*राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ*

*आरएसएस* साल में *छह उत्सव* मनाता है। इनमें से एक *गुरु दक्षिणा* कार्यक्रम है। साल में एक बार स्वयंसेवक अपने गुरु *भगवा ध्वज* के समक्ष धनराशि का समर्पण करते हैं। इसी धनराशि से संघ का पूरे साल का खर्च चलता है। संघ कभी भी चंदा नहीं करता है। *गुरु दक्षिणा ‘गुप्त’ होती है।* किसी को पता नहीं होता, किसने कितनी राशि गुरु दक्षिणा में समर्पित की है।

*क्या है _गुरु दक्षिणा_*

*आरएसएस* ने किसी व्यक्ति के स्थान पर *भगवा ध्वज* को अपना गुरु माना है। इसी भगवा ध्वज के समक्ष दैनिक शाखा लगाई जाती है। *भगवा रंग को त्याग, ज्ञान, बलिदान आदि का प्रतीक माना गया है।* सूर्योदय भी भगवा रंग का होता है। अग्नि का रंग भी भगवा होता है, जो सभी तरह की बुराईयों को जला देती है। शुरुआत में स्वयंसेवकों ने संघ के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार से गुरु बनने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने भगवा ध्वज को गुरु घोषित किया।

*हिन्दुओं का शोषण*

देश में *मुसलमानों ने 800 वर्ष* हिन्दुओं का शोषण किया। फिर *अंग्रजों* ने शोषण किया। हिन्दू त्रस्त था। परेशान था। गरीबी की हालत में था। उस समय एक व्यक्ति महाराष्ट्र में पैदा हुए हेडगेवार जी। बाल्यकाल से ही देशभक्ति का गुण था। *महारानी विक्टोरिया* का जन्मदिन हुआ। स्कूल में बच्चों को मिठाई बांटी गई। *बालक हेडगेवार ने मिठाई कूड़ेदान में फेंक दी।* हेडगेवार ने कहा कि *_"जो महारानी हमारे ऊपर अत्याचार करती है, उसके लड्डू नहीं खाएंगे।"_*

*1925 लगी पहली शाखा*

डॉ. हेडगेवार ने *एमबीबीएस* किया, लेकिन प्रैक्टिस नहीं की। उनकी गरीबी की हालत थी। उन्होंने सोचा कि हिन्दुओं को सम्मान जीने का रास्ता दिखाऊंगा। देश के लिए कुछ करें कि अंग्रेज यहां से भाग जाएं। इसी बात के लिए उन्होंने *1925 में मोहिते के बाड़े, नागपुर* में शाखा लगाई बच्चों के साथ। लोग हँसते थे कि हेडगेवार पागल हो गया है। दो-चार बच्चों के साथ अंग्रजों को भगाएगा। उन्होंने इसकी चिन्ता नहीं की। जब लोगों ने देखा कि हिन्दुओं को एकजुट करने का कार्य अच्छा है, तो लोग जुड़ते गए।

*संघ को चलाने के लिए गुरु दक्षिणा*

समस्या यह आई कि संगठन को बढ़ाने के लिए गुरु की आवश्यकता होगी। पहले गुरु होते थे, आजकल नेता हैं। धन भी चाहिए, वो कहां से आए। आज के बारे में पहले ही सोच लिया था। सोचा था कि रसीद काटकर धन लेंगे तो भ्रष्टाचार होगा। उन्होंने गुरु के समक्ष गुरुदक्षिणा कराई। हिन्दू धर्म में यह अनादिकाल से रीति है। हमारे यहां 5-6 हजार प्रचारक रहते हैं। वे शादी नहीं करते हैं। इसके मूल में ये है कि अगर वे शादी-शुदा है तो खर्चे की जरूरत होगी, संगठन का काम नहीं कर पाएगा। संघ को चलाने के लिए गुरु दक्षिणा करने का नियम बना।

*एक दिन की आय दान करें*

हिन्दू मंदिरों में पैसा देते हैं, अच्छा है, लेकिन जब *हिन्दू और हिन्दू धर्म बचेगा, तभी मंदिर बचेगा!* हिन्दू कमजोर होगा तो क्या होगा, सोमनाथ का मंदिर लुट गया। जो संस्था हिन्दुओं को एकजुट करने में लगी है, उसके लिए साल में एक दिन बढ़-चढ़कर योगदान करें। हिन्दू धर्म में कायदा है कि साल में एक दिन की आय दान करें। मैंने अखबार में पढ़ा था कि मुस्लिम आतंकवाद पैसे से होता है। ये पैसा पाकिस्तान और इस्लामिक राज्यों से आता है। बकरीद पर कटने वाले बकरों की खाल से मिलने वाला पूरा पैसा मस्जिदों में जाता है। वो इस्लाम के अच्छे कार्य में लगाने के स्थान पर आतंकवाद में लगता है। ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए हम जाग्रत हों। मुस्लिम जकात में अपनी कमाई का हिस्सा देते हैं।

*ईसाईकरण रोकने में खर्चा*

गरीबी के कारण *उत्तर पूर्व* के राज्यों में ईसाइयों ने धर्मांतरण किया - भोजन, दवा, कपड़े देकर। जब हेडगेवार का ध्यान इस ओर गया, तो उन्होंने प्रचारकों को वहां भेजना शुरू किया। 10-20 फीसदी हिन्दू इसी कारण बचे हुए हैं। *गुरु दक्षिणा का पैसा उत्तर पूर्व राज्यों में जाता है, ताकि हिन्दू ईसाई न बनें।* गुरु दक्षिणा का पैसा पुण्य कार्य में लगता है। प्रचारकों का खर्चा भी इसी से चलता है।
कोई हीनभावना पैदा न हो, इसी कारण लिफाफे में रखकर पैसा देने की परंपरा शुरू की। कुछ ही लोगों को पता होता है कि किसने कितनी गुरु दक्षिणा दी। अन्य किसी को पता नहीं होता है, यह गुप्त है।

और भी कई कार्य हैं जहां संघ बिना किसी सरकारी सहायता के काम करता है जैसे

प्राकृतिक आपदाओं (बाढ़, भूकंप, महामारी) में घिरे लोगों को हर तरह से मदद करना??

गरीबों को के बीच मुफ्त भोजन राशन, दवाईयां, कपड़े, पढ़ाई लिखाई की सामग्री?