👍विशोंत्री महादशा फल 👍

💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐ग्रह फल के क्रम में आज चर्चा करते है 💐मंगल ग्रह के विषय पर !

💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

मंगल ग्रह को  कुंडली में मंगल को को #पहला व् आठवाँ भाव प्रदान किया गया है । पराक्रम व् ऊर्जा के प्रतीक मंगल गृह से छोटे भाई का भी विचार किया जाता है । इसे एक# क्रूर गृह के रूप में भी जाना जाता है । ये कर्क राशि मे नीच  व #मकर राशि मे उच्च का होता है

💐यदि मंगल शुभ स्थानस्थ हो, अपनी उच्च राशि, मूल त्रिकोण राशि, स्वराशि (मेष या वृविचक) या मित्र राशि का होकर केन्द्र या त्रिकोण में हो तो अपनी दशा में जातक को शुभ फल प्रदान करता है।

💐 ऐसे भाव मे स्थित मंगल के महादशा में जातक को। 👍भूमि सम्बन्धी कार्यों से उसे विशेष लाभ मिलता है। 👍भूमि क्रय करने, आवास बनाकर विक्रय करने अथवा आवास योग्य भूमि के क्रय-विक्रय से या भूमिगत धन मिलने से जातक अत्यन्त सुखी होता है।समाज में मान-प्रतिष्ठा बढ़ती है

💐जातक की कुंडली मेयदि मंगल उच्च राशि का होकर धन अथवा आय स्थान में हो तो जातक को मानसिक शान्ति प्राप्त होती है, उसकी आय के एक से अधिक साधन बनते हैं,

💐इसके विपरीतयदि #मंगल अपनी नीच राशी में हो, शत्रुक्षेत्री हो, अशुभ स्थानस्थ हो या पाप प्रभाव में हो तो अपनी दशा में अशुभ फल ही देता है । अशुभ मंगल की दशा में जातक का परिजनों से विरोध होता है विरोधियों की संख्या में व्रद्धि होती है

💐मंगल नीच राशि में होकर वक्री हो, अस्त हो या उच्च राशि का होकर नीच नवांश में हो, अशुभ भावस्थ हो, पाप मध्यत्व में हो तो अपनी दशा में जातक को अनेक प्रकार से प्रताडित करता है।कुटम्ब-परिवार से मजबूरी से विलग होना पड़ता है| जातक का अधिक समय और धन शत्रुओं और रोगों से संघर्ष करने में ही व्यय होता है । ऋण लेना पड़ता है

 तथा #त्रदृणभार दिनो-दिन बढता रहता ह!

💐 सभीप्रकार के मंगल दोष और इसके दुष्प्रभावों से बचने या इससे मुक्त होने के लिए मंगलवार के दिन  सुंदर कांड का पाठ करना चाहिये व मंगल ग्रह की दान वस्तुओँ का दान करना चाहिए !

💐 यदि मंगलव्यय स्थानगत मंगल की दशा में जातक अनेक कष्ट भोगता है, शय्या सुख का नाश होता है, चल-अचल सप्पत्ति की हानि होती है!!!

💐फतेह चंद शर्मा