।। जय श्री राम।।

कुण्डली में सप्तम भाव का स्वामी यदि धन भाव में स्थित है और बुध सप्तम भाव में स्थित हो व्यक्ति बिजनेस कर सकता है। कुण्डली में बुध तथा शुक्र द्वितीय भाव अथवा सप्तम भाव में स्थित हों और शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तब जातक व्यापार की ओर झुकाव रख सकता है।

बुध को बिजनेस का कारक ग्रह माना जाता है। बुध कुण्डली में यदि सप्तम भाव में द्वितीयेश के साथ है तब जातक बिजनेस करता है।दूसरे भाव का स्वामी शुभ ग्रह की राशि में स्थित हो और बुध या सप्तमेश उसे देख रहें हों तब व्यक्ति व्यापार करता है।यदि गुरु की द्वितीय भाव के स्वामी पर दृष्टि हो तो व्यक्ति व्यापार कर सकता है। 

उच्च के बुध पर द्वितीयेश की दृष्टि होने पर जातक व्यापार करने में रूचि रखता है। यदि लग्नेश तथा दशमेश की परस्पर एक दूसरे पर दृष्टि हो, युति या दोनों का स्थान परिवर्तन हो रहा हो तब व्यक्ति बिजनेस कर सकता है।

दशम भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि होने से व्यापार करता है, उसे बिजनेस में धन लाभ होता है। दशम भाव में बुध की स्थिति से व्यक्ति व्यापारी बनता है।

कुण्डली में बुध, राहु या शनि से दृष्ट अथवा युति है तो व्यक्ति स्वतंत्र रुप से व्यवसाय करने की चाह रखता है। लेकिन शनि कुण्डली में बली होकर बुध को दृष्ट कर रहा है तो व्यक्ति नौकरी करता है।I