन मामलो में विजय कि प्राप्ति होती है , किसी कि जमीन , जायदाद पर किसी ने कब्ज़ा कर लिया हो या किसी को दिया गया ऋण प्राप्त न हो रहा हो तो इस स्त्रोत के २१०० पाठ किसी योग्य ब्राह्मण द्वारा करवाने से निश्चित ही सफलता प्राप्त होती है ।
*कार्तवीर्य: खलद्वेषी कृतवीर्यसुतो बली ।
सहस्रबाहु: शत्रुघ्नो रक्तवासा धनुर्धार:।।१।।
रक्तगन्धो रक्तमाल्यो राजा स्मर्तुरभीष्टद:।
द्वादशैतानि नामानि कार्तवीर्यस्य य: पठेत्।।२।।
सम्पदस्तस्य जायन्ते जनास्तस्य वशंगता:।
आनयत्याशु दूरस्थं क्षेमलाभयुतं प्रियम्।।३।।
कार्तवीर्यार्जुनो नाम राजा बाहुसहस्रभृत्।
तस्य स्मरणमात्रेण हृतं नष्टं च लभ्यते ।।४।।
कार्तवीर्य महाबाहो सर्वदुष्टनिवर्हण।
सर्व रक्ष सदा तिष्ठ दुष्टान्नाशय पाहि माम्।।५।।
सहस्रबाहुं स-शरं स-चापं रक्ताम्बरं रक्तकिरीटकुण्डलम्।
चौरादि दुष्टभयनाशनमिष्टदं तं ध्यायेन महाबल विजृम्भित कार्तवीर्यम् ।।६।।
यस्य संस्मरणादेव सर्वदु:खक्षयो भवेत्।
तं नमामि महावीर्यमर्जुनं कृतवीर्यजम्।।७।।
हैहयाधिपते: स्तोत्रं सहस्रावर्तनं कृतम्।
वाञ्छितार्थप्रद: नृणां शूद्राद्यैर्यदि न श्रुतम्।।८।।
॥इति श्रीडामरतंत्रे उमामहेश्वरसंवादे कार्तवीर्यार्जुन द्वादश नामस्तॊत्रम् सम्पूर्णम्॥
॥ श्रीकृष्णार्पणमस्तु॥