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Assuming व्यवसाय is required, the following 9 results were found.

  1. विशोंत्री महादशाhttps://devwani.org/index.php/articles/1282-विशोंत्री-महादशा

    प्रदान करता है अभिनय क्षेत्र में रुचि लेकर उच्च स्थान प्राप्त करता है आर्थिक स्थिति सुदृढ़ बनती है ।देश-विदेश में अपना व्यवसाय फैलाकर जातक अटूट लक्ष्मी का स्वामी बनता है । इस दशा में जातक सुन्दर भवनों का निर्माण करता है 💐किसीभी जातक की कुंडली...

    • Type: Article
    • Author: Virendra Tiwari
    • Category: लेखाः
  2. बिजनेस में सफलता के लिए करें इन ज्योतिष के उपाय कोhttps://devwani.org/index.php/articles/1295-बिजनेस-में-सफलता-के-लिए-करें-इन-ज्योतिष-के-उपाय-को

    लाभ मिलता है। और भी बहुत सारे उपाय और विधि है हमारे ज्योतिष शास्त्र में अगर आप भी किसी भी प्रकार से बिजनेस कारोबार व्यापार व्यवसाय करते हैं या अन्य किसी बिजनेस करते हैं तो संपर्क करें और खास विधि और प्रयोग करके होने वालेकारोबार व्यापार में सफलता प्राप्त...

    • Type: Article
    • Author: Virendra Tiwari
    • Category: लेखाः
  3. राहु आठवें घर मेंhttps://devwani.org/index.php/articles/1310-राहु-आठवें-घर-में

    जाता है| यंहा बैठा राहु व्यक्ति को अनेक संघर्षों में डाल सकता है|लेकिन जब व्यक्ति अपने आप को तैयार कर लेता है तो निश्चित ही व्यवसाय की दुनिया में एक अलग नाम कमा लेता है | कुंडली में आठवें घर में बैठे राहु वाले लोगों की सबसे बड़ी कमजोरी है उनकी अपनी...

    • Type: Article
    • Author: Virendra Tiwari
    • Category: लेखाः
  4. कुंडली और ग्रहhttps://devwani.org/index.php/articles/1360-कुंडली-और-ग्रह

    हैं । ( गुरु अंश बल के अनुसार बहुत कमजोर है अतः पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं होता है । ) ♦️शुक्र आपकी कुंडली में पति / पत्नी , व्यवसाय , बाहरी स्थान एवं खर्च के स्वामी होते हैं । शुक्र आपकी कुंडली के लिए अकारक ग्रह होते हैं । परन्तु कमजोर या पीड़ित होने पर...

    • Type: Article
    • Author: Virendra Tiwari
    • Category: लेखाः
  5. गुरु किस भाव में सबसे अच्छा होगाhttps://devwani.org/index.php/articles/1361-गुरु-किस-भाव-में-सबसे-अच्छा-होगा

    में शुभता और वृद्धि कर देते हैं। इसी लिए तीसरे भाव से गुरु की पांचवीं दृष्टि सातवें भाव पे पड़ेगी जिससे वैवाहिक जीवन और व्यवसाय के अच्छे फल प्राप्त होंगे । सातवीं दृष्टि भाग्य भाव (नवम) पे होने से जातक के भाग्य में शुभता और वृद्धि कर देंगे । नवीं दृष्टि...

    • Type: Article
    • Author: Virendra Tiwari
    • Category: लेखाः
  6. कुंडली और भाग्य भाव https://devwani.org/index.php/articles/1366-कुंडली-और-भाग्य-भाव

    से हो तो जातक को स्त्री पक्ष से लाभ प्राप्त होता है नवम भाव या उसके स्वामी का संबंध मंगल से हो तो खनन पेट्रोलियम ईट संबंधित व्यवसाय में सफलता प्राप्त होता है पर नवम भाव में बैठा मंगल पिता के लिए अच्छा नहीं होता है नवम या उसके स्वामी का संबंध बुध ग्रह से...

    • Type: Article
    • Author: Virendra Tiwari
    • Category: लेखाः
  7. छठा भाव/स्वामी और आपके शत्रुhttps://devwani.org/index.php/articles/1391-छठा-भाव-स्वामी-और-आपके-शत्रु

    दायरे जातक के दुश्मन और प्रतिस्पर्धी होंगे - वे जातक के विकास (9वें भाव का स्वामी भी) से ईर्ष्या करेंगे और जातक के जीवन / व्यवसाय / जीवनसाथी (7वें भाव के स्वामी चंद्रमा के साथ बुध) से विवाह भी करेंगे। इसी तरह इस तकनीक को अपनाकर आप यह भी पता लगा सकते हैं...

    • Type: Article
    • Author: Virendra Tiwari
    • Category: लेखाः
  8. राह-केतु ग्रहः की महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर दशा फल https://devwani.org/index.php/articles/1285-राह-केतु-ग्रहः-की-महादशा-में-अन्य-ग्रहों-की-अंतर-दशा-फल

    व केतु की अंतर्दशा में जातक अथक परिश्रम करने पर भी जीविकोपार्जन के साधन नहीं जुटा पाता है। जातक को नौकरी मिलती नहीं व व्यवसाय में हानि होती है। जातक को किसी पशु का भय रहता है। जातक अनेक दुखों व कष्टोम के कारण पीड़ित रहता है। 👍केतु महादशा में **शुक्र**...

    • Type: Article
    • Author: Virendra Tiwari
    • Category: लेखाः
  9. पूरे परिवार पर एक साथ विपत्ति आने के सबसे बड़ा कारण है शनि और राहुhttps://devwani.org/index.php/articles/1289-पूरे-परिवार-पर-एक-साथ-विपत्ति-आने-के-सबसे-बड़ा-कारण-है-शनि-और-राहु

    की कुंडली में शनि का नीच होकर त्रिक भाव में बैठना कारण रहते हैं। ज्योतिष के कालपुरुष सिद्धांतानुसार शनि को पितृ, कर्म, व्यवसाय, न्याय, पितापक्ष, बड़े भाई-बहन, लाभ, मोक्ष, पीढ़ा, व्याधि, दुर्घटना, दुर्भाग्य और मृत्यु का कारण माना जाता है। वैदिक ज्योतिष...

    • Type: Article
    • Author: Virendra Tiwari
    • Category: लेखाः
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