आज का विषय
  राहु ग्रह उपचय भाव  में ही श्रेष्ठ क्यों❓
वैदिक ज्योतिष के अनुसार उपचय भाव 3,6,10,11 राहु ग्रह के लिए सबसे श्रेष्ठ माने जाते हैं
3 तीसरे भाव में राहु पराक्रमी बनाता है छठे घर का राहु शत्रुघ्नता 10 राहु राजनीतिक एकादश भाव का राहु लाभ प्राप्ति करवाता है इसमें बुध की स्थिति देखना भी जरूरी है राहु के लिए वैसे राहु के लिए एक सिद्धांत है राहु उपचय भाव में स्वतंत्र रहता है फल को पूर्ण रूप से देखने के लिए राहु जिस भाव में या जिस राशि में विराजमान हो उसके भाव स्वामी को अवश्य देखें राहु का फल आपको पूर्ण रूप से पता लग जाएगा वैदिक ज्योतिष में राहु वृषभ  मिथुन कन्या तुला और मकर राशि की अच्छे माने जाते हैं इनमें से राहु  मिथुन के उच्च स्थिति में कन्या राशि पर खुद का आधिपत्य रखते हैं एकादश स्थान का राहु विदेश से धन प्राप्ति की ओर इशारा करते हैं व्यक्ति के एक से अधिक आय के स्रोत होते हैं दशम और एकादश भाव का राहु व्यक्ति को साम दाम दंड भेद के तरीके से कार्य करने में प्रवीण बनाता है तीसरे दशम और एकादश जिसका राहु होता है 90% उनकी कुंडलियों में बड़ी बहन होने का योग बनता है तृतीय और एकादश काम त्रिकोण के भाव होते हैं अतः ऐसे जातकों में कामवासना की प्रवृत्ति अधिक पाई जाती है
1. प्रथम भाव में राहु जातक को चतुर चालाक बनाता है व्यक्तिगत गेम खेल जाए सामने वाले को पता नहीं लगता
2. दूसरे भाव में राहु हो तो जातक के पैसे गलत हाथों में चले जाते हैं
3. तीसरे स्थान का राहु यात्रा करने में रुचि रखता है वैदिक ज्योतिष में विदेश के लिए तीसरा स्थान राहु उत्तम माना गया है
4. चतुर्थ स्थान राहु माता के स्वास्थ्य को खराब करता है जन्म स्थान को छोड़ने के लिए अच्छा है जिससे जातक जल्दी कामयाब होता है घर का माहौल तनावपूर्ण रहता है
5. पंचम का राहु प्रेम संबंध देता है शिक्षा भी अच्छी देता है बे शर्त यह है पंचम स्थान के अधिपति अच्छी अवस्था में हो
6. छठे घर का राहु शत्रुहंता योग देता है लेकिन मामा पक्ष के साथ तालमेल अच्छा नहीं होता
नोट
      राहु के 12 भाव के फल बताने थे लेकिन ग्रुप में अधिक शब्द नहीं लिखे जाते यहां सिर्फ सप्तम भाव तक लिखा गया लेकिन मैंने वह भी कट कर दिया एडमिन से अनुरोध है इस शब्दों की अधिकता बढ़ाएं ताकि लोगों को अधिक से अधिक वैदिक ज्योतिष का ज्ञान प्राप्त हो
 जय श्री राम🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