💢 सूर्य आपकी कुंडली में आमदनी , लाभ एवं बड़े भाई – बहन  के स्वामी होते हैं ।  सूर्य की दशा अंतर्दशा में अच्छी आमदनी होती है एवं राज्य सम्मान भी प्राप्त होता है ।  आपकी कुंडली में सूर्य कारक होते हैं । 

👉 खर्च अधिक रहता है ,  परंतु बाहरी स्थानों के संपर्क से सुख , सफलता एवं  आमदनी  होती है । षष्ट भाव पर दृष्टि के कारण शत्रु पक्ष पर प्रभाव रहता है  । 

💢 चंद्रमा आपकी कुंडली में पिता ,  राज्य एवं रोजगार के स्वामी होते हैं ।  यह पूर्णतः  कारक ग्रह होते हैं । 

👉 लग्न में चंद्रमा पर शनि तथा केतु की दृष्टि है जिसके कारण शारीरिक स्वास्थ्य एवं जीवन की उन्नति में परेशानी होती है । मानसिक परेशानी बनी रहती है । पिता ,  राज्य एवं रोजगार के क्षेत्र में कठिनाई एवं परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।  सप्तम भाव पर दृष्टि के कारण पत्नी एवं वैवाहिक जीवन का सुख प्राप्त होता है  । सुंदर पत्नी प्राप्त होती है  ।  दैनिक रोजगार में सफलता प्राप्त होती है ।

💢 मंगल आपकी कुंडली में  पति / पत्नी ,  व्यवसाय , धन एवं कुटुम के स्वामी होते हैं ।  मंगल आपकी कुंडली में  अकारक होते हैं । 

👉 शारीरिक स्वास्थ्य एवं प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है ।  ऐसे व्यक्ति परिश्रमी एवं निडर  होते हैं । परंतु मंगल पर शनि तथा केतु की दृष्टि है जिसके कारण स्वास्थ्य संबंधित परेशानी होती है । मस्तिष्क में भी किसी प्रकार की बीमारी होने की संभावना बनी रहती है । स्वभाव उग्र हो जाता है । मंगल   धन , कुटुंब  , पत्नी एवं वैवाहिक जीवन के स्वामी है अतः इससे भी परेशानी होती है । धन का संग्रह करने में कठिनाई होती है । चतुर्थ भाव में  शनि पर दृष्टि के कारण माता , भूमि , भवन , घरेलू सुख में परेशानी होती है । सप्तम भाव पर दृष्टि के कारण पत्नी एवं वैवाहिक जीवन का सुख प्राप्त होता है । दैनिक व्यवसाय में सफलता प्राप्त होती है । अष्टम भाव पर दृष्टि के कारण आयु में वृद्धि होती है ।

( मंगल बिलकुल कमजोर है जिसके कारण मंगल से सम्बंधित काभ में कमी होती है । )

💢 बुध आपकी कुंडली में भाग्य ,  उच्च शिक्षा एवं बाहरी स्थानों के संबंध तथा खर्च के स्वामी होते हैं । बुध आपकी कुंडली में शुभ फल देते हैं । 

👉 भाग्य की उन्नति में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय जन्म स्थान से दूर या बाहरी स्थानों पर संपर्क से होता है । बाहरी स्थानों के संपर्क से लाभ एवं सहयोग प्राप्त होता है । षष्ट भाव पर दृष्टि के कारण शत्रु पक्ष से कुछ परेशानी भी होती है परंतु आप अपने बुद्धि , विवेक के माध्यम से उन पर सफलता प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं ।

💢 गुरु आपकी कुंडली में छोटे भाई- बहन   , पराक्रम ,  रोग एवं शत्रु के स्वामी होते हैं ।  गुरु  आपकी कुंडली मैं अकारक होते हैं । 

👉 परिश्रम के माध्यम से लाभ एवं आमदनी में वृद्धि होती है । शत्रु पक्ष पर प्रभाव रहता है  । तृतीय भाव पर दृष्टि के कारण पराक्रम में वृद्धि होती है । भाई - बहन का सुख प्राप्त होता है । पंचम भाव पर दृष्टि के कारण विद्या , बुद्धि में सफलता प्राप्त होती है परंतु संतान पक्ष से कुछ कठिनाई होती है । सप्तम भाव पर दृष्टि के कारण पत्नी और वैवाहिक जीवन का सुख प्राप्त होता है । दैनिक व्यवसाय में सफलता प्राप्त होती है ।

(  गुरु पर राहु की दृष्टि है अतः उपरोक्त लाभ में परेशानी होती है )

💢 शुक्र आपकी कुंडली में  स्वास्थ्य-सौंदर्य  , आयु के स्वामी होते हैं ।  शुक्र आपकी कुंडली में कारक  होते हैं । 

