धातु रूप निर्माणक देववाणी -

गृहम् विचारसभा अर्थदानम् लेखासृज्यताम् सुभन्त तिडन्त संधि इप्रत्यय अस्य प्रत्यय प्रत्याहार सवर्ण
स्त्रिी प्रत्य्य निर्माणक

देववाणी

~!याति स्वयं प्रख्यार्पितगुणै:!~

प्रकृतिः : Mandatory field.
पुँल्लिङ्ग स्त्रीलिङ्ग नपुंसकलिङ्ग Mandatory field. Wait for ajax to load.
Devanagari IAST SLP1

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aAiIuUfFxXeEoOMH
kKgGN
cCjJY
wWqQR
tTdDn
pPbBm
yrlvSzsh;