काली माँ कि कृपा प्राप्त कर समस्त समस्या निवारणके लिये यह स्तोत्र हर सुवह 1बार जरूर पाठ करके देखलिजिये आपको लाभ जरूर मिलेगा।

जय माँ काली....

 

श्री श्री काली

सहस्त्राक्षरी ।।

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ॐ क्रीं क्रीँ क्रीँ

ह्रीँ ह्रीँ हूं हूं दक्षिणे कालिके

क्रीँ क्रीँ क्रीँ

ह्रीँ ह्रीँ हूं हूं स्वाहा शुचिजाया

महापिशाचिनी दुष्टचित्तनिवारिणी

क्रीँ कामेश्वरी वीँ हं वाराहिके

ह्रीँ महामाये खं खः क्रोघाघिपे

श्रीमहालक्ष्यै सर्वहृदय रञ्जनी

वाग्वादिनीविधे त्रिपुरे हंस्त्रिँ हसकहलह्रीँ

हस्त्रैँ ॐ ह्रीँ क्लीँ मे स्वाहा

ॐ ॐ ह्रीँ ईं स्वाहा दक्षिण कालिके

क्रीँ हूं ह्रीँ स्वाहा खड्गमुण्डधरे

कुरुकुल्ले तारे ॐ. ह्रीँ नमः

भयोन्मादिनी भयं मम हन हन पच पच मथ मथ फ्रेँ

विमोहिनी सर्वदुष्टान् मोहय मोहय

हयग्रीवे सिँहवाहिनी सिँहस्थे अश्वारुढे

अश्वमुरिप विद्राविणी विद्रावय मम शत्रून मां

हिँसितुमुघतास्तान् ग्रस ग्रस महानीले

वलाकिनी नीलपताके क्रेँ क्रीँ

क्रेँ कामे संक्षोभिणी उच्छिष्टचाण्डालिके

सर्वजगव्दशमानय वशमानय मातग्ङिनी

उच्छिष्टचाण्डालिनी मातग्ङिनी

सर्वशंकरी नमः स्वाहा विस्फारिणी कपालधरे

घोरे घोरनादिनी भूर शत्रून् विनाशिनी

उन्मादिनी रोँ रोँ रोँ रीँ ह्रीँ

श्रीँ हसौः सौँ वद वद क्लीँ

क्लीँ क्लीँ क्रीँ

क्रीँ क्रीँ कति कति स्वाहा काहि काहि

कालिके शम्वरघातिनी कामेश्वरी कामिके ह्रं

ह्रं क्रीँ स्वाहा हृदयाहये ॐ

ह्रीँ क्रीँ मे स्वाहा ठः ठः ठः

क्रीँ           

 

ह्रं ह्रीँ चामुण्डे हृदयजनाभि

असूनवग्रस ग्रस दुष्टजनान् अमून शंखिनी

क्षतजचर्चितस्तने उन्नस्तने विष्टंभकारिणि विघाधिके

श्मशानवासिनी कलय कलय विकलय विकलय

कालग्राहिके सिँहे दक्षिणकालिके अनिरुद्दये ब्रूहि ब्रूहि

जगच्चित्रिरे चमत्कारिणी हं कालिके करालिके घोरे कह

कह तडागे तोये गहने कानने शत्रुपक्षे शरीरे मर्दिनि

पाहि पाहि अम्बिके तुभ्यं कल विकलायै बलप्रमथनायै योगमार्ग

गच्छ गच्छ निदर्शिके देहिनि दर्शनं देहि देहि मर्दिनि महिषमर्दिन्यै

स्वाहा रिपुन्दर्शने दर्शय दर्शय सिँहपूरप्रवेशिनि

वीरकारिणि क्रीँ क्रीँ

क्रीँ हूं हूं ह्रीँ ह्रीँ फट्

स्वाहा शक्तिरुपायै रोँ वा गणपायै रोँ रोँ रोँ व्यामोहिनि यन्त्रनिकेमहाकायायै

प्रकटवदनायै लोलजिह्वायै मुण्डमालिनि महाकालरसिकायै नमो नमः

ब्रम्हरन्ध्रमेदिन्यै नमो नमः शत्रुविग्रहकलहान् त्रिपुरभोगिन्यै

विषज्वालामालिनी तन्त्रनिके मेधप्रभे शवावतंसे हंसिके

कालि कपालिनि कुल्ले कुरुकुल्ले चैतन्यप्रभेप्रज्ञे तु साम्राज्ञि

ज्ञान ह्रीँ ह्रीँ रक्ष रक्ष ज्वाला

प्रचण्ड चण्डिकेयं शक्तिमार्तण्डभैरवि विप्रचित्तिके विरोधिनि

आकर्णय आकर्णय पिशिते पिशितप्रिये नमो नमः खः खः खः मर्दय

मर्दय शत्रून् ठः ठः ठः कालिकायै नमो नमः ब्राम्हयै नमो नमः

माहेश्वर्यै नमो नमः कौमार्यै नमो नमः वैष्णव्यै नमो नमः वाराह्यै

नमो नमः इन्द्राण्यै नमो नमः चामुण्डायै नमो नमः अपराजितायै नमो नमः

नारसिँहिकायै नमो नमः कालि महाकालिके अनिरुध्दके सरस्वति फट्

स्वाहा पाहि पाहि ललाटं भल्लाटनी

अस्त्रीकले जीववहे वाचं रक्ष रक्ष

परविधा क्षोभय क्षोभय आकृष्य आकृष्य कट कट महामोहिनिके

चीरसिध्दके कृष्णरुपिणी अंजनसिद्धके

स्तम्भिनि मोहिनि मोक्षमार्गानि दर्शय दर्शय स्वाहा ।।

 

आभारः- नेपाली तांत्रिक