कितना प्राचीन है हिंदू धर्म?

 

भाइयो अभी किसी मुस्लिम ने बोला की इस्लाम तब से है जब से दुनिया है लेकिन मुस्लिम कभी ये बात सिद्ध नहीं कर पाये क्यूंकि केवल क़ुरान मे ही जिक्र मिलता है और दुनिया मे १४०० से पहले कोई सबूत नहीं मिलता इस्लाम का इसलिए आज मे बताओगे की सबसे पहले कौन सा धर्म था और उसके बाद कौन कौन से धर्म आये....... और हा एक बात और बहुत समय पहले पूरी दुनिया के देश आपस मे ही जुड़े हुए थे जिसको जम्बुद्वीप कहा जाता था जिसका सबूत इस लिंक मे है- https://hi.wikipedia.org/wiki/जम्बुद्वीप और केवल भारत मे ही जन-जीवन था और इसका उद्धरण है सिंधु घाटी सभ्यता और कही पे जन-जीवन नहीं था और हर जगह जंगल और रेगिस्तान ही था और धीरे धीरे प्राकृतिक आपदा के कारण देश एक दूसरे से अलग होते गए।

 

कहते हैं कि एक समय था जबकि संपूर्ण धरती पर सिर्फ हिंदू थे। मैक्सिको में एक खुदाई के दौरान गणेश और लक्ष्मी की प्राचीन मूर्तियां पाई गईं। अफ्रीका में 6 हजार वर्ष पुराना एक शिव मंदिर पाया गया और चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, लाओस, जापान में हजारों वर्ष पूरानी विष्णु, राम और हनुमान की प्रतिमाएं मिलना इस बात के सबूत हैं कि हिंदू धर्म संपूर्ण धरती पर था।

 

'मैक्सिको' शब्द संस्कृत के 'मक्षिका' शब्द से आता है और मैक्सिको में ऐसे हजारों प्रमाण मिलते हैं जिनसे यह सिद्ध होता है। जीसस क्राइस्ट्स से बहुत पहले वहां पर हिंदू धर्म प्रचलित था- कोलंबस तो बहुत बाद में आया।

 

मैक्सिको में हिंदुओं के देवता गणेश की मूर्तियां हैं, दूसरी ओर इंग्लैंड में गणेश की मूर्ति का मिलना असंभव है। कहीं भी मिलना असंभव है, जब तक कि वह देश हिंदू धर्म के संपर्क में न आया हो, जैसे सुमात्रा, बाली और मैक्सिको में संभव है, लेकिन और कहीं नहीं, जब तक वहां हिंदू धर्म न रहा हो। मैं जो यह कुछ उल्लेख कर रहा हूं, अगर तुम इसके बारे में और अधिक जानकारी पाना चाहते हो तो तुम्हें भिक्षु चमन लाल की पुस्तक ‘हिंदू अमेरिका’ देखनी पड़ेगी, जो कि उनके जीवनभर का शोधकार्य है। (स्वर्णिम बचपन : ओशो- प्रवचनमाला सत्र- 6-नानी का प्रेम… भारत एक सनातन)।

 

हिंदू और जैन धर्म :-

अब तक प्राप्त शोध के अनुसार हिंदू धर्म दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म है, लेकिन यह कहना कि जैन धर्म की उत्पत्ति हिंदू धर्म के बाद हुई तो यह उचित नहीं होगा। ऋ‍ग्वेद में आदिदेव ऋषभदेव का उल्लेख मिलता है।

 

राजा जनक भी विदेही (दिगंबर) परंपरा से थे। वैदिक काल में पहले ऐसा था कि परिवार में एक व्यक्ति ब्राह्मण धर्म में ‍दीक्षा लेता था तो दूसरा जैन। इक्ष्वाकू कुल के लोग हिंदू भी थे और जैन भी। इस देश में दो जड़ें एकसाथ विकसित हुईं। जैसे हमारे दो हाथ हैं जिसके बारे में हम कह नहीं सकते कि पहले कौन से हाथ की उत्पत्ति हुई, उसी तरह जैन पहले या हिंदू? यह कहना अनुचित होगा।

 

