ॐ .... १० लकार का अनमोल ज्ञान :-- >>> संस्कृत में काल दश भागों में विभाजित है जिनको दश लकार कहा जाता है :-- *************** ०१ ) लट् ---- ल् + अ + ट् ०२ ) लिट् ---- ल् + इ + ट् ०३ ) लुट् ---- ल् + उ + ट् ०४ ) लृट् ---- ल् + ऋ + ट् ०५ ) लेट् ---- ल् + ए + ट् ०६ ) लोट् ---- ल् + ओ + ट् *************** ०७ ) लङ् ---- ल् + अ + ङ् ०८ ) लिङ्---- ल् + इ + ङ् ०९ ) लुङ्---- ल् + उ + ङ् १० ) लृङ्---- ल् + ऋ + ङ् *************** इनको स्मरण करने की विधी ये है कि :- *************** ल् में ( अ इ उ ऋ ए ओ ) क्रम से जोड़ दो । और क्रमानुसार ( ट् ) जोड़ते जाओ । फिर बाद में ( ङ् ) जोड़ते जाओ जब तक कि दश लकार पूरे न हो जाएँ । *************** इन लकारों के काल ये हैं :- **************
* (१) लट् लकार = वर्तमान काल । जैसे :- राम खेलता है । **************
* (२) लिट् = अनद्यतन परोक्ष भूतकाल । जो अपने साथ न घटित होकर किसी इतिहास का विषय हो । जैसे :- राम ने रावण को मारा था । **************
* (३) लुट् लकार = अनद्यतन भविष्यत काल । जो आज का दिन छोड़ कर आगे होनो वाला हो । जैसे :- राम परसों विद्यालय नहीं जायेगा । **************
* (४) लृट् लकार = सामान्य भविष्य काल । जो आने वाले किसी भी समय में होने वाला हो । जैसे :- राम यह कार्य करेगा । **************
* (५) लेट् लकार = यह लकार केवल वेद में प्रयोग होता है ईश्वर के लिए क्योंकि वह किसी काल में बंधा नहीं है । **************
* (६) लोट् लकार = ये लकार आज्ञा, अनुमति लेना, प्रशंसा करना, प्रार्थना आदि में प्रयोग होता है । जैसे :- आप जाओ , वह खेले, तुम खाओ , क्या मैं बोलूँ ?
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(७) लङ् लकार = अनद्यतन भूत काल । आज का दिन छोड़ कर किसी अन्य दिन जो हुआ हो । जैसे :- आपने उस दिन भोजन पकाया था । ***************
(८) लिङ् लकार = इसमें दो प्रकार के लकार होते हैं :-- # आशीर्लिङ् = किसी को आशिर्वाद देना हो । जैसे :- आप जीओ , तुम सुखी रहो आदि । # विधिलिङ् = किसी को विधी बतानी हो । जैसे :- आपको पढ़ना चाहिए , मुझे जाना चाहिए आदि । ***************
(९) लुङ् लकार = सामान्य भूत काल । जो कभी भी बीत चुका हो । जैसे :- मैंने खाना खाया । **************
* (१०) लृङ् लकार = ऐसा भूत काल जिसका प्रभाव वर्तमान तक हो । जब किसी क्रिया की असिद्धी हो गई हो । जैसे :- यदि तूँ पढ़ता तो विद्वान बनता । ***************