❣️नमः शिवाय❣️

👉चेतना की चार अवस्थाएं हैं। जाग्रत, सुप्त, सुषुप्त तथा तुरिया।

👉👉जाग्रत अवस्था- यह मूर्खता की अवस्था है। जब सभी इन्द्रियाँ, मन, बुद्धि आदि जगती रहें तो उसे जाग्रत अवस्था कहते हैं।

👉👉सुप्त अवस्था- जब इन्द्रियाँ सो जायँ और मन जगता रहे तथा स्वयं को ही चेतना मानकर उछलकूद करे तो उसे सुप्त अवस्था (स्वप्न अवस्था) कहते हैं।

👉👉सुषुप्त अवस्था- जब मन और इन्द्रियाँ सभी सो जायँ और मनुष्य ब्रम्हलोक में रहे तो उसे सुषुप्त अवस्था कहते हैं। इसके बिना कोई जीवित नहीं रह सकता। जब सपना नहीं आता तो उस समय मनुष्य यहीं रहता है।  मस्तिष्क Refresh होता है।

👉👉तुरिया अवस्था- इस अवस्था में ब्रम्हलोक में ना जाकर मनुष्य स्वयं ब्रम्ह हो जाता है। Individual consiousness Cosmic Consiousness के बराबर हो जाती है। अहम ब्रम्हस्मि चरितार्थ होता है।

👉👉👉मनुष्य को तुरीयातीत हो जाना चाहिए। साधना ही इसका मार्ग है।

शिवोहम!