[] 1965 के युद्ध में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का योगदान-1 []

<> संघ विरोधीयो को मेरे ओर से जवाब 

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जब 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया तो तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने श्री गुरू जी को टेलिफोन कर अनुरोध

किया कि वे अगले दिन नयी दिल्ली मे पधारे | गुरू जी उस समय महाराष्ट्र का दौरा कर रहे थे

,उन्होने दौरा बिच में ही स्थगीत कर दी और नयी दिल्ली के लिये रवाना हो गये | सम्मेलन में श्री

गुरू जी ने प्रधानमंत्री जी को संघ की ओर से पूर्ण सहयोग प्रदान किया |उन्होने प्रधानमंत्री से यह

अपील की भारतीय सेना केवल बचाव ही न करे ब्लकि उसे अपनी अक्रामक रणनीति अपनाने का अवसर प्रदान किया जाये | सम्मेलन में एक प्रतिनीधी शास्त्री जी को संबोधित करते हुए बार- बार आपकी सेना कहते गया तो श्री गुरू जी ने तीखी चुटकी लेते हुए उसे सुझाव दिया -"हमारी सेना कहिए |"

....युद्ध 22 दिनो तक चला | इस समुची अवधि में दिल्ली में यातायात नियंत्रण जैसा पुलिस कर्म स्वयंसेवको को सौंप दिया गया |ताकि पुलिस और अधिक आवश्यक कार्य कर सके |युद्ध आरंभ होते ही स्वयंसेवको के जत्थे प्रतिदीन दिल्ली के जनरल मिलिटरी अस्पताल पहुँचकर रक्तदान करने लगे |सेना की दृष्टि में संघ विपत्ति में काम

आने वाला सबसे बड़ा मित्र था |जब भी वह किसी प्रकार की नागरिक सहायता की अपेक्षा अनुभव करती तो झट दिल्ली संघ कार्यालय को फोन कर देती |जब युद्ध पुरे वेग पर था तो एक मिलट्री ट्रेन घायल जवानो को लेकर दिल्ली पहुँची |

सैंकड़ो को तत्काल रक्त चढ़ाया जाना था |सेना अधिकारीयो ने दिल्ली संघ कार्यालय को फोन

किया |उस समय अर्धरात्रि थी |अगले दिन सवेरे ही 500 स्वयंसेवक रक्तदान करने मिलट्री

अस्पताल पहुँच गये | अस्पताल के नियम के अनुसार हर स्वयंसेवको को 10-10 ₹ दिये जाने लगा किंतु स्वयंसेवको ने रूपये लौटाते हुए कहा कि

उनका उपयोग घायल जवानो के लिये किया जाए | अगले दिन अनेक समाचार पत्र ने इसे प्रमुखता से छापा था |

अमृतसर के संघ स्वयंसेवको ने सीमा के एक ऐसे क्षेत्र में 4 कैण्टीनें खोली जहाँ पाकिस्तान का तोपखाना गोला बरसाता था | ऐसे संकटभरे क्षेत्रो में कार्यरत स्वयंसेवको का अपार साहसदेखते ही बनता था |ग्रामवासी इन कैण्टीनो को मुफ्त दुध देते थे | वे यहाँ देसी घी का बना भोजन

लाते थे |सैंकड़ो जवान वहाँ भोजन करते थे | 8 सितम्बर को जब सरकारी अधिकारी बहुत से

घायल जवानो के लिये कपड़े सिलवाना चाहते थे तो केवल चार घंटे में ही तैयार करवा दिया गया | स्वयंसेवक सीमावर्ती गांवो में जाकर नागरिक रक्षा के लिये ब्लैक आउट का प्रशिक्षण दिया करते थे |एक बार निशस्त्र स्वयंसेवको ने 4 पाकिस्तानी छतरी सैनिको को पकड़ लिया जो सशस्त्र थे |संघ के स्वयंसेवको ने सीमावर्ती

सभी रेल पटरीयों ,नदियों और नहरो के पुलो और पुलिया तथा हवाई अड्डो की चौकसी अति साहस और दृढ़ता से की |