लद्दाख में तैनात सैनिकों के सहयोग हेतु पाञ्चजन्य ने कम्प्यूटर भेंट किए


ले. जन. अर्जुन रे ने कहा-

सेना युद्ध भी जीतेगी और लोगों के दिल भी

-- प्रतिनिधि

नई दिल्ली, 17 अक्तूबर! किसी राष्ट्र की ताकत सिर्फ बन्दूकों या हथियारों में नहीं होती, यदि जनता के मन में देशभक्ति और जान पर खेल कर सेना का साथ देने की अदम्य इच्छा न हो तो विजय नहीं मिलती। ये उद्गार व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री कुप्. सी. सुदर्शन ने जनता और सेना में सहयोग की बात कही और कामना की कि सेना युद्ध भी जीते और लोगों के हृदय भी। श्री सुदर्शन पाञ्चजन्य कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम में पाञ्चजन्य विजय कोष में एकत्रित धन राशि से 7 कम्प्यूटर लद्दाख में तैनात सैनिकों की सहायता हेतु ससम्मान भेंट किए गए। लद्दाख में 14वीं कोर के जनरल आफीसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल अर्जुन रे ने यह भेंट स्वीकार करते हुए सेना और जनता के बीच सहयोग की कामना की और लद्दाख में सेना द्वारा चलाए जा रहे आपरेशन सद्भावना की विस्तार से जानकारी दी।

कम्प्यूटर भेंट करते हुए श्री सुदर्शन ने कहा कि चूंकि सर्वसाधारण जनता का ध्यान रोजी-रोटी पर केन्द्रित रहता है, ऐसी परिस्थितियों में यदि उसे यह वि·श्वास हो कि सेना उसके विकास और उन्नति के लिए काम कर रही है तो इसके बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं। इस दृष्टि से लद्दाख में ले.ज. अर्जुन रे जिस सद्भावना अभियान को चला रहे हैं, उससे जनता में राष्ट्रप्रेम और देशभक्ति का भाव सुदृढ़ हुआ है। उन्होंने ऐसे अभियानों के बीच बाधा डालने वाले, जनता को उकसाने वाले तत्वों से सावधान रहने की भी सलाह दी और कहा कि हमें ऐसे तत्वों को भी परास्त करना होगा। उन्होंने कामना की कि सेना देशभक्तों के प्रति सद्भावना और देश शत्रुओं के प्रति अपनी कठोर भूमिका में सफल हो।

सैनिकों को दी गई इस भेंट और सहयोग के प्रति आभार प्रकट हुए ले.ज. अर्जुन रे बताया कि डेढ़ साल पहले लद्दाख में आतंकवाद का शुरुआती दौर स्पष्ट दिखाई देने लगा था। किन्तु शीघ्र ही इस पर काबू पाने के लिए हमने सैनिक कार्रवाइयों के अलावा "आपरेशन सद्भावना' शुरू किया। और जनता के सहयोग से हमें इसमें सफलता मिली है। इसका प्रमाण यह है कि पिछले 16 महीने से वहां एक भी आतंकवादी घटना नहीं घटी। और यह उपलब्धि हमें बिना हथियारों और बिना हथियारों के प्रयोग के मिली है। हमने जनता का मन जीता। उन्होंने पाञ्चजन्य के इस कार्य की सराहना करते हुए कहा कि देशभर में यदि ऐसी संस्थाएं और संगठन हों तो हम जिस आदर्श को पाना चाहते हैं, उसका मार्ग और भी सरल हो जाएगा। राष्ट्र निर्माण के लिए पाञ्चजन्य की प्रतिबद्धता सराहनीय है। आतंकवाद की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में फैले आंतकवाद की अंधेरी सुरंग के भीतर हमें आशा और वि·श्वास का दीप जलाए रखना होगा तभी हम आतंकवाद को जड़ से समाप्त कर पाएंगे।

ले.ज. रे ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद और सकल राष्ट्रीय उत्पाद की भांति अति आवश्यक सकल राष्ट्रीय आनन्द है। और सेना का यह कर्तव्य है कि सकल राष्ट्रीय आनंद के लक्ष्य की दिशा में काम करे। सकल राष्ट्रीय आनंद का स्तर ऊपर उठाने का दायित्व व्यवस्थापकों, नीति-निर्धारकों और राजनीतिज्ञों का होना ही चाहिए, लेकिन इस कार्य में हर एक व्यक्ति का शामिल होना जरूरी है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रांत के संघचालक और भारत प्रकाशन के अध्यक्ष श्री सत्यनारायण बंसल ने की। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार व पूर्व सांसद श्री केवल रतन मलकानी और भारत प्रकाशन के निदेशक मंडल के सदस्य श्री रामफल बंसल सहित सेना के अधिकारी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में श्री सत्यनारायण बंसल ने उपस्थित गण्यमान्यजन के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

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