जब दो ग्रह एक-दूसरे से सातवें स्थान पर हों अर्थात् 180 डिग्री पर हों, तो यह प्रतियुति कहलाती है। अशुभ ग्रह या अशुभ स्थानों के स्वामियों की युति-प्रतियुति अशुभ फलदायक होती है,

जबकि शुभ ग्रहों की युति शुभ फल देती है।

 

आइए देखें, विभिन्न ग्रहों की युति-प्रतियुति के क्या फल हो सकते हैं -

1. सूर्य-गुरु : उत्कृष्ट योग, मान-सम्मान,

प्रतिष्ठा, यश दिलाता है। उच्च शिक्षा हेतु दूरस्थ प्रवास योग तथा बौद्धिक क्षेत्र में असाधारण यश देता है।

 

2. सूर्य-शुक्र : कला क्षेत्र में विशेष यश दिलाने वाला योग होता है। विवाह व प्रेम संबंधों में भी नाटकीय स्थितियाँ निर्मित करता है।

 

3. सूर्य-बुध : यह योग व्यक्ति को व्यवहार कुशल बनाता है। व्यापार-व्यवसाय में यश दिलाता है। कर्ज आसानी से मिल जाते हैं।

 

4. सूर्य-मंगल : अत्यंत महत्वाकांक्षी बनाने वाला यह योग व्यक्ति को उत्कट इच्छाशक्ति व साहस देता है। ये व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में अपने आपको श्रेष्ठ सिद्ध करने की योग्यता रखते हैं।

 

5.सूर्य-शनि : अत्यंत अशुभ योग, जीवन के हर क्षेत्र में देर से सफलता मिलती है। पिता-पुत्र में वैमनस्य, भाग्य का साथ न देना इस युति के परिणाम हैं।

 

6. सूर्य-चंद्र : चंद्र यदि शुभ योग में हो तो यह युति मान-सम्मान व प्रतिष्ठा की दृष्टि से श्रेष्ठ होती है, मगर अशुभ योग होने पर मानसिक रोगी बना देती है।

 

7. चंद्र-मंगल : यह योग व्यक्ति को जिद्दी व अति महत्वाकांक्षी बनाता है। यश तो मिलता है, मगर स्वास्थ्य हेतु यह योग हानिकारक है। रक्त संबंधी रोग होते हैं।

 

दो ग्रहों युति का फल-

 

चन्द्र की अन्य गृहों से युति/सम्बन्ध का प्रभाव

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चंद्र+मंगल- शत्रुओं पर एवं ईर्ष्या करने वालों पर,

सफलता प्राप्त करने के लिए एवं उच्च वर्ग (सरकारी अधिकारी) विशेषकर सैनिक व शासकीय अधिकारी से मुलाकात करने के लिए उत्तम रहता है।

 

चंद्र+बुध- धनवान व्यक्ति, उद्योगपति एवं लेखक, सम्पादक व पत्रकार से मिलने या सम्बन्ध बनाने के लिए।

 

चंद्र+शुक्र- प्रेम-प्रसंगों में सफलता प्राप्त करने एवं प्रेमिका को प्राप्त करने तथा शादी- ब्याह के समस्त कार्यों के लिए, विपरीत लिंगी से कार्य कराने के लिए।

 

चंद्र+गुरु- अध्ययन कार्य, किसी नई विद्या को सीखने एवं धन और व्यापार उन्नति के लिए।

 

चंद्र+शनि- शत्रुओं का नाश करने एवं उन्हें हानि पहुंचाने या उन्हें कष्ट पहुंचाने के लिए।

 

चंद्र+सूर्य- राजपुरूष और उच्च अधिकारी वर्ग के लोगों को हानि या उसे उच्चाटन करने के लिए।

 

मंगल की अन्य गृहों से युति/सम्बन्ध का प्रभाव

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मंगल+बुध- शत्रुता, भौतिक सामग्री को हानि पहुंचाने, तबाह-बर्बाद, हर प्रकार सम्पत्ति,

संस्था व घर को तबाह-बर्बाद करने के लिए।

 

मंगल+शुक्र- हर प्रकार के कलाकारों (फिल्मी सितारों) में डांस, ड्रामा एवं स्त्री जाति पर प्रभुत्व और सफलता प्राप्त करने के लिए।

 

मंगल+ गुरु- युद्घ और झगड़े में या कोर्ट केस में,

सफलता प्राप्त करने के लिए, शत्रु-पथ पर भी जनमत को अनुकूल बनाने के लिए।

 

मंगल+शनि- शत्रु नाश एवं शत्रु मृत्यु के लिए एवं किसी स्थान को वीरान करने (उजाड़ने ) के लिए।

 

बुध की अन्य गृहों से युति/सम्बन्ध का प्रभाव—-

 

बुध+शुक्र- प्रेम-सम्बन्धी सफलता, विद्या प्राप्ति एवं विशेष रूप से संगीत में सफलता के लिए।

 

बुध+गुरु- पुरुष का पुरुष के साथ प्रेम और मित्रता सम्बन्धों में पूर्ण रूप से सहयोग के लिए एवं हर प्रकार की ज्ञानवृद्घि के लिए नया है।

 

ग्रहों की युति-: चंद्र:-(विचार)-

 

शनि (दु:,विषाद,कमी,निराशा) :- मन में दु:,नकारात्मक सोच.

 

मंगल (साहस,धैर्य,तेज,क्षणिक क्रोध) :- विचारों में ओज,क्रांतिकारी विचार.

 

बुध (वाणी,चातुर्य.हास्य) :- हास्य-व्यंग्य पूर्ण विचार,नए विचार.

 

गुरु (ज्ञान,गंभीरता,न्याय,सत्य) :- न्याय,सत्य और ज्ञान की कसौटी पर कसे हुए गंभीर विचार.

 

शुक्र (स्त्री,माया,संसाधन,मिठास,सौंदर्य) :- माया में जकड़े विचार,सुंदरता से जुड़े विचार.

 

सूर्य (आत्म-तेज,आदर) :- आदर के विचार,स्वाभिमान का विचार.

 

राहू (मतिभ्रम,लालच) :- विचारों का द्वंद्व,सही-गलत के बीच झूलते विचार.

केतु (कटाक्ष,झूठ,अफवाह) :- झूठ,अफवाह और सही बातों को काटने का विचार.