गुरु किस भाव में सबसे अच्छा होगा
======================
तीसरे भाव में गुरु (बृहस्पति) अगर विराजमान है तो जातक के लिए सबसे अच्छे फल देने वाले हो सकते हैं।

तीसरा भाव पराक्रम भाव है और गुरु जिस भाव में होते हैं उस भाव का फल कम कर देते हैं तो यहां अच्छे कैसे ?
बिल्कुल पराक्रम भले ही गुरु के यहां होने से कम हो सकता है लेकिन गुरु की दृष्टि जहां पड़ती है उस भाव के फलों में शुभता और वृद्धि कर देते हैं।

इसी लिए तीसरे भाव से गुरु की पांचवीं दृष्टि सातवें भाव पे पड़ेगी जिससे वैवाहिक जीवन और व्यवसाय के अच्छे फल प्राप्त होंगे ।

सातवीं दृष्टि भाग्य भाव (नवम) पे होने से जातक के भाग्य में शुभता और वृद्धि कर देंगे ।

नवीं दृष्टि लाभ भाव (एकादश) पर रहेगी तो जातक की इच्छापूर्ति और लाभ प्राप्ति में ग्रुरू की दृष्टि शुभ फदायक रहेगी ।

एक अच्छे और सुखी जीवन के लिए इन तीनों भावों का जातक की कुंडली अच्छा होना माना गया है तब गुरु का तीसरे भाव में होना सबसे अच्छा माना जा सकता है ।