ॐ श्रीगणेशाय नम:
¥{{°°°°*अथ पंचांगम्*°°°°}}¥

*दिनाँक -: 27/05/2018,रविवार*
त्रयोदशी, शुक्ल पक्ष
अधिक ज्येष्ठ
"""""""""""""(समाप्ति काल)

तिथि--त्रयोदशी17:57:48 तक
पक्ष------------शुक्ल
नक्षत्र---स्वाति21:37:11
योग--वरियान17:44:06
करण--कौलव05:46:01
करण---तैतुल17:57:48
वार----------रविवार
माह-----अधिक ज्येष्ठ
चन्द्र राशि------ तुला
सूर्य राशि------- वृषभ
रितु--------------ग्रीष्म
आयन------उत्तरायण
संवत्सर--------विलम्बी
संवत्सर (उत्तर)-विरोधकृत
विक्रम संवत-------2075
विक्रम संवत (कर्तक)2074
शाका संवत--------1940

सूर्योदय-----05:26:38
सूर्यास्त------19:06:19
दिन काल----13:39:41
रात्री काल----10:20:01
चंद्रोदय------17:04:59
चंद्रास्त------28:38:12

लग्न--वृषभ11°34' , 41°34'

सूर्य नक्षत्र--------रोहिणी
चन्द्र नक्षत्र--------स्वाति
नक्षत्र पाया---------रजत

* पद, चरण *

रे----स्वाति 09:03:31

रो----स्वाति 15:19:35

ता----स्वाति 21:37:11

ती----विशाखा 27:56:20

* ग्रह गोचर *

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
===============
सूर्य=वृषभ 11°33 , रोहिणी, 1 ओ
चन्द्र=तुला 11 ° 22' स्वाति 2 रे
बुध=मेष 29° 07' कृतिका' 1 अ
शुक्र=मिथुन 13° 37 , आर्द्रा , 3 ङ
मंगल=मकर 09°24 'उत्तराषाढ़ा ' 4 जी
गुरु=तुला 22°11' विशाखा , 1 ती
शनि=धनु 13 ° 51'पू o षा o '1भू
राहू=कर्क 15 ° 10 ' पुष्य , 4 ड
केतु=मकर 15 ° 10' श्रवण, 2 खू

*शुभा$शुभ मुहूर्त*

राहू काल 17:24 - 19:06अशुभ
यम घंटा 12:16 - 13:59अशुभ
गुली काल 15:41 - 17:24अशुभ
अभिजित 11:49 -12:44शुभ
दूर मुहूर्त 17:17 - 18:12अशुभ

चोघडिया, दिन
उद्वेग 05:27 - 07:09अशुभ
चाल 07:09 - 08:52शुभ
लाभ 08:52 - 10:34शुभ
अमृत 10:34 - 12:16शुभ
काल 12:16 - 13:59अशुभ
शुभ 13:59 - 15:41शुभ
रोग 15:41 - 17:24अशुभ
उद्वेग 17:24 - 19:06अशुभ

चोघडिया, रात
शुभ 19:06 - 20:24शुभ
अमृत 20:24 - 21:41शुभ
चाल 21:41 - 22:59शुभ
रोग 22:59 - 24:16*अशुभ
काल 24:16* - 25:34*अशुभ
लाभ 25:34* - 26:51*शुभ
उद्वेग 26:51* - 28:09*अशुभ
शुभ 28:09* - 29:26*शुभ

होरा, दिन
सूर्य 05:27 - 06:35
शुक्र 06:35 - 07:43
बुध 07:43 - 08:52
चन्द्र 08:52 - 09:59
शनि 09:59 - 11:08
बृहस्पति 11:08 - 12:16
मंगल 12:16 - 13:25
सूर्य 13:25 - 14:33
शुक्र 14:33 - 15:41
बुध 15:41 - 16:50
चन्द्र 16:50 - 17:58
शनि 17:58 - 19:06

होरा, रात
बृहस्पति 19:06 - 19:58
मंगल 19:58 - 20:50
सूर्य 20:50 - 21:41
शुक्र 21:41 - 22:33
बुध 22:33 - 23:25
चन्द्र 23:25 - 24:16
शनि 24:16* - 25:08
बृहस्पति 25:08* - 25:59
मंगल 25:59* - 26:51
सूर्य 26:51* - 27:43
शुक्र 27:43* - 28:35
बुध 28:35* - 29:26

*नोट*-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*दिशा शूल ज्ञान-------पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा किसमिश खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

*अग्नि वास ज्ञान -:*

13 + 1+ 1= 15 ÷ 4 = 3शेष
पृथ्वी पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*शिव वास एवं फल -:*

13 + 13 + 5 = 31 ÷ 7 = शेष

वृषभारूढ़ = शुभ कारक

*शुभ विचार*

अन्तः सारविहीनानामुपदेशो न जायते ।
मलयाचलसंसर्गान्न वेणुश्चन्दनायते ।।
।।चा o नी o।।

जिनके भेजे खाली है, वो कोई उपदेश नहीं समझते. यदि बास को मलय पर्वत पर उगाया जाये तो भी उसमे चन्दन के गुण नहीं आते.


###$^^जयतु भारती^^$###
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