👉 शारीरिक परिश्रम के द्वारा आमदनी के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है । आयु में वृद्धि होती है । जीवन सामान्यता आनंद में व्यतीत होता है । शारीरिक स्वास्थ्य , सौंदर्य एवं प्रभाव में वृद्धि होती हैं । पंचम भाव पर दृष्टि के कारण विद्या , बुद्धि एवं संतान का सुख प्राप्त होता है । ऐसे व्यक्ति का जीवन आलीशान एवं सुखी व्यतीत होता है ।

 ( शुक्र कमजोर है जिसके कारण पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं हो पाता है । )

💢 शनि  आपकी कुंडली में माता , जमीन ,  मकान ,  घरेलू सुख , संतान एवं विद्या के स्वामी होते हैं ।  शनि  आपकी कुंडली में कारक  होते हैं । 

👉 माता , भूमि , भवन का सुख प्राप्त होता है । विद्या , बुद्धि एवं संतान के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है परंतु शनि  पर मंगल की दृष्टि है जिसके कारण उपरोक्त लाभ में परेशानी होती है । षष्ट  भाव पर दृष्टि के कारण शत्रु पक्ष पर प्रभाव रहता है । दशम भाव पर दृष्टि के कारण पिता , राज्य एवं रोजगार के क्षेत्र में कठिनाई एवं परेशानियों का सामना करना पड़ता है । लग्न में चंद्रमा एवं मंगल पर दृष्टि के कारण शारीरिक स्वास्थ्य तथा मस्तिष्क में परेशानी होती है । मानसिक परेशानी बनी रहती हैं । पत्नी , पिता  एवं रोजगार  के क्षेत्र में परेशानी होती है । 

💢  राहु

👉पराक्रम में वृद्धि होती हैं परंतु भाई - बहन से कुछ मतभेद बना रहता है । सप्तम भाव पर दृष्टि के कारण पत्नी एवं वैवाहिक जीवन के सुख में परेशानी होती हैं ।  दैनिक व्यवसाय में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है  । नवम भाव पर दृष्टि के कारण भाग्य की उन्नति होती है  । उच्च शिक्षा अच्छी प्राप्त होती है । एकादश भाव पर दृष्टि के कारण आमदनी प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । कभी अचानक लाभ प्राप्त हो जाता है तो अचानक हानि भी हो जाती है । गुरु पर दृष्टि के कारण भाई - बहन के सुख में कुछ परेशानी होती है । 

💢 केतु

👉 भाग्य की उन्नति में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । लग्न में चंद्रमा तथा मंगल पर दृष्टि के कारण शारीरिक स्वास्थ्य , सौंदर्य , मस्तिक , पिता , राज्य , रोजगार एवं पत्नी  के क्षेत्र में परेशानी होती है । तृतीय भाव पर दृष्टि के कारण पराक्रम में वृद्धि होती है । पंचम भाव पर दृष्टि के कारण विद्या , बुद्धि , संतान के क्षेत्र में परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।

💢  सारांश 💢

👉  स्वास्थ्य एवं आयु  के लिए – शुक्र , मंगल , शनि , केतु     का उपाय करें । 

  महामृत्युंजय यंत्र स्थापित करके   रुद्राक्ष की माला से  महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें । महामृत्युञ्जय मन्त्र - ॥ ॐ ह्रौं जुं सः त्रयम्बकं  यजामहे सुगन्धिं पुष्टि वर्धनं उर्वारुकमिव    

बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् सः जुं ह्रौं ॐ ॥  

👉  संतान एवं विद्या बुद्धि के लिए – मंगल , केतु , गुरु    का उपाय करें । 

👉  गृहस्थ जीवन के लिए – मंगल , राहु , केतु , शनि   का उपाय करें । 

👉 भाग्य की उन्नति के लिए – बुध     का उपाय करें । 

👉 रोजगार के लिए –  चन्द्र , मंगल , शनि , केतु    का उपाय करें । 

👉 धन एवं आमदनी के लिए –  सूर्य , मंगल , राहु , केतु , शनि     का उपाय करें । 

  स्फटिक का श्रीयंत्र स्थापित करके स्फटिक की माला से  लक्ष्मी साधना  ( मंत्र जाप  )  करें । लक्ष्मी मंत्र – ॥ ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः  ॥

॥ ऐं ह्रीं  श्रीं क्लीं सौं जगतप्रसुत्यै नमः  ॥ 

👉  गुरु , शुक्र , चन्द्र से सम्बंधित रोजगार के योग हें .|

💢 सभी ग्रहों से संबंधित उपाय हटा दिए हैं क्योंकि बहुत से लोग देखकर अपनी कुंडली में उपाय करने लगते हैं जिसके कारण लाभ  की जगह हानि हो सकती है । 

जन्म कुंडली विश्लेषण के बाद इसके विषय में विस्तार से चर्चा करके समझाया जाता है ।