यहूदी धर्म :-

वैसे हिंदू धर्म के बाद बहुत से प्राचीन धर्मों का उल्लेख किया जा सकता है, जैसे पेगन, वूडू आदि लेकिन हिंदू-जैन के बाद यहूदी धर्म ही एकमात्र ऐसा धर्म था जिसने धर्म को एक नई व्यवस्था में ढाला और उसे एक नई दिशा और संस्कृति दी।यहूदी धर्म की शुरुआत पैगंबर अब्राहम (अबराहम या इब्राहिम) से मानी जाती है, जो ईसा से 2000 वर्ष पूर्व हुए थे। पैगंबर अलै. अब्राहम के पहले बेटे का नाम हजरत इसहाक अलै. और दूसरे का नाम हजरत इस्माईल अलै. था। दोनों के पिता एक थे, किंतु माँ अलग-अलग थीं। हजरत इसहाक की माँ का नाम सराह था और हजरत इस्माईल की माँ हाजरा थीं।

 

हजरत आदम से लेकर अब्राहम और अब्राहम से लेकर मूसा तक की परंपरा यहूदी धर्म का हिस्सा है। ये सभी कहीं न कहीं हिंदू धर्म की परंपरा से जुड़े थे। ऐसा माना जाता है कि राजा मनु को ही यहूदी लोग हज. नूह कहते थे।

 

पारसी धर्म : -

यहूदी धर्म के बाद वैदिक धर्म से ही पारसी धर्म का जन्म हुआ। पारसी धर्म के स्थापक अत्री ऋषि के कुल से थे। पारसी धर्म का उदय ईसा से 700 वर्ष पूर्व पारस (ईरान) में हुआ। पारस को बाद में फारस कहा जाने लगा। फारस पर पारसियों का शासन था। यह पारसी धर्म के लोगों की मूल भूमि है। पारसी धर्म के संस्थापक है जरथुस्त्र।

 

ईरानी लोग जो पारसी धर्म का पालन करते थे, इस्लाम के लगातार हो रहे आक्रमण को झेल नहीं पाए। 7वीं सदी में मोहम्मद बिन कासिम के आक्रमण के बाद पारसियों ने पलायन कर भारत में शरण ली। अब फारस ईरान के रूप में एक मुस्लिम राष्ट्र है।

 

बौद्ध धर्म :-

यहूदी धर्म के बाद पांच सौ ई पू अस्तित्व में आया पांचवां सबसे बड़ा धर्म- बौद्ध धर्म। बौद्ध धर्म के संस्थापक थे भगवान बुद्ध। बुद्ध स्वयं हिंदू थे। बौद्ध धर्म को हिंदू धर्म का सबसे नवीनतम और शुद्ध संस्करण माना जाता था।

 

बौद्ध काल आते-आते हिंदू धर्म बिगाड़ का शिकार हो चला था। लोग वैदिक मार्ग को छोड़कर पुराणिकों के बहुदेववादी मार्ग पर चलने लगे थे। भगवान बुद्ध ने पहली दफे धर्म को एक वैज्ञानिक व्यवस्था दी और समाज को एकजुट किया, लेकिन शंकराचार्य के बाद हिंदुओं का बौद्ध धर्म में दीक्षा लेना रुक गया।

 

ईसाई धर्म :-

बौद्ध धर्म के बाद आज से 2 हजार वर्ष पूर्व ईसाई धर्म की शुरुआत की ईसा मसीह से। ईसाई धर्म से पूर्व कोई भी धर्म किसी दूसरे धर्म के प्रति हिंसक नहीं था लेकिन ईसाई धर्म ने दुनिया को धर्म के लिए क्रूसेड करना सिखाया। इतिहास गवाह है कि दुनियाभर में क्रूसेडर्स ने निर्मम तरीके से दूसरे धर्म के लोगों की हत्या कर ईसाई धर्म को दुनियाभर में जबरन फैलाया।

 

शुरुआत में जीसस क्राइस्ट के 12 शिष्यों ने इस धर्म का प्रचार-प्रसार किया। बाद में यह धर्म जब स्थापित हो गया तो इसे इसके अनुयायियों ने युद्ध और क्रूसेड के दम पर दुनियाभर में फैलाया। क्राइस्ट के शिष्यों और बाद के ईसाइयों ने ईसाई धर्म को संगठित कर उसे चर्च के अधीन बनाया। इसके लिए उन्होंने बहुत कुछ यहूदी और बौद्ध धर्म से ग्रहण किया।

 

इस्लाम :-

ईसाई धर्म के बाद आज से 1400 वर्ष पूर्व यानी छठी सदी में इस्लाम धर्म की स्थापना हुई। ह. मोहम्मद ने इस धर्म की शुरुआत की और देखते ही देखते यह धर्म मात्र 100 वर्ष में पूरे अरब का धर्म बन गया। विद्वान लोग इसे पूरी तरह से यहूदी-वैदिक धर्म का मिला-जुला रूप मानते हैं।

 

हजरत मोहम्मद से पहले अरब में धर्म के मनमाने रूप प्रचलित हो चले थे और धर्म ‍पूरी तरह से बिगाड़ का शिकार था। हजरत मोहम्मद ने धर्म को एक नई व्यवस्था दी ताकि लोग धर्म का अच्छे से पालन कर सकें और सामाजिक अनुशासन में रहें।

 

सिख धर्म :-

जब अरब, तुर्क और ईरान के कारण हिंदू धर्म खतरे में था, चारों ओर युद्ध चल रहा था ऐसे में गुरु नानकदेवजी ने आकर लोगों में भाईचारे और विश्वास का माहौल बनाया। उनका जन्म कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन 1469 को राएभोए की तलवंडी नामक स्थान में हुआ था। तलवंडी को ही अब नानक के नाम पर ननकाना साहब कहा जाता है, जो कि अब पाकिस्तान में है।

 

सिख परंपरा में दस गुरुओं ने मिलकर सिख धर्म को मजबूत किया। अंतिम गुरु गुरुगोविंद सिंहजी ने सिख धर्म को विश्व का सबसे शक्तिशाली धर्म बनाया।

 

तो ये थे वह धर्म जिनके नाम से सभी लोग परिचित हैं। हिंदू, जैन, यहूदी, पारसी, बौद्ध, ईसाई, इस्लाम और सिख धर्म। लेकिन इन प्रमुख धर्मों के अलावा भी धरती पर और भी कई धर्म थे जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं।

 

शिंतो धर्म : जापान के शिंतो धर्म की ज्यादातर बातें बौद्ध धर्म से ली गई थीं फिर भी इस धर्म ने अपनी एक अलग पहचान कायम की थी। इस धर्म में कालांतर में प्राकृतिक शक्तियों, महान व्यक्तियों, पूर्वजों तथा सम्राटों की भी उपासना की जाती थी, किंतु बौद्ध धर्म के प्रभाव से सारी रूढ़ियाँ छूट गईं लेकिन 1868-1912 में शिंतो धर्म ने बौद्ध विचारों से स्वतंत्र होकर अपने धार्मिक मूल्यों की पुन: व्याख्‍या और स्थापना कर इसे जापान का 'राजधर्म' बना दिया गया।

 

जेन धर्म :-

जेन (zen) को झेन भी कहा जाता है। यह सम्प्रदाय जापान के सेमुराई वर्ग का धर्म है। जेन का विकास चीन में लगभग 500 ईस्वी में हुआ। चीन से यह 1200 ईस्वी में जापान में फैला। प्रारंभ में जापान में बौद्ध धर्म का कोई संप्रदाय नहीं था किंतु धीरे-धीरे वह बारह सम्प्रदायों में बँट गया जिसमें जेन भी एक था। हालांकि चीन में लाओत्से और कन्यूशियस की विचारधारा भी थी।

 

पेगन धर्म :-

पेगन धर्म को मानने वालों को जर्मन के हिथ मूल का माना जाता है, लेकिन ये रोम, अरब और अन्य इलाकों में भी बहुतायत में थे, हालाँकि इसका विस्तार यूरोप में ही ज्यादा था। एक मान्यता अनुसार यह अरब के मुशरिकों के धर्म की तरह था और इसका प्रचार-प्रसार अरब में भी काफी फैल चुका था। यह धर्म ईसाई धर्म के पूर्व अस्तित्व में था।

 

जानें वूडू धर्म को : वूडू... इसे आप कोई भी नाम दे सकते हैं, क्योंकि यह ‍दुनियाभर की आदिम जातियों, आदिवासियों का प्रारंभिक धर्म रहा है। इस तरह की परंपरा को अंग्रेजी में टेबू कह सकते हैं। यह आज भी दुनियाभर में जिंदा है। नाम कुछ भी हो, पर इसे आप आदिम धर्म कह सकते हैं। इसे लगभग 6,000 वर्ष से भी ज्यादा पुराना धर्म माना जाता है।

 

मुशरिकों का धर्म :-

600 ईसा पूर्व ईस्वी से पूर्व इस्लाम से पहले अरब में तीन परंपरा प्रचलन में थी। एक अरब का पुराना धर्म जिसे दीने इब्राहीमी कहा जाता था। यह इब्राहीमी धर्म ही बिगाड़ का शिकार होकर मुशरिकों का धर्म बन चुका था। दूसरा यहूदी धर्म और तीसरा ईसाई धर्म। मुशरिकों में से कुछ मुसलमान बन गए और कुछ जंग में मारे गए। इस्लाम की लड़ाई जहां मुशरिकों से थे वहीं यहूदी और ईसाइयों से भी थी। इस कशमकश में इस्लाम जीतता गया।

 

मुशरिक अपने पूर्वजों और योद्धाओं की कब्रों की पूजा करते थे और उनसे आशीर्वाद मांगते थे। मुशरिक काबा को अपना इबादतगाह मानते थे। काबा में 300 से ज्यादा मूर्तियां रखी थीं और उसके आसपास कब्रें थीं। यहूदी भी यहीं पूजा करते थे।

 

मुशरिक बहुदेववादी और मूर्तिपूजक थे। बहुत से विद्वान मानते हैं कि ये सभी हिंदू थे व इनका समाज मुशरिक था, लेकिन हिंदू विद्वान इस बात से इत्तेफाक रखते हैं। इस पर विवाद हैं। मुशरिक का अर्थ होता है ईश्वर को छोड़कर या ईश्वर के अतिरिक्त अन्य को पूजने वाला बहुदेववादी। हिंदू तो एकेश्वरवादी धर्म है।

 

इराक और सीरिया में सुबी नाम से एक जाति है यही साबिईन है। इन साबिईन को अरब के लोग हिंदू मानते थे। साबिईन अर्थात नूह की कौम। भारतीय मूल के लोग बहुत बड़ी संख्या में यमन में आबाद थे, जहां आज भी श्याम और हिंद नामक किले मौजूद हैं।

 

इस्लाम ने जब अरब से बाहर कदम रखा तो उनका पहला सामना पारसी धर्म के लोगों से हुआ। उन्होंने पारसी धर्म के लोगों को ईरान से खदेड़ दिया उसी तरह जिस तरह की अफगानिस्तान और पाकिस्तान से हिंदू और बौद्धों को खदेड़ दिया।

जब हम इतिहास की बात करते हैं तो वेदों की रचना किसी एक काल में नहीं हुई। विद्वानों ने वेदों के रचनाकाल की शुरुआत 4500 ई.पू. से मानी है अर्थात ये धीरे-धीरे रचे गए और अंतत: कृष्ण के समय में वेदव्यास द्वारा पूरी तरह से वेद को चार भागों में विभाजित कर दिया गया। इस मान से लिखित रूप में आज से 6508 वर्ष पूर्व पुराने हैं वेद। यह भी तथ्‍य नहीं नकारा जा सकता कि कृष्ण के आज से 5500 वर्ष पूर्व होने के तथ्‍य ढूंढ लिए गए।

 

हिंदू और जैन धर्म की उत्पत्ति पूर्व आर्यों की अवधारणा में है, जो 4500 ई.पू. (आज से 6500 वर्ष पूर्व) मध्य एशिया से हिमालय तक फैले थे। कहते हैं कि आर्यों की ही एक शाखा ने पारसी धर्म की स्थापना भी की। इसके बाद क्रमश: यहूदी धर्म 2 हजार ई.पू., बौद्ध धर्म 500 ई.पू., ईसाई धर्म सिर्फ 2000 वर्ष पूर्व, इस्लाम धर्म 1400 साल पहले हुए।