*श्रद्धेय पंडित श्री नंदकिशोर पाण्डेय जी भागवताचार्य*

🐍 *नागपंचमी* 🐍

 श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर प्रमुख नाग मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और भक्त नागदेवता के दर्शन व पूजा करते हैं। सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि घर-घर में इस दिन नागदेवता की पूजा करने का विधान है।

🙏🏻ऐसी मान्यता है कि जो भी इस दिन श्रद्धा व भक्ति से नागदेवता का पूजन करता है उसे व उसके परिवार को कभी भी सर्प भय नहीं होता। इस बार यह पर्व 25 जुलाई, शनिवार को है। इस दिन नागदेवता की पूजा किस प्रकार करें, इसकी विधि इस प्रकार है~~~

 🌷 *पूजन विधि* 🌷

🙏🏻नागपंचमी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें इसके बाद नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा (सोने, चांदी या तांबे से निर्मित) के सामने यह मंत्र बोलें~~~

*अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।*

*शंखपाल धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।*

*एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।*

*सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।*

*तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।*

इसके बाद पूजा व उपवास का संकल्प लें। नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा को दूध से स्नान करवाएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर गंध, फूल, धूप, दीप से पूजा करें व सफेद मिठाई का भोग लगाएं। यह प्रार्थना करें~~~

*सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।।*

*ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।*

*ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।*

*ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।*

प्रार्थना के बाद नाग गायत्री मंत्र का जप करें~~~

*ॐ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि*

*तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।*

🐍 इसके बाद सर्प सूक्त का पाठ करें*🐍

*ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:।*

*नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।*

*इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखादय:।*

*नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।*

*कद्रवेयाश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा।*

*नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।*

*इंद्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखादय:।*

*नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।*

*सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता।*

*नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।*

*मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखादय:।*

🌸🌸🌸 *नाग पंचमी 2020 * 🌸🌸🌸

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🐍 हिंदू धर्म में देवी देवताओं की पूजा उपासना के लिये व्रत व त्यौहार मनाये ही जाते हैं साथ ही देवी-देवताओं के प्रतिकों की पूजा अर्चना करने के साथ साथ उपवास रखने के दिन निर्धारित हैं। नाग पंचमी एक ऐसा ही पर्व है। नाग जहां भगवान शिव के गले के हार हैं। वहीं भगवान विष्णु की शैय्या भी। लोकजीवन में भी लोगों का नागों से गहरा नाता है। 

🐍 इन्हीं कारणों से नाग की देवता के रूप में पूजा की जाती है। सावन मास के आराध्य देव भगवान शिव माने जाते हैं। साथ ही यह समय वर्षा ऋतु का भी होता है जिसमें माना जाता है कि भू गर्भ से नाग निकल कर भू तल पर आ जाते हैं। वह किसी अहित का कारण न बनें इसके लिये भी नाग देवता को प्रसन्न करने के लिये नाग पंचमी की पूजा की जाती है।

*नाग पंचमी पूजा विधि:*

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🐍नागपंचमी पूजा के आठ नाग देव माने गए हैं- अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख। पूजा करने के लिए नाग की फोटो या मिट्टी की सर्प मूर्ति को लकड़ी की चौकी के ऊपर रखकर हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करें।

🐍 इसके बाद कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर सर्प देवता को अर्पित करें। फिर उनकी आरती उतारें। इस दिन असली नाग की पूजा करने का भी प्रचलन है। 

🐍 पूजा के अंत में नाग पंचमी की कथा भी सुनी जाती है। नाग पंचमी के व्रत करने के लिए चतुर्थी के दिन एक बार भोजन करें तथा पंचमी के दिन उपवास करके शाम को व्रत खोले

नाग पंचमी और श्री कृष्ण का संबंध

🐍 नाग पंचमी की पूजा का एक प्रसंग भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ भी बताते हैं। बालकृष्ण जब अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उन्हें मारने के लिये कंस ने कालिया नामक नाग को भेजा। 

🐍 पहले उसने गांव में आतंक मचाया। लोग भयभीत रहने लगे। एक दिन जब श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उनकी गेंद नदी में गिर गई। जब वे उसे लाने के लिये नदी में उतरे तो कालिया ने उन पर आक्रमण कर दिया फिर क्या था कालिया की जान पर बन आई। 

🐍 भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगते हुए गांव वालों को हानि न पंहुचाने का वचन दिया और वहां से खिसक लिया। कालिया नाग पर श्री कृष्ण की विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।

नागपंचमी की कथा: 

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🐍किसी राज्य में एक किसान परिवार रहता था। किसान के दो पुत्र व एक पुत्री थी। एक दिन हल जोतते समय हल से नाग के तीन बच्चे कुचल कर मर गए। नागिन पहले तो विलाप करती रही फिर उसने अपनी संतान के हत्यारे से बदला लेने का संकल्प किया। रात्रि को अंधकार में नागिन ने किसान, उसकी पत्नी व दोनों लड़कों को डस लिया। 

🐍 अगले दिन प्रातः किसान की पुत्री को डसने के उद्देश्य से नागिन फिर चली तो किसान कन्या ने उसके सामने दूध का भरा कटोरा रख दिया। हाथ जोड़ क्षमा मांगने लगी। नागिन ने प्रसन्न होकर उसके माता-पिता व दोनों भाइयों को पुनः जीवित कर दिया। उस दिन श्रावण शुक्ल पंचमी थी। तब से आज तक नागों के कोप से बचने के लिए इस दिन नागों की पूजा की जाती है।

क्यों करते हैं नाग पंचमी पूजा

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🐍 नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने के उपरोक्त धार्मिक और सामाजिक कारण तो हैं ही साथ ही इसके ज्योतिषीय कारण भी हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में योगों के साथ-साथ दोषों को भी देखा जाता है। कुंडली के दोषों में कालसर्प दोष एक बहुत ही महत्वपूर्ण दोष होता है। काल सर्प दोष भी कई प्रकार का होता है। इस दोष से मुक्ति के लिये भी ज्योतिषाचार्य नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने के साथ-साथ दान दक्षिणा का महत्व बताते हैं।

*नाग पंचमी पर क्या करें क्या न करें*

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🐍 इस दिन भूमि की खुदाई नहीं की जाती। नाग पूजा के लिये नागदेव की तस्वीर या फिर मिट्टी या धातू से बनी प्रतिमा की पूजा की जाती है। दूध, धान, खील और दूब चढ़ावे के रूप मे अर्पित की जाती है। सपेरों से किसी नाग को खरीदकर उन्हें मुक्त भी कराया जाता है। जीवित सर्प को दूध पिलाकर भी नागदेवता को प्रसन्न किया जाता है।