*दिनाँक -: 29/05/2018,मंगलवार*
पूर्णिमा, शुक्ल पक्ष
अधिक ज्येष्ठ
""""''""""""""""'''(समाप्ति काल)

तिथि---पूर्णिमा19:49:19 तक
पक्ष-------------शुक्ल
नक्षत्र---अनुराधा24:54:57
योग-----शिव17:12:13
करण---विष्टि भद्र07:11:35
करण----भाव19:49:19
वार-----------मंगलवार
माह------अधिक ज्येष्ठ
चन्द्र राशि--------वृश्चिक
सूर्य राशि------------वृषभ
रितु--------------ग्रीष्म
आयन--------उत्तरायण
संवत्सर----------विलम्बी
संवत्सर (उत्तर)--विरोधकृत
विक्रम संवत----------2075
विक्रम संवत (कर्तक)------2074 संवत------------1940

सूर्योदय----- 05:26:04
सूर्यास्त-----19:07:22
दिन काल-------13:41:17
रात्री काल-----10:18:27
चंद्रास्त-----05:45:16
चंद्रोदय------18:55:07

लग्न----वृषभ 13°29' , 43°29'

सूर्य नक्षत्र--------रोहिणी
चन्द्र नक्षत्र-------अनुराधा
नक्षत्र पाया--------रजत

* पद, चरण *

ना----अनुराधा 05:28:47

नी----अनुराधा 11:55:54

नू----अनुराधा 18:24:38

ने----अनुराधा 24:54:57

* ग्रह गोचर *

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
=======================
सूर्य=वृषभ 13°29 , रोहिणी, 2 वा
चन्द्र=वृश्चिक 06 ° 32' अनुराधा 1ना
बुध=वृषभ 03° 50' कृतिका' 3 उ
शुक्र=मिथुन 17° 07 , आर्द्रा , 4 छ
मंगल=मकर 10°24 ' श्रवण ' 1 खी
गुरु=तुला 21°51'विशाखा , 1 ती
शनि=धनु 13 ° 51'पू o षा o '1भू
राहू=कर्क 15 ° 00 ' पुष्य , 4 ड
केतु=मकर 15 ° 00' श्रवण, 2 खू

*शुभा$शुभ मुहूर्त*

राहू काल 15:42 - 17:25अशुभ
यम घंटा 08:51 - 10:34अशुभ
गुली काल 12:17 - 13:59अशुभ
अभिजित 11:49 -12:44शुभ
दूर मुहूर्त 08:10 - 09:05अशुभ
दूर मुहूर्त 23:15 - 24:10*अशुभ

गंड मूल24:55* - अहोरात्रअशुभ

चोघडिया, दिन
रोग 05:26 - 07:09अशुभ
उद्वेग 07:09 - 08:51अशुभ
चाल 08:51 - 10:34शुभ
लाभ 10:34 - 12:17शुभ
अमृत 12:17 - 13:59शुभ
काल 13:59 - 15:42अशुभ
शुभ 15:42 - 17:25शुभ
रोग 17:25 - 19:07अशुभ

चोघडिया, रात
काल 19:07 - 20:25अशुभ
लाभ 20:25 - 21:42शुभ
उद्वेग 21:42 - 22:59अशुभ
शुभ 22:59 - 24:17*शुभ
अमृत 24:17* - 25:34*शुभ
चाल 25:34* - 26:51*शुभ
रोग 26:51* - 28:09*अशुभ
काल 28:09* - 29:26*अशुभ

होरा, दिन
मंगल 05:26 - 06:35
सूर्य 06:35 - 07:43
शुक्र 07:43 - 08:51
बुध 08:51 - 09:59
चन्द्र 09:59 - 11:08
शनि 11:08 - 12:17
बृहस्पति 12:17 - 13:25
मंगल 13:25 - 14:34
सूर्य 14:34 - 15:42
शुक्र 15:42 - 16:50
बुध 16:50 - 17:59
चन्द्र 17:59 - 19:07

होरा, रात
शनि 19:07 - 19:59
बृहस्पति 19:59 - 20:50
मंगल 20:50 - 21:42
सूर्य 21:42 - 22:34
शुक्र 22:34 - 23:25
बुध 23:25 - 24:17
चन्द्र 24:17* - 25:08
शनि 25:08* - 25:59
बृहस्पति 25:59* - 26:51
मंगल 26:51* - 27:43
सूर्य 27:43* - 28:34
शुक्र 28:34* - 29:26

*नोट*-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*दिशा शूल ज्ञान-------उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

*अग्नि वास ज्ञान -:*

15 + 3 + 1= 19 ÷ 4 = 3शेष
पृथ्वी पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

* शिव वास एवं फल -:*

15 + 15 + 5 = 35 ÷ 7 = 0 शेष

शमशान भूमि = मृत्यु कारक

*भद्रा वास एवं फल -:*

प्रातः 07:14 तक समाप्ति

स्वर्ग लोक = शुभ कारक

*विशेष जानकारी *

* पूर्णिमा व्रत

*चौधरी चरण सिंह पुण्य तिथि

*शुभ विचार*

सुखार्थी चेत्यजेद्विद्यां विद्यार्थी चेत्त्यजेत्सुखम् ।
सुखार्थीनः कुतो विद्या सुखं विद्यार्थिनः कुतः ।।
।।चा o नी o।।

जिसे अपने इन्द्रियों की तुष्टि चाहिए, वह विद्या अर्जन करने के सभी विचार भूल जाए. और जिसे ज्ञान चाहिए वह अपने इन्द्रियों की तुष्टि भूल जाये. जो इन्द्रिय विषयों में लगा है उसे ज्ञान कैसा, और जिसे ज्ञान है वह व्यर्थ की इन्द्रिय तुष्टि में लगा रहे यह संभव नहीं.

*सुभाषितानि*

गीता -: विभूतियोग अo-10

मृत्युः सर्वहरश्चाहमुद्भवश्च भविष्यताम्‌ ।,
कीर्तिः श्रीर्वाक्च नारीणां स्मृतिर्मेधा धृतिः क्षमा ॥,

मैं सबका नाश करने वाला मृत्यु और उत्पन्न होने वालों का उत्पत्ति हेतु हूँ तथा स्त्रियों में कीर्ति (कीर्ति आदि ये सात देवताओं की स्त्रियाँ और स्त्रीवाचक नाम वाले गुण भी प्रसिद्ध हैं, इसलिए दोनों प्रकार से ही भगवान की विभूतियाँ हैं), श्री, वाक्‌, स्मृति, मेधा, धृति और क्षमा हूँ॥,34॥,

::::::::::::::::::जयतु भारती::::::::::::::::