ब्राह्मणों के अन्दर आठ गुण बताये गये है
।।श्लोक।।
दम्भं नोद्वहते न निन्दते परान् नो भाषते निष्ठुरान्
प्रोक्तं केनचिदप्रियं च सहते क्रोध च नालम्वते ।
ज्ञात्वा शास्त्रमपि प्रभूतमनिशं संतिष्ठते मूकवत्
दोषांश्छादयते गुणान् वितनुते चाष्टौ गुणाः पण्डिते ।।
अर्थः (1) कपट न करना ।
(2) दुसरो की निन्दा न करना ।
( 3) निष्ठुर वचन न वोलना ।
(4) कौई अप्रित वचन वोल भी दे तो सह लेना।
(5) कोध्र न करना ।
(6) शास्त्रो का प्रचुर ज्ञान होने पर भी मूक की तरह रहना अर्थात अहंकार न करना।
(7) दूसरे के दोषो को छिपाना ।
(8) गुणो को प्रकट करना ।
ये आठ गुण ब्राह्मणो के होते है। मूर्खस्य पञ्च चिह्नानि , गर्वो दुर्वचनं तथा।
क्रोधश्च दृढवादश्च परवाक्येष्वनादरः॥
मूर्खों के पाँच लक्षण होते हैं - गर्व, अपशब्द, क्रोध, हठ और दूसरों की बातों का अनादर करना॥