दुनिया की सबसे बेहतरीन मिसाइल स्वप्न लेकर आ रहा है भारत, टारगेट को नष्ट कर वापस खुद वापस आ जाएगी:---

 

भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की गिनती दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित रक्षा अनुसंधान और विकास संगठनों के तौर पर की जाती है | ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि आज पूरी दुनिया को इस बात का पता चल चुका है भारतीय रक्षा अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक बेहद प्रतिभावान है और वे अपने देश यानि हिन्दुस्तान को नित्य नई रक्षा और युद्ध प्रणालियों से लैस करते जा रहे है | अब इसी कड़ी में एक नाम और जुड़ चुका है, इस मिसाइल का नाम है स्वप्न –

 

जानें क्या ख़ास है स्वप्न मिसाइल में –

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन डीआरडीओ ‘स्वप्न’ नामक लंबी दूरी तक मार करने वाले एक ऐसे प्रक्षेपास्त्र का विकास कर रहा है जिसका तोड़ शायद दुनिया के किसी भी देश के पास नहीं होगा | इस प्रक्षेपास्त्र की सबसे बड़ी खासबात यह है कि अमेरिकी क्रूज मिसाइल 3 एवं रिमोट से चलने वाले वाहन का एक संगम होगा |

 

यह प्रक्षेपास्त्र परम्परागत एवं परमाणु आयुधों को प्रक्षेपित करने में सक्षम होगा तथा इसे कम से कम 100 बार प्रयोग में लाया जा सकेगा |

 

इस प्रक्षेपास्त्र की एक और खासबात यह भी है कि यह मिसाइल ध्वनि की गति से कई गुना तेज चलेगा और साथ ही इस मिसाइल को बनाने के लिए एक ऐसे धातु का प्रयोग किया जा रहा है जिसकी वजह से दुनिया का कोई भी रडार इस मिसाइल को नहीं पकड़ सकेगा |

 

इस प्रक्षेपास्त्र में रैमजेट और स्क्रैमजेट इंजन वायु श्वासी प्रणोदन प्रणाली का प्रयोग किया जाएगा जिसकी वजह से उड़ान के दौरान आने वाली हवा, हाइड्रोजन से मिश्रित होकर दहन के बाद एक ऐसा दबाव उत्पन्न करती है जिससे इस प्रक्षेपास्त्र का वेग ध्वनि के वेग (332 मी/सेकंड) से भी 7 गुना या फिर इससे भी अधिक हो जाएगा |

 

ज्ञात हो कि रैमजेट इंजन का प्रयोग भारत में डीआरडीओ ने पहले ही जमीन से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल में कर दिया है | इससे डीआरडीओ को बेहतरीन परिणाम भी देखने को मिल चुके है |

 

भारत की यह मिसाइल पूरे पाकिस्तान और चीन को कर सकती है तबाह, अमेरिका की टॉम हाक के टक्कर की है |

 

स्वप्न मिसाइल कि सबसे बड़ी खासबात यह है कि यह मिसाइल अपने लक्ष्य को भेदकर खुद नष्ट नहीं होगी बल्कि यह अपने आधार पर पुनः वापस लौट आएगी | अपने आधार पर पुनः वापस लौटने के लिए इस मिसाइल में निर्देशात्मक प्रणाली (आर.जी.एस.) का प्रयोग किया जाएगा